-संवाददाता-
अम्बिकापुर,23 नवम्बर 2025
(घटती-घटना)।
अंबिकापुर और बलरामपुर जिलों में रविवार को ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ) और एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) की संयुक्त टीम ने डीएमएफ (डिस्टि्रक्ट मिनरल फाउंडेशन) घोटाले के संदर्भ में बड़ी कार्रवाई की। इस दौरान अंबिकापुर और बलरामपुर में तीन प्रमुख स्थानों पर छापे मारे गए, जिनमें अंबिकापुर के पर्राडांड़ स्थित पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉ. तनवीर अहमद, सतीपारा के राणी सती कॉलोनी निवासी सप्लायर अमित अग्रवाल और बलरामपुर जिले के राजपुर निवासी व्यवसायी मनोज अग्रवाल के घर शामिल थे। इन घरों को सील कर टीम ने दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार, यह छापे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुए आबकारी और डीएमएफ मद में हुए घोटाले की जांच के सिलसिले में मारे गए हैं। डॉ. तनवीर अहमद, जो कि पूर्व में सरगुजा और बलरामपुर जिले में पदस्थ थे, पर आरोप है कि उन्होंने डीएमएफ फंड का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। वहीं, अमित अग्रवाल पर आरोप है कि उन्होंने सरगुजा, सूरजपुर और बस्तर सहित अन्य क्षेत्रों में डीएमएफ मद के तहत काम किया और इसके बदले बड़े पैमाने पर घोटाला किया। उनके संबंध पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से बताए जाते हैं, और उनके रिश्तेदार अशोक अग्रवाल का नाम भी इस घोटाले में पहले सामने आ चुका है। यह गौर करने योग्य है कि उनके घरों पर पहले भी दो बार छापे मारे जा चुके हैं। बलरामपुर जिले के राजपुर स्थित मनोज अग्रवाल के घर पर भी ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम ने छापा मारा। मनोज अग्रवाल को डीएमएफ मद का एक प्रमुख सप्लायर माना जाता है, और उन पर भी आरोप हैं कि उन्होंने इस मद के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। टीम ने उनके घर से दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है, ताकि घोटाले से जुड़े सभी पहलुओं का पर्दाफाश किया जा सके। इस बड़ी कार्रवाई से यह साफ संकेत मिलता है कि राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है और संबंधित अधिकारियों और सप्लायरों को किसी भी स्तर पर बख्शा नहीं जाएगा। एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीम इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई करने की योजना बना रही है।
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