
नेता–अधिकारी गठजोड़ पर गंभीर आरोप, १ करोड़ की राशि कोचिंग के नाम पर च्च्डकारीज्ज् गई — सूत्र
- प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग के नाम पर करोड़ों खर्च,पीएससी चयन सूची में जिले के कोचिंग सेंटर से किसी का नाम नहीं
- एक अधिकारी,एक नेता के करीबी ने क्या करोड़ों की राशि कोचिंग के नाम पर खुद डकारी
- जिले के सरकारी कोचिंग सेंटर को लेकर उठ रहे सवाल,डीएमएफ मद के बंदरबाट का नया खेल
- कभी नहीं होता कोचिंग से किसी का चयन,फिर भी कोचिंग के नाम पर चलता है भ्रष्टाचार का खेल,सूत्र
-रवि सिंह-
कोरिया,22 नवंबर 2025
(घटती-घटना)।
जिले में डीएमएफ मद को लेकर एक बार फिर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए हैं। इस बार मामला है प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग के नाम पर करोड़ों रुपये डकारने का, सूत्रों का दावा है एक अधिकारी और एक नेता के बेहद करीबी लोगों ने कोचिंग केंद्रों के नाम पर पूरे एक करोड़ रुपये बांट लिए, जबकि पूरे साल में इन कोचिंगों से एक भी छात्र किसी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हुआ,यह आरोप पीएससी की अंतिम चयन सूची जारी होने के बाद जोर पकड़ चुका है, क्योंकि सूची में जिले के सरकारी कोचिंग सेंटर का एक भी विद्यार्थी शामिल नहीं है। कोरिया जिले में डीएमएफ मद का उपयोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किया जाना था, लेकिन आरोपों के अनुसार इस पूरी योजना को नेता-अधिकारी गठजोड़ ने निजी कमाई का माध्यम बना दिया, अब पीएससी के नतीजों ने पूरे मॉडल की सच्चाई खोलकर रख दी है 1 करोड़ खर्च — परिणाम शून्य।
सूत्रों के अनुसार इस वर्ष 1 करोड़ रुपए कोचिंग के नाम पर जिला खनिज न्यास मद से दो कोचिंग संस्थाओं को प्रदान की गईं और जब पीएससी परीक्षा परिणाम सामने आया जिले से एक भी छात्र कोचिंग में पढ़ने वाला चयन सूची में नाम दर्ज नहीं करा पाया,बताया जाता है कि एक कोचिंग संस्था एक अधिकारी के किसी करीबी का है और एक संस्था एक नेता के करीबी का है,नेता अधिकारी मिलकर डीएमएफ मद से 1 करोड़ डकार गए और उस राशि से किसी को लाभ मिलता नजर नहीं आया,वैसे यह पहला वर्ष नहीं है जब ऐसा हुआ हो,बताया जाता है कि कोचिंग संस्थाएं अपनी उपलब्धि बताने उन छात्रों का नाम सामने रखती हैं जो कहीं और पढ़कर किसी परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं और उसी को आधार बनाकर डीएमएफ मद में सेंध लगाई जाती है,यह खेल कबसे जारी है यह तो जांच का विषय है लेकिन सूत्रों के अनुसार विगत कुछ वर्षों से यह खेल भ्रष्टाचार का एक अधिकारी के संरक्षण में खेला जा रहा है जिसमें नेताओं का भी हिस्सा तय है।
50-50 लाख का बंटवारा,नेता व अधिकारी के करीबियों को मिला लाभ
सूत्रों के अनुसार एक कोचिंग संस्था अधिकारी के करीबी की, दूसरी संस्था नेता के करीबी की, दोनों को 50-50 लाख देकर कोचिंग चलाने का दिखावा किया गया परिणाम? पूरे जिले से एक भी चयन नहीं! अब आशंका है कि आने वाले दिनों में कोचिंग संस्थाएँ किसी अन्य चयनित छात्र का नाम अपने खाते में जोड़कर अपनी उपलब्धि दिखाने की कोशिश करेंगी।
डीएमएफ मद- भ्रष्टाचार का सबसे आसान माध्यम!
डीएमएफ मद के दुरुपयोग को लेकर पहले भी कई आरोप लगते रहे हैं, लेकिन शिक्षा के नाम पर युवाओं को ठगना, सबसे शर्मनाक और अमानवीय भ्रष्टाचार माना जा रहा है, जिले में यह प्रश्न गूंज रहा है छात्रों के भविष्य की कीमत पर कब तक भ्रष्टाचार का यह खेल चलता रहेगा?
1 करोड़ रुपये खर्च…शून्य परिणाम
सूत्रों के अनुसार डीएमएफ मद से 1 करोड़ रुपये दो कोचिंग संस्थानों को दिए गए,दोनों ही संस्थान एक अधिकारी व एक नेता के करीबी लोगों के बताए जाते हैं,एक वर्ष में इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बावजूद एक भी चयन नहीं हुआ, अब सवाल उठ रहा है क्या यह कोचिंग थी या डीएमएफ मद का सीधा बंदरबांट?
उपस्थिति पंजी खोल देगा पूरा राज़
सूत्रों का मानना है कि कोचिंग संस्थाओं का केवल उपस्थिति पंजी ही पूरी पोल खोल सकता है,उससे साफ हो सकता है कितने छात्रों ने वास्तव में कोचिंग ली,किसका चयन हुआ,किस बैच में कौन उपस्थित था,किसने कब अध्ययन किया,यदि यह रिकॉर्ड जांचा गया तो पूरा खेल उजागर हो सकता है।
कोचिंग संस्थाओं का पुराना खेल-दूसरों की सफलता को अपनी उपलब्धि बताकर फंड हड़पना
सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से कोरिया जिले में यह कोचिंग खेल लगातार चल रहा है, कोचिंग संस्थाएँ उन छात्रों की सफलता को अपनी बताती हैं जो कहीं और पढ़े होते हैं, इन्हीं फर्जी उपलब्धियों को दिखाकर डीएमएफ की राशि हर साल निकाली जाती है, इस पूरे खेल को एक प्रभावशाली अधिकारी का संरक्षण प्राप्त होने की बात भी कही जा रही है, जबकि नेताओं का हिस्सा भी तय बताया जा रहा है।
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