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मनेंद्रगढ़@वित्तीय संकट के बीच मनेंद्रगढ़ नपा ने बांटे 4 महीने के मानदेय

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जनप्रतिनिधियों में राहत, असंतोष भी बरकरार, काम ज्यादा, मेहनताना कम!

मनेंद्रगढ़ 17 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। नगर पालिका मनेंद्रगढ़ में नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधियों को आखिरकार आठ माह के लंबे इंतजार के बाद मानदेय जारी किया गया है। वित्तीय संकट के चलते कई महीनों से रुकी हुई यह प्रक्रिया अब पूरी की गई है। गुरुवार को नगर पालिका प्रशासन ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षदों के खातों में चार माह का मानदेय जारी कर दिया।
आर्थिक तंगी के कारण रुका था भुगतान
नगर पालिका मनेंद्रगढ़ में चुनाव संपन्न हुए लगभग आठ महीने बीत चुके हैं, लेकिन इस अवधि में जनप्रतिनिधियों को मानदेय का भुगतान नहीं हो सका था। बताया जा रहा है कि नपा की आर्थिक स्थिति कमजोर होने और फंड की कमी के कारण भुगतान अटका हुआ था।
कितना मिला मानदेय
जानकारी के अनुसार, नगर पालिका अध्यक्ष को 10,000 रुपये प्रतिमाह, उपाध्यक्ष को 7,000 रुपये प्रतिमाह और प्रत्येक पार्षद को 5,000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है। इस हिसाब से अध्यक्ष को चार माह का कुल 40,000, उपाध्यक्ष को 28,000 और पार्षदों को 20,000 का भुगतान किया गया है।
पहले कितना था मानदेय
पहले की व्यवस्था में अध्यक्ष को 7,200, उपाध्यक्ष को 5,000 और पार्षदों को मात्र 500 प्रतिमाह मानदेय दिया जाता था। पिछली सरकार ने जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाकर अध्यक्ष के लिए 10,000, उपाध्यक्ष के लिए 7,000 और पार्षदों के लिए 5,000 प्रतिमाह कर दिया था।
जनप्रतिनिधियों में असंतोष बरकरार
हालांकि भुगतान जारी होने के बावजूद कई जनप्रतिनिधियों ने मानदेय राशि को अपर्याप्त बताया है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधियों के कार्यभार और जिम्मेदारियों के हिसाब से यह राशि बहुत कम है। एक पार्षद ने बताया कि नपा क्षेत्र में जनसंपर्क, नागरिक समस्याओं और योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए लगातार मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन मानदेय उस अनुरूप नहीं है।
ठेकेदारों का भी बकाया भुगतान लंबित
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नगर पालिका में कार्यरत कई ठेकेदारों के बिलों का भुगतान भी लंबे समय से लंबित है। नपा की वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण नियमित खर्चों पर भी असर पड़ रहा है।
जनप्रतिनिधियों को मिली आंशिक राहत
लगातार चर्चाओं और शिकायतों के बाद जब गुरुवार को चार माह का मानदेय जारी हुआ तो जनप्रतिनिधियों ने आंशिक राहत महसूस की। हालांकि, अभी भी बकाया चार माह का मानदेय शेष है, जिसे जल्द जारी किए जाने की मांग उठ रही है।


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