
- क्या इस वर्ष महाविद्यालय के छात्रों का भविष्य रहेगा अधर में?
- क्या इस साल महाविद्यालयों में नही शुरू हो पायेगा अध्यापन कार्य?
- अतिथि व्यख्याताओ की नियुक्ति नही होने से कालेजों में बन्द है अधिकांश कक्षाएं
- क्या उच्च शिक्षा विभाग को छात्रों के भविष्य की नही है चिंता?
- अक्टूबर माह के 10 दिन बीत गए अभी तक पढ़ाई शुरू नही, दिसबंर होनी है सेमेस्टर परीक्षा महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
-राजन पाण्डेय-
कोरिया,11 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। सितंबर माह बीत गया अक्टूबर के भी 10 दिन बीत गए दशहरा अवकाश भी बीत गया कुछ दिन में दीपावली की छुट्टियां लग जाएंगी,मिली जानकारी अनुसार बीए,बीएससी और बी कॉम की प्रथम और तृतीय सेमेस्टर की परीक्षाएं दिसम्बर में सम्भावित हैं। लेकिन सरगुजा सम्भाग के अधिकांश महाविद्यालयों में अभी तक पढ़ाई शुरू नही हुई है,विज्ञान संकाय का तो और बुरा हाल है प्राणी शास्त्र जीव विज्ञान वनस्पति विज्ञान रसायन एवं भौतिकी के छात्रों का बुरा हाल है क्योंकि पढ़ाई अभी तक शुरू नही हुई है। अब सवाल यह है कि पढ़ाई क्यों शुरू नही हुई तो इसका जवाब है कि अतिथि व्यख्याताओ की नियुक्ति नही हुई। अब सवाल उठता है कि नियुक्ति क्यों नही हुई तो सूत्रों से जवाब मिलता है कि सब प्रक्रिया पूरी है लिस्ट भी तैयार है लेकिन रोक ऊपर से लगी है।
उसके बाद फिर सवाल उठता है कि ये ऊपर वालो को छात्रों के भविष्य की चिंता है भी या नही, कहने को इस समय छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सुशासन वाली सरकार है लेकिन सुशासन की इस सरकार में छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है इसका जवाब किसी के पास नही है, अक्टूबर आने को है अभी तक कालेजों में अतिथि व्यख्याताओ की नियुक्ति नही हुई है,आगे नियुक्ति होगी भी या नही इसकी जानकारी नही है,और होती भी है तो इतने कम समय मे कोर्स पूरा होना तो दूर आधा भी पढ़ाया जा सकेगा या नही यह विचारणीय प्रश्न है। लेकिन शायद विभाग को इन सब चीजों से कोई सरोकार नही है क्योंकि नुकसान होगा भी तो छात्रो का होगा अधिकारियों का नही। हाल ही में अतिथि व्याख्याताओं की भर्ती प्रक्रिया को लेकर प्रदेशभर में सवाल उठे थे। कई अभ्यर्थियों और संगठनों ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि नियुक्ति में पारदर्शिता नहीं बरती जा रही। इन्हीं शिकायतों के आधार पर शासन ने यह कदम उठाया है।
रोक लगा कर भूल गया उच्च शिक्षा विभाग
इस सम्बंध में मिली जानकारी अनुसार छत्तीसगढ़ आयुक्त उच्च शिक्षा संचालनालय द्वारा 24 अगस्त को समस्त प्राचार्य छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालय के नाम एक पत्र जारी कर जिन विद्यालयों में अतिथि व्यख्याताओ की नियुक्ति नही हुई है वहां पर नियुक्ति करने पर रोक लगा दिया गया है। इस सम्बंध में मिली जानकारी अनुसार राज्य शासन के संदर्भित आदेश के द्वारा अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति में विभिन्न माध्यमों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर शासकीय महाविद्यालयों में नियुक्त अतिथि व्याख्याताओं की, अतिथि व्याख्याता नीति 2024 के परिप्रेक्ष्य में नियुक्ति की जांच हेतु संभागवार जांच समिति गठित की गई है, जिसका प्रतिवेदन जांच समिति को 07 दिवस के भीतर प्रस्तुत किया जाना था तब तक के लिए जिन महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, को तत्काल प्रभाव से रोका गया है साथ ही ऐसे महाविद्यालय जहां अतिथि व्याख्याताओं के नियुक्ति पत्र जारी किये जा चुके है, उन महाविद्यालयों में इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।
क्या है मामला
विभाग ने अपने जारी आदेश में विभिन्न शिकायतों का हवाला दिया है लेकिन शिकायत किस विषय पर की गई है इसका उल्लेख नही किया गया है सूत्र बताते हैं कि उक्त मामला अब बाहरी और स्थानीय की लड़ाई का है दरअसल अतिथि व्याख्याता भर्ती हाल ही में जारी आदेश के अनुसार अतिथि व्याख्याता भर्ती में अब केवल समान अंक होने पर ही छत्तीसगढ़ के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले के नियम में स्थानीय उम्मीदवारों को सीधी प्राथमिकता दी जाती थी, इस बदलाव के बाद बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को बराबरी का मौका मिल गया,इसके कारण तरह तरह की शिकायतें हुई हैं।
समझिए पुराना और नया नियम
पहले जारी विज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया था कि भर्ती प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी. इसी भरोसे पर प्रदेशभर के नेट और सेट पास अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. लेकिन हालिया आदेश में शर्त बदल दी गई है.अब केवल समान अंक होने की स्थिति में ही छत्तीसगढ़ के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी, अन्यथा बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी भी बराबरी से दावेदार होंगे. यानी पहले की नीति में स्थानीय युवाओं को सीधी प्राथमिकता मिलती।

आदेश के मुख्य बिंदु
- जिन महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति की कार्यवाही प्रक्रिया में है, उसे तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है।
- जिन महाविद्यालयों में पहले ही अतिथि व्याख्याताओं को नियुक्ति पत्र जारी किए जा चुके हैं,वहाँ यह आदेश प्रभावी नहीं होगा।
- जांच समिति से कहा गया है कि वह अतिथि व्याख्याता नीति 2024 के परिप्रेक्ष्य में हुई नियुक्तियों की गहन जांच कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
भर्ती प्रक्रिया और ज्वाइनिंग होने में लगेगा काफी समय
सूत्रों की माने तो भर्ती प्रक्रिया और ज्वाइनिंग होने में अभी काफी समय लग सकता है,क्योंकि एक अभ्यर्थी ने दर्जनों भर कालेजों में अपना फार्म जमा किया है । मेरिट आधार पर कई कालेजों में एक व्यक्ति का नाम मैरिट पर आ सकता है,लेकिन वो ज्वाइनिंग एक ही कालेज में कर सकेगा,ऐसे में कालेज के प्राचार्य को मैरिट लिस्ट के कंडीडेट को एक एक करके ज्वाइनिंग के लिए बुलाना होगा और यदि पहले नम्बर का कंडीडेट ज्वाइन नही करता है तो नियमानुसार दूसरे को बुलाना होगा इस तरह प्रत्येक कंडीडेट को कम से कम सात से दस दिन का समय देना होगा। ऐसी स्थिति में छात्रों का कोर्स पिछड़ना स्वाभाविक है।
नुकसान तो महाविद्यालय के छात्रों का हो रहा
बहरहाल शिकायतें जो भी हो पर अतिथि व्यख्याताओ की नियुक्ति में नुकसान तो छात्रों का हो रहा है। एक तो वैसे भी सरकारी महाविद्यालय स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं ऊपर से भर्ती पर रोक, ऐसे में नियुक्ति में ज्यादा विलम्ब हुआ तो छात्रों का कोर्स कैसे पूरा होगा यह बड़ा सवाल है। और छात्रों का कोर्स पूरा नही हुआ तो यह भी तय है इसका असर परीक्षा परिणाम और छात्रों के भविष्य पर पड़ेगा।
आखिर किस तथ्य की जांच करेगी कमेटी
जांच कमेटी आखिर किस तथ्य की जांच करेगी यह बड़ा सवाल है क्योंकि जहां भर्तियां हो गई है वहां जांच नही की जा रही जबकि कायदे से जांच वही की जानी चाहिए थी जहां भर्ती हो चुकी है। और भर्ती हुई तो शासन के नियम और गाइड लाइन के अनुसार हुई या नही, लेकिन यहां तो जहां भर्ती नही हुई है वहां जांच चल रही और जहां भर्ती हो चुकी उसे बिना जांच के सही मान लिया गया है।
क्या कमेटी ने अपना प्रतिवेदन जमा कर दिया?
उच्च शिक्षा विभाग आयुक्त कार्यालय से 24 अगस्त को आदेश जारी किया गया था जिसके अनुसार जांच कमेटी को 7 दिवस में अपना प्रतिवेदन जमा करना था लेकिन 7 दिवस से अधिक हो गए अभी तक कुछ पता नही चल पाया है। ऐसे में छात्रों को पढ़ाई ठप है कालेज में शिक्षक नही है जब शिक्षक आएंगे तो पढ़ाई शुरू हो पाएगी।
सरगुजा सम्भाग में सरकारी कॉलेजों पर निर्भरता
सरगुजा सम्भाग में ग्रामीण और आदिवासी अंचल ज्यादा है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रो के लोग सरकारी कॉलेजों पर ही निर्भर है। मजदूरों किसानों और मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे ज्यादा है जो बड़े कालेजों की बजाय सरकारी कॉलेजों के रुख करते हैं और सरकारी व्यवस्थाओं पर ही उनकी निर्भरता रहती है। ऐसी स्थिति में यदि अतिथि व्यख्याताओ की नियुक्ति में देरी होती है तो इसका सीधा असर कई ग्रामीण छात्र छत्राओ पर पड़ता है। ग्रामीण अंचल के छात्र छत्राओ ने एक स्वर में शासन से जल्द अतिथि व्य्याख्याताओ की नियुक्ति कर कालेजों में अध्यापन कार्य प्रारंभ कराए जाने की मांग किया है।
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