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कोरिया@महाविद्यालय शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव महाविद्यालय बैकुंठपुर से सेवानिवृत्त हो चुके प्रभारी प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता क्या अब अपनी पत्नी को अग्रणी महाविद्यालय का प्राचार्य बनवाने में लगे हैं

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क्या प्रीति गुप्ता शासकीय अग्रणी महाविद्यालय रामानुज प्रताप सिंहदेव की बनेंगी प्रभारी प्राचार्य और अपने पति के गुनाहों को ढकने का काम करेंगी?
पत्नी को प्राचार्य बनाने के लिए 5 लाख और अपना जीपीएफ पैसे को जांच से पहले निकलवाने के लिए महालेखाकार कार्यालय में पहुंचाए 2 लाख:सूत्र
क्या पति की वित्तीय अनियमितता को ढकने के लिए उच्च शिक्षा विभाग उनकी पत्नी को बनाएगा एक महाविद्यालय का प्राचार्य?

-न्यूज़ डेक्स-
कोरिया,09 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के अग्रणी म जिससे उनके द्वारा किए गए 26 सालों के भ्रष्टाचार पर वह पर्दा डाल सकें? अखिलेश चंद्र गुप्ता की पत्नी प्रीति गुप्ता वर्तमान में पोड़ी बचरा नवीन शासकीय महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य हैं जिन्हें अखिलेश चंद्र गुप्ता अग्रणी महाविद्यालय का प्राचार्य बनवाना चाहते हैं जैसी जानकारी सूत्रों द्वारा प्रदान की जा रही हैं,अब क्या यदि सूत्रों की प्रदान की गई जानकारी सही है तो अखिलेश चंद्र गुप्ता के भ्रष्टाचार जो उन्होंने 26 सालों तक प्रभारी प्राचार्य रहकर किया है पर उनकी पत्नी पर्दा डालने का काम करेंगी? वह उन भ्रष्टाचार को ढांकने का काम करेंगी यह सवाल खड़ा हो रहा है जब ऐसी जानकारी सामने आ रही है।
सूत्रों द्वारा बतलाया जा रहा है कि अपनी पत्नी को प्रभारी प्राचार्य शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव बैकुंठपुर बनाने के लिए अखिलेश चंद्र गुप्ता ने पांच लाख की सुविधा राशि उच्च स्तर पर पहुंचा दी है और जल्द ही उनकी पत्नी वर्तमान प्रभारी प्राचार्य की जगह प्रभारी प्राचार्य बनकर महाविद्यालय में नजर आयेंगी, सूत्रों के द्वारा दी गई यह जानकारी कितनी सही है इसका तो कोई दावा दैनिक घटती-घटना नहीं करता,लेकिन सूत्रों का कहना है कि अखिलेश चन्द्र गुप्ता ने अपने 26 सालों के भ्रष्टाचार को छिपाने ढकने के लिए अब अपनी पत्नी को आगे करने का निर्णय ले लिया है और वह इसके लिए पूरी तत्परता से प्रयास जारी रखे हुए हैं,बतलाया यह भी जा रहा है कि अखिलेश चन्द्र गुप्ता का आरएसएस प्रवेश भी इसी उद्देश्य से नजर आया था जिससे उनकी पत्नी के प्रभारी प्राचार्य वाले मामले में कोई अड़चन न आए और वर्तमान भाजपा शासनकाल में वह आराम से अपनी पत्नी को जिले के अग्रणी महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनवा ले जाएं,सूत्रों द्वारा यह भी बतलाया जा रहा है कि अखिलेश चन्द्र गुप्ता ने अपने जीपीएफ राशि के भुगतान के लिए भी दो लाख की राशि उच्च कार्यालय पहुंचा दी है जिससे जांच के दौरान ही उनका जीपीएफ फंड उन्हें प्रदान कर दिया जाए और वह जिसके बाद निश्चिंत हो सकें,बता दें कि अखिलेश चन्द्र गुप्ता के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए आशीष सोनी नाम के व्यक्ति ने पीएमओ में शिकायत की है जिसकी जांच फिलहाल जारी है और जिसके बाद से अखिलेश चंद्र गुप्ता परेशान हैं और वह जल्द से जल्द अपने जीपीएफ फंड भुगतान के प्रयास में लगे हैं जिससे भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने से पहले ही उनके स्वत्व उनके हाथों तक पहुंच जाए।

कांग्रेसी विचारधारा वाले सेवानिवृत्त प्राचार्य पर भाजपा मेहरबान क्यों?
अग्रणी महाविद्यालय बैकुंठपुर के प्रभारी प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए अखिलेश चंद्र गुप्ता को लेकर यह स्पष्ट है कि वह और उनका पूरा परिवार कांग्रेस विचारधारा से जुड़ा हुआ है और वह आरंभ से ही कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं,अब जब वह वित्तीय अनियमितता के मामले में शिकायत और जांच के दायरे में हैं और सरकार भाजपा की है तो फिर उन्हें मदद कौन कर रहा है। वैसे यदि मदद कर भी रहा है कोई तो क्यों जब विचारधारा ही अलग अलग है,क्या सत्ताधारी दल के लोगों को किसी आर्थिक प्रलोभन के लालच में तो नहीं मोह लिए हैं अखिलेश चंद्र गुप्ता।
सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य की वित्तीय अनियमितता के मामले में जांच में इतना विलंब क्यों?
कोरिया जिले के अग्रणी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा है,अखिलेश चंद्र गुप्ता 26 वर्षों तक महाविद्यालय में रहते हुए लंबा भ्रष्टाचार करते रहे हैं यह शिकायत पीएमओ में हुई जिसके बाद जांच के लिए पत्र कलेक्टर कोरिया के माध्यम से आयुक्त उच्च शिक्षा रायपुर भेजा गया है,पत्र भेजे जाने के बाद भी जांच को लेकर स्पष्ट स्थिति पता नहीं चल पा रही है, वित्तीय अनियमितता के मामले में हुई शिकायत मामले में जांच में विलंब समझ से भी परे है,क्या कोई है जो उनकी मदद कर रहा है और जांच को वह प्रभावित कर सकें इसके लिए उन्हें समय प्रदान करवाने में सहायक सिद्ध हो रहा है,वैसे जिस तरह के दस्तावेज महाविद्यालय से आरटीआई के तहत प्राप्त हुए हैं प्रथम दृष्टया ही वित्तीय अनियमितता साबित होती है,इसके बावजूद भी जांच में विलंब समझ से परे है।
क्या महाविद्यालय के भ्रष्टाचार के पैसे से सेवानिवृत्त प्राचार्य ने खरीदी है जमीन जिसकी रजिस्ट्री के लिए पहुंचे थे राजा साहब के पास?
क्या सेवा निवृत्त प्रभारी प्राचार्य ने महाविद्यालय में किए गए भ्रष्टाचार के पैसे से अपने लिए महल का सपना देखा है और वह एक महंगी जमीन खरीद चुके हैं,यह जमीन क्या कोरिया के राजा साहब की है जो बेशकीमती है,ऐसा सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अखिलेश चंद्र गुप्ता राजा साहब के पास पहुंचे थे और माना जा रहा है कि राजा साहब से खरीदी गई महंगी जमीन की रजिस्ट्री होनी बाकी है सौदा हो चुका है उसी संबंध में वह पहुंचे थे राजा साहब के पास,राजा साहब की जमीन बेशकीमती और बहुत महंगी बताई जाती है और उस जमीन को अन्य कोई नहीं खरीद सकता ऐसा माना जाता है।
यदि प्रीति गुप्ता बनी प्राचार्य और बिना जांच के सेवानिवृत्त प्राचार्य का जीपीएफ पैसा निकला तो खबर पर लगेगी मोहर
दैनिक घटती घटना को सूत्रों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि अखिलेश चन्द्र गुप्ता अब आरएसएस के रास्ते अपनी पत्नी प्रीति गुप्ता को अग्रणी महाविद्यालय का प्रभारी प्राचार्य बनवाने जा रहे हैं,इसके लिए कुछ सुविधा शुक्ल भी वह उच्च स्तर पर पहुंचा चुके हैं वहीं अपनी वित्तीय अनियमितता की जांच पूर्ण होने से पूर्व वह अपने जीपीएफ फंड की राशि भी निकलवाने के फिराक में हैं और इसका भी वह सुविधा शुक्ल पहुंचा चुके हैं,अब यदि इन दोनों मामलों में खबर सच हुई तो यह तय हो जाएगा कि दैनिक घटती घटना को सूत्रों से मिली जानकारी सही थी और खबर पर मुहर लग जाएगी।
डॉ. प्रीति गुप्ता की तानाशाही
डॉ. प्रीति गुप्ता का वाणिज्य विभाग एकलौता ऐसा विभाग है जिसमें अटैच बाथरूम अपने पति डॉ. ए. सी. गुप्ता के कार्य काल में नियम विरूद्ध तरीके से बिना किसी पूर्व अनुमति के निर्मित कराया गया था। उस बाथरूम में विभागाध्यक्ष के अलावा किसी को भी जाने की अनुमति नहीं है। बाकी समय उसमें भी ताला लगा रहता है। विभागाध्यक्ष के अलावा यदि उसी विभाग के किसी महिला को जाना होता है तो अन्यत्र जगह खोजना पड़ता है। चूंकि महाविद्यालय या कोई भी शासकीय संस्था किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं होती बल्कि सार्वजनिक संपत्ति होती है। लेकिन यह सब जानने के बाद भी उस वॉशरूम को व्यक्तिगत संपत्ति की तरह काम में लाया जा रहा है जो कि अत्यंत खेदजनक है। प्रीति गुप्ता द्वारा महाविद्यालय के नीचे काफी कक्षों को डॉ. ए. सी. गुप्ता के कार्यकाल में ही ले लिया गया था, उसमें एक कक्ष में कामर्स लैब के नाम पर कुछ सामान रखकर ताला लगाकर रखा गया है। सबसे मजेदार बात तो यह है कि लिपिक का एक रूम था उसको भी क्लास के नाम पर ले लिया गया है, उसमें बाहर आज भी लिपिक कक्ष लिखा हुआ है। महाविद्यालय के एक ही रूम में कई लिपिकों के साथ मुख्य लिपिक को भी बैठना पड़ता है।


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