कोरिया/सूरजपुर@संजय राठौर अपने बचने के लिए एआई का ले रहे सहारा?

Share

संजय राठौर तहसीलदार पर कार्यवाही करने से क्यों घबरा रहा शासन?
रिश्वतखोर संजय राठौर इतने ईमानदार हैं कि लोग उनका एआई से ऑडियो बना जबरदस्ती बदनाम कर रहे हैं?
संजय राठौर अपने बचने के लिए एआई का ले रहे सहारा?
-न्यूज़ डेक्स-
कोरिया/सूरजपुर 08  अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। रिश्वतखोर तहसीलदार संजय राठौर अब अपने आप को रिश्वतखोर से बाहर निकालने के लिए एआई टेक्नोलॉजी को बदनाम कर रहे हैं, उनका कहना है कि उनका जो रिश्वत वाला वीडियो वायरल हुआ है वह किसी ने एआई के माध्यम से बना कर उन्हें बदनाम करने का प्रयास कर रहा है, क्या ऐसा सही में हो रहा है या फिर इन्होंने तत्काल बचने के लिए एआई का सहारा लिया है? वैसे पीड़ित का कहना है कि ऑडियो/वीडियो ओरिजिनल है इसकी टेस्टिंग की जा सकती है शासन चाहे तो इस ऑडियो को टेस्ट करवा सकती है, पर क्या शान इसका टेस्ट कराएगी या फिर बचने के लिए तहसीलदार साहब खूब ऊंची पहुंच व पैसा का इस्तेमाल करेंगे? क्योंकि यही दो चीज है जो इन्हें बचा सकती है बाकी दस्तावेज तो इन्हें बच्चा नहीं सकते, क्योंकि इनके कारनामे कैसे हैं यह किसी से छुपा नहीं है आज नहीं तो कल न्यायालय में इन्हें मुकी खानी पड़ेगी, पूर्व भैयाथान तहसील के तहसीलदार के खिलाफ जनदर्शन में की गई शिकायत को अब लगभग 25 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही उसके खिलाफ सामने नहीं आई है। शिकायतकर्ता का कहना है कि कलेक्टर सुरजपुर ने जनदर्शन के दौरान यह आश्वासन दिया था कि मामला संभागीय आयुक्त कार्यालय भेजा जा रहा है, जांच की जाकर कार्यवाही होगी, परंतु इसके बाद से न जांच शुरू हुई, न किसी अधिकारी की जांच के लिए नियुक्ति की जानकारी दी गई।
इस पूरे प्रकरण ने अब प्रशासनिक पारदर्शिता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं
अगर फाइल आयुक्त कार्यालय भेजी जा चुकी है, तो जांच शुरू क्यों नहीं हुई?  पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि कलेक्टर जनदर्शन में हुई शिकायत की यदि फाइल संभागीय आयुक्त कार्यालय भेजी जा चुकी है तो जांच क्यों आखिर शुरू नहीं हुई, नियमानुसार कलेक्टर जनदर्शन में हुई शिकायत की प्रस्तावित कार्यवाही या उसके संबंध में अपनाई जा रही प्रकिया की जानकारी प्रदान किया जाना आवश्यक है और यह विषय समय सीमा में भी बंधा विषय बन जाता है, ऐसे में 25 दिनों बाद भी किसी प्रकार की कोई सुगबुगाहट नहीं सुनाई देना अजीब विषय है। फाइल यदि संभागीय आयुक्त कार्यालय भेजी गई तो क्या कार्यवाही वहां की गई, जांच दल का गठन किया गया या मामला जांच योग्य नहीं पाया गया यदि जांच दल का गठन हुआ तो क्या उसने जांच किया यदि जांच हुई तो क्या तथ्य सामने आए ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब अधूरे हैं जिनका जवाब अब शिकायतकर्ता जानना चाहता है।
संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अभी तक पुलिस प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई?
कलेक्टर जनदर्शन में की गई शिकायत की पुष्टि के लिए साक्ष्य भी शिकायतकर्ता ने प्रस्तुत किए, साक्ष्य सहित की गई शिकायत के बावजूद अब तक दोषी तहसीलदार पुलिस प्राथमिकी से बाहर क्यों है, आखिर पुलिस प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई,क्या मामला राजस्व विभाग के अधिकारी से जुड़ा है और दोषी राजस्व विभाग का अधिकारी है इसलिए न्याय के विपरीत अब अधिकारी को बचाने के प्रयास जारी हैं, आम इंसान पर बिना साक्ष्य ही प्राथमिकी दर्ज हो जाता है यदि शिकायत की जाए, तहसीलदार के मामले में हुई शिकायत तो साक्ष्य सहित है आखिर जिला प्रशासन और पुलिस क्यों मजबुर है क्यों वह अक्षम है? जो वह पुलिस प्राथमिकी दर्ज करने से बच रही है, क्या तहसीलदार राजस्व विभाग के पोल खोल सकते हैं, वरिष्ठ अधिकारियों को भी वह अपने साथ लपेट सकते हैं इसलिए तहसीलदार को हर हाल में बचाने का प्रयास जारी है,वैसे बताया जाता है कि तहसीलदार शातिर दिमाग वाले हैं और वह वरिष्ठ अधिकारियों को पोल पट्टी खोलने का भय दिखाकर अपने वश में भी शायद कर चुके हैं इसलिए उनके मामले में अब प्रशासन काफी हद तक उनके पक्ष में रहने मजबूर है।
शिकायत की स्थिति जनदर्शन पोर्टल पर अद्यतन  क्यों नहीं की जा रही है?
जैसा कि कलेक्टर जनदर्शन का एक नियम है कि शिकायतकर्ता को एक शिकायत नंबर प्रदान किया जाएगा और उसकी अद्यतन स्थिति वह लगातार जानता रहेगा जिससे वह अपनी शिकायत पर हुई या हो रही कार्यवाही से अवगत होता रहे और वह जान सके उसकी शिकायत पर हो रही शिकायत की स्थिति क्या है,वह इधर उधर न भटकने की बजाए खुद ऑनलाइन ही यह जान सके कि उसकी शिकायत के निराकरण की असल स्थिति क्या है, तहसीलदार की शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में किए जाने के बाद शिकायतकर्ता को शिकायत नंबर तो प्रदान किया गया लेकिन उसकी शिकायत पर हुई कार्यवाही या होने वाली प्रस्तावित कार्यवाही का कोई विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर अद्यतन नहीं किया जा रहा है जिससे शिकायतकर्ता परेशान है वह, वैसे तहसीलदार के शिकायत मामले में क्यों प्रशासन अपने ही नियमों कायदों को पालन करने से बच रहा है, क्यों वह कलेक्टर जनदर्शन के नियमों को ही हाशिए पर डाल रहा है यह बड़ा सवाल है।
क्या इस तरह की गंभीर शिकायतें केवल कागज़ों तक ही सीमित रह जाएँगी?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर जनदर्शन जैसे सीधे संवाद मंच पर की गई शिकायतें भी बिना कार्यवाही के लटक जाएँ, तो यह आम जनता के भरोसे को कमजोर करता है। कई लोगों का मानना है कि इस मामले में देरी “सिर्फ लापरवाही” नहीं बल्कि “जानबूझकर टालने” जैसी प्रतीत हो रही है। अब जनता यह जानना चाहती है कि प्रशासनिक स्तर पर इस शिकायत की वर्तमान स्थिति क्या है, और तहसीलदार पर कार्रवाई में इतनी देरी क्यों की जा रही है। फिलहाल, कलेक्टर कार्यालय, सुरजपुर और संभागीय आयुक्त कार्यालय, अंबिकापुर दोनों ही इस विषय पर चुप्पी साधे हुए हैं।
तहसीलदार का आरोपों पर बयान, एआई से बनाई गई ऑडियो,क्या तहसीलदार एआई विशेषज्ञ?
जिस ऑडियो के आधार पर शिकायत की गई जिसे शिकायत का आधार बनाया गया वह ऑडियो एआई तकनीक का उपयोग कर  बनाई गई है और मेरी छवि खराब करने की यह कोशिश है यह शिकायत के बाद तहसीलदार का बयान है,अब सवाल यह उठता है कि क्या तहसीलदार एआई तकनीक के विशेषज्ञ हैं,वह एआई के विषय में जिस विश्वास के साथ कह रहे हैं लगता तो यही है,वैसे इस मामले में जिला प्रशासन का मौन भी समझ से परे है,तहसीलदार के ऑडियो की जांच आखिर क्यों नहीं कराई जा रही है, क्या जांच तहसीलदार के पक्ष में कराए जाने का तो प्रयास नहीं है, क्या केवल दोषी राजस्व विभाग का अधिकारी है इसलिए उसके विषय में सच को झूठ साबित करना ही जांच का उद्देश्य होगा, सवाल कई हैं लेकिन जवाब का भी इंतजार है जो जवाब जिले के कलेक्टर को देना है क्योंकि उनके ही समक्ष फरियादी की फरियाद है।
आरोपी साबित होने पर निलंबित हो चुके तहसीलदार को लेकर भी प्रशासन आखिर क्यों यह सोचने मजबूर की शिकायत झूठी हो सकती है?
तहसीलदार के मामले में हुई शिकायत की जांच या तहसीलदार पर किसी कार्यवाही के इंतजार में शिकायतकर्ता 25 दिनों से परेशान है,वह शिकायत की स्थिति जानने लगातार चक्कर भी लगा रहा है, इधर तहसीलदार खुद विशेषज्ञ बन गए हैं और वह शिकायत के साक्ष्य को एक तकनीकी छल साबित करने बयान जारी कर रहे हैं,इस मामले में जिला प्रशासन के सामने जनता का एक सवाल और है कि जिस तहसीलदार के विरुद्ध हुई एक शिकायत की प्रथम दृष्टया जांच में तहसीलदार दोषी पाए गए निलंबित किए गए उन्हें बाद में अन्यत्र भेजा गया छिपाकर आदेश किया गया उसके मामले में शिकायत अन्य पर इतने विचार की क्या आवश्यकता,जो दोषी रह चुका है, जिसकी आदत में भ्रष्टाचार है वह भ्रष्टाचारी ही होगा वह हरिश्चंद्र राजा कैसे बन जाएगा तत्काल?


Share

Check Also

रायपुर@चैतन्य बघेल 12 नवंबर तक जेल में ही रहेंगे,रिमांड बढ़ी

Share रायपुर,21 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल …

Leave a Reply