महिला चिकित्सकों और निजी एम्बुलेंस की कार्यप्रणाली से मरीज बेहाल,स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर सवाल
-शमरोज खान –
सुरजपुर,28 सितंबर 2025(घटती-घटना)। जिला अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज इन दिनों परेशानी का सामना कर रहे हैं। यहाँ पदस्थ कुछ महिला चिकित्सकों पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वे मरीजों को उपचार देने के बजाय अपने पतियों द्वारा संचालित निजी अस्पतालों और सोनोग्राफी सेंटरों की ओर भेज रही हैं।
मरीजों को निजी एम्बुलेंस में ले जाया जा रहा
आरोप है कि जिला अस्पताल में पदस्थ महिला चिकित्सक न केवल मरीजों को निजी संस्थानों की ओर रिफर कर रही हैं, बल्कि उन्हें अपने परिचित निजी एम्बुलेंस संचालकों के माध्यम से सीधे उन अस्पतालों तक भेजा जा रहा है। इससे मरीजों को जिला अस्पताल की मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है और वे मजबूरन भारी भरकम खर्च उठाने पर बाध्य हो रहे हैं।
पूर्व कलेक्टर का आदेश और सुधार
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व के तात्कालिक कलेक्टर ने इस स्थिति को गंभीर मानते हुए सख्त आदेश जारी किया था। उन्होंने निर्देश दिया था कि यदि अस्पताल से या अस्पताल से 100 मीटर की परिधि में कोई निजी एम्बुलेंस संचालक,लैब या डायग्नॉस्टिक सेंटर का कर्मचारी सक्रिय पाया गया तो उसके खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस आदेश के बाद निजी अस्पताल संचालकों व लैब स्टाफ में हड़कंप मच गया था। नतीजा यह हुआ कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाएँ सुधर गई थीं और मरीजों को राहत मिली थी।
स्थानांतरण के बाद फिर बिगड़ी स्थिति
लेकिन कलेक्टर के स्थानांतरण के बाद हालात फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आए। अब मरीजों को जिला अस्पताल से बाहर भेजने का सिलसिला जोरों पर है। निजी अस्पतालों और डायग्नॉस्टिक सेंटरों का कारोबार एक बार फिर तेज हो गया है और जिला अस्पताल आने वाले मरीज परेशान हैं।
महिला चिकित्सकों पर सवाल
स्वास्थ्य विभाग जहाँ एक ओर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए लगातार अभियान चला रहा है,वहीं जिला अस्पताल में पदस्थ कुछ महिला चिकित्सक इस मुहिम को झटका देती नज़र आ रही हैं। बताया जाता है कि वे मरीजों को अपने ही परिवारजनों द्वारा संचालित अस्पतालों और सोनोग्राफी केंद्रों में जाने के लिए बाध्य कर रही हैं।
आर्थिक बोझ और अविश्वास
इस रवैये के कारण गरीब और मध्यमवर्गीय मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। जहाँ जिला अस्पताल में अधिकांश सेवाएँ निःशुल्क उपलब्ध हो सकती थीं, वहीं बाहर निजी संस्थानों में मरीजों को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है।
जनाक्रोश और प्रशासन से अपेक्षा
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि शासन-प्रशासन इस दिशा में शीघ्र कठोर कदम नहीं उठाता तो जिला अस्पताल की स्थिति और बिगड़ेगी। सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि पूर्व कलेक्टर की तरह ही सख्त कार्रवाई हो और निजी अस्पतालों व एम्बुलेंस संचालकों की मनमानी पर लगाम कसी जाए।
वर्तमान कलेक्टर से जनता की उम्मीद
लोगों को वर्तमान कलेक्टर से काफी उम्मीदें हैं। जनता चाहती है कि वे भी अपने पूर्ववर्ती की तरह सख्त कदम उठाएँ और जिला अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करें। यदि जिला प्रशासन निष्पक्ष जाँच कर दोषियों पर कार्रवाई करता है तो न केवल मरीजों का भरोसा लौटेगा, बल्कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाएँ भी धरातल पर उतरेंगी।
 
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