- नगर पंचायत पटना ने सत्यम ट्रेडर्स द्वारा निर्मित नाली को गुणवत्ताविहीन किया घोषित
- अध्यक्ष की दो टूक गुणवत्ता से नहीं किया जाएगा समझौता,निर्माण कार्यों की गुणवत्ता होगी प्राथमिकता
कोरिया/पटना,10 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। नव गठित नगर पंचायत पटना की प्रथम अध्यक्ष गायत्री सिंह ने एक बड़े निर्णय के साथ यह चेतावनी देने की कोशिश की है कि नगर में वह निमार्ण कार्यों को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेंगी और इसके लिए सभी निर्माण एजेंसी सजग हो जाएं और गुणवत्ता से वह समझौता न करें। नगर में निर्मित एक नाली निर्माण मामले में निर्माण एजेंसी को उन्होंने नोटिस थमा दिया है और बनाई गई नाली को ध्वस्त कर पुनः निर्माण का आदेश एजेंसी को दिया है। यह नाली इमली चौक से सत्ती मंदिर तक बनाई गई थी जिसका जिम्मा भाजपा नेता की निर्माण एजेंसी के पास था। भाजपा नेता की एजेंसी के द्वारा किए गए निर्माण को अमान्य किए जाने के बाद अब यह तो स्पष्ट हो गया कि नगर की प्रथम अध्यक्ष गायत्री सिंह नगर में भ्रष्टाचार या गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्यों को लेकर अपने बयान पर अडिग रहने वाली हैं और जैसा उन्होंने पूर्व में ही चेता दिया था कि निर्माण कार्यों में की गई किसी भी तरह की कोताही या भ्रष्टाचार बर्दास्त नहीं किया जाएगा और ऐसा करने वाले के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।
बता दें कि इमली चौक से लेकर सत्ती मंदिर तक बनाई गई नाली गुणवत्ता विहीन है यह आरोप वार्ड वासियों सहित वार्ड पार्षद लगा रहे थे,आरोप की जांच के लिए अध्यक्ष स्वयं जब मुख्य नगर पालिका अधिकारी के साथ मौके पर पहुंची तो उन्होंने भी गुणवत्ता में भारी कमी पाई और उन्होंने तत्काल निर्माण कार्य को ध्वस्त कर पुनः निर्माण की बात कही। इस संबंध में अब कार्यालय से निर्माण एजेंसी को नोटिस भेजा गया है और पुनः निर्माण के लिए एजेंसी को चेता दिया गया है। प्रथम अध्यक्ष के निर्देश पर हुई इस कार्यवाही के बाद अब अध्यक्ष की सराहना भी हो रही है और लोगों का कहना है कि इस तरह की कार्यवाही से भविष्य में अन्य भी निर्माण एजेंसियां सतर्क रहेंगी और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से समझौता नजर नहीं आयेगा। भाजपा नेता की एजेंसी पर हुई इस कार्यवाही के बाद यह भी स्पष्ट हो गया कि चाहे कोई भी क्यों न हो नगर हित के आगे किसी का हित महत्वपूर्ण नहीं होगा जो अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है। नगर पंचायत अध्यक्ष गायत्री सिंह अपनी तेज तर्रार छवि के लिए पहले से ही जानी जाती हैं और पंचायत समय के अपने कार्यकाल के अपने अनुभवों से वह काफी कुछ समझ निर्माण कार्यों को लेकर रखती हैं और इसीलिए उन्हें यह भांपने में समय नहीं लगा कि निर्माण एजेंसी जिसके पास नाली निर्माण का जिम्मा है वह गुणवत्ता का ध्यान बिल्कुल नहीं रख रहा है वहीं जिसके कारण ही पार्षद सहित वार्ड वासियों का विरोध दर्ज होता नजर आ रहा है। यह कार्यवाही उन नगरीय निकायों के लिए भी नजीर बन सकती है जहां गुणवत्ता का विषय मायने नहीं रखता केवल और केवल अपनी जेब ही भरना निर्माण एजेंसियों की फितरत जहां नजर आती है,जिले में दो अन्य नगरीय निकायों की बात की जाए तो जिला मुख्यालय में तो निर्माण कार्यों की गुणवत्ता खुद एक ठेकेदार तय कर देता है जो पार्षद पति है,अधिकाशं निर्माण कार्यों के लिए अकेले ही एजेंसी बनकर काम करने वाले पार्षद पति की एजेंसी के निर्माण कार्यों की यदि जांच की जाए सभी निर्माण कार्य अमान्य किए जाने योग्य पाए जाएंगे ऐसा कई अन्य निर्माण एजेंसियां खुद कहती सुनी जा सकती हैं लेकिन पार्षद पति होना और अध्यक्ष का संरक्षण मिलना उन्हें नगर में वह भी जिला मुख्यालय में ऐसा करने की छूट देता है और वहां लगातार निर्माण कार्य मामले में गुणवत्ता से परहेज नजर आता है।