- आज आदिवासी के घर टूटने पर चिल्लाने वाले नेता…क्या उनके ही प्रभावशाली पिता पर आदिवासी बच्चों के हक लूटने के आरोप नहीं थे?
- कांग्रेस सरकार में कार्यवाही क्यों नहीं हुई…क्या राजनीतिक संरक्षण ढाल बन गया था?
- भाजपा शासन में फाइल खोज शुरू, पर दस्तावेज अब तक नहीं मिले।
- फाइल मिलेगी या नहीं,कार्यवाही होगी या नहीं…यह बड़े सवाल अब भी हवा में तैर रहे हैं।
- 2018 से 2021 तक जमकर हुआ घोटाला… 2021 में जांच पूरी…पर फाइल अब लापताःसूत्र

-न्यूज डेस्क-
कोरिया/एमसीबी,05 दिसम्बर 2025 (घटती-घटना)। अविभाजित कोरिया जिले में सरकारी फाइलें गायब होना कोई नई बात नहीं है,लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर है,एकलव्य आवासीय विद्यालय पोड़ीडीह में 2018 से 2021 के बीच हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार की जांच फाइल ही गायब हो गई है, 29 जून 2023 को दैनिक घटती-घटना ने पूरे मामले को उजागर किया था…लेकिन आज तक न कार्यवाही हुई…न फाइल का कोई पता है…कोरोना में विद्यालय बंद…छात्र नहीं…फिर भी खरीदारी करोड़ों में हुई थी, इसी घोटाले की जांच 2021 में एसडीएम स्तर पर हुई थी और भ्रष्टाचार की पुष्टि भी हुई थी, लेकिन आज न जांच रिपोर्ट मिल रही है…न फाइल का लोकेशन पता है…और न किसी अधिकारी पर कार्यवाही का नामोनिशान …फाइलों को पर लग गए या उड़ाई गईं? सरकारी गलियारों में बड़ा सवाल जांच फाइल किस टेबल से किस टेबल तक गई, और आखिर गायब कहां हो गई? जिला प्रशासन पूरी तरह निरुत्तर है। एकलव्य आवासीय विद्यालय पोडीडीह, खड़गवां में वर्ष 2018 से 2021 तक करोड़ों की खरीदी में हुए भ्रष्टाचार की जांच 2021 में पूरी हो चुकी है, पर कार्यवाही आज तक नहीं हुई,जांच प्रतिवेदन में अनियमितताओं की स्पष्ट पुष्टि हुई विद्यालय बंद था,छात्र नहीं थे, फिर भी बड़ी मात्रा में खरीदी दर्ज की गई, क्रय समिति के सदस्यों ने बयान दिया कि उन्हें समिति में शामिल होने की जानकारी तक नहीं थी,और कई बयानों में दबाव डालकर हस्ताक्षर कराने की बात सामने आई,छात्रावास निरीक्षण में गद्दों से लेकर यूनिफॉर्म, खेल सामग्री, शौचालय और बेसिक सुविधाओं में भारी गड़बडि़यां मिलीं,तत्कालीन प्राचार्य जो स्वयं विकासखंड शिक्षा अधिकारी थे, जांच में संदिग्ध पाए गए,पर राजनीतिक संरक्षण के कारण कार्यवाही लंबित है,जांच रिपोर्ट उस समय के वर्तमान कलेक्टर के पास थी पर आज कहां है,पता नहीं है, मगर यह फाइल मिलेगी या नहीं आगे बढ़ेगी या ठंडे बस्ते में जाएगी अब बड़ा सवाल है।
राजनीतिक पहुँच का सहारा या सिस्टम की लाचारी?
सूत्रों का दावा है कि तत्कालीन विकासखंड शिक्षा अधिकारी सह प्राचार्य सत्ताधारी दल के प्रभावशाली लोगों के निकट बताए जाते हैं,और उनके घर के सदस्य भी सक्रिय राजनीति में हैं, जांच में अनियमितताओं की पुष्टि के बावजूद ना निलंबन, ना एफआईआर,ना विभागीय दंड इससे यह सवाल और गहरा हो जाता है कि क्या राजनीतिक संरक्षण की छतरी भ्रष्टाचारियों को बचा रही है?
आदिवासी का घर टूटा तो दर्द? पर आदिवासी बच्चों का हक लुटा था… तब चुप क्यों थे कांग्रेस के नेता?
आज कांग्रेस के वही नेता आदिवासी परिवारों के घर टूटने पर मंच से आक्रोश बरसा रहे हैं,लेकिन सवाल बड़ा है क्या इसी आदिवासी समाज के बच्चों के हक पर डाका डालने के आरोप उनके ही परिवार पर नहीं लगे थे? एकलव्य आवासीय विद्यालय पोड़ीडीह भ्रष्टाचार मामले में आरोप उसी नेता के तत्कालीन प्रभावशाली पिता पर जांच प्रतिवेदन में आए थे,क्या कांग्रेस सरकार में उनकी पकड़ की वजह से ही वह पूरे मामले में बच गए? यदि आज आदिवासियों के लिए इतनी‘पीड़ा’महसूस होती है,तो जब आदिवासी बच्चों की मूल सुविधाएँ लूटी जा रही थीं,तब दर्द कहाँ था? राजनीति का यह ढोंग कब तक? जनता अब समझ चुकी है मंच पर भावनाएँ दिखाना आसान है,पर जब कार्यवाही करनी थी तब फाइलें ही गायब हो गईं,और यह विडंबना देखिए एकलव्य विद्यालय भ्रष्टाचार की वही जांच फाइल आज तक खोजी जा रही है,फाइल किस जिले में है? कोरिया या एमसीबी स्वयं प्रशासन भी स्पष्ट नहीं! जांच अविभाजित कोरिया जिले में हुई थी, बाद में क्षेत्र एमसीबी जिले में चला गया,विशेष सूत्रों के अनुसार फाइल को एमसीबी भेजा गया था या नहीं, इसका अब तक कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं।
दैनिक घटती-घटना फाइल गुम होने की पुष्टि नहीं करता…
आज स्थिति यह है की कोरिया जिले में फाइल नहीं मिल रही है, एमसीबी जिले में भी फाइल है या नहीं,इसका स्पष्ट उत्तर नहीं, शासन प्रशासन की टीम फाइल ढूंढ रही है,पर फाइल अब तक लापता,दैनिक घटती-घटना फाइल गुम होने की पुष्टि नहीं करता, पर फाइल की खोज तेज चल रही है यह बात पक्के सूत्रों से सामने आई है,भाजपा शासन में फाइल मिलेगी या नहीं? कार्यवाही होगी या नहीं? आज भाजपा सरकार में इस फाइल को ढूंढने की प्रक्रिया फिर शुरू हुई है,लेकिन यह फाइल मिलेगी भी या नहीं? मिलेगी तो खुलेगी? खुलेगी तो कार्रवाई होगी? या यह भी पिछली सरकार की तरह किसी टेबल पर गायब करके छोड़ दिया जाएगा? यह सारे सवाल अब समय के गर्भ में हैं।
भाजपा सरकार में खोज शुरू…पर परिणाम अनिश्चित
फाइल ढूंढी जा रही है,पर अब तक नहीं मिली। मिलेगी तो खुलेगी? खुलेगी तो कार्यवाही होगी? या यह फाइल भी उन मामलों में जुड़ जाएगी जो सत्ता बदलने के बाद भी सिर्फ खोज का विषय बने रहते हैं?
एकलव्य आवासीय विद्यालय पोड़ीडीह में करोड़ों का खेल?
2018 से 2021 तक खरीदी में जमकर भ्रष्टाचार,जांच में पुष्टि… फिर भी कार्रवाई का इंतज़ार,भ्रष्टाचार अब प्रदेश की व्यवस्था में ऐसे घुल चुका है मानो कैंसर हो गया हो। शिक्षा के मंदिर भी इसकी मार से अछूते नहीं बचे। ऐसा ही एक मामला एकलव्य आवासीय विद्यालय पोड़ीडीह,खड़गवां से जुड़ा है, जहाँ वर्ष 2018 से 2021 के बीच खरीदी के नाम पर करोड़ों की अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, शिकायत पर हुई एसडीएम राजस्व खड़गवां स्तर की जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी जिम्मेदार पर कार्यवाही नहीं हुई,कोरोना में हॉस्टल बंद,फिर भी जमकर खरीदी,एकलव्य विद्यालय आदिवासी विद्यार्थियों के लिए संचालित एक महत्वाकांक्षी आवासीय योजना है। मगर आरोप है कि कोरोना काल में जब विद्यालय व छात्रावास बंद थे,छात्र उपस्थित ही नहीं थे,तब भी जमकर खरीदी दिखाई गई,तत्कालीन प्राचार्य,जो उसी समय विकासखंड शिक्षा अधिकारी भी थे,के कार्यकाल में यह सारी खरीदी हुई। जांच प्रतिवेदन के अनुसार,उन्हीं के कार्यकाल में खरीदी प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं पाई गईं।
क्रय समिति में नाम तो है,पर हमें पता ही नहीं था…
जांच के दौरान विद्यालय के अधिकारी-कर्मचारियों और क्रय समिति सदस्यों के बयान दर्ज किए गए,कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए कई कर्मचारियों ने बयान दिया कि उन्हें यह तक नहीं मालूम था कि वे क्रय समिति के सदस्य हैं,समिति की कभी बैठक नहीं हुई,रजिस्टर और फाइलों में दबाव बनाकर हस्ताक्षर कराए गए,एक चौकीदार ने तो यह तक कहा कि क्रय रजिस्टर में किया गया हस्ताक्षर उसका है ही नहीं,ग्राम पंचायत पोड़ीडीह के सरपंच का भी कहना है कि उन्हें क्रय समिति में सदस्य बनाए जाने की जानकारी कभी नहीं दी गई, केवल‘सामग्री सत्यापन’ के नाम पर रजिस्टर व लिफाफों में हस्ताक्षर कराए गए, जबकि व्यय की राशि तक दर्ज नहीं थी।
आदिवासी हित पर आँसू पर आदिवासी बच्चों के हक पर चुप्पी क्यों?
आज कांग्रेस नेता मंच पर दर्द दिखा रहे हैं,पर उसी आदिवासी समाज के बच्चों का हक लुटा था तब आवाज क्यों नहीं उठी? उनके ही पिता पर आरोप थे…क्या यही वजह थी कि जांच आगे नहीं बढ़ी?
फाइल किस जिले में है कोरिया या एमसीबी? किसी को खबर नहीं…
अविभाजित कोरिया में जांच शुरू,फिर क्षेत्र एमसीबी जिले में चला गया, आज की स्थिति में दोनों जिलों में फाइल का कोई पक्का रिकॉर्ड नहीं,जांच प्रतिवेदन, दस्तावेज…सब खोज में।
जांच में उजागर अनियमितताएँ…कागज में खरीदी,जमीन पर गायब…
सूत्रों से मिले दस्तावेजों और जांच प्रतिवेदन के अनुसार पिछले 5 वर्षों में 310 गद्दों की खरीदी दर्शाई गई, पर भौतिक सत्यापन में केवल 196 नए गद्दे मिले,छात्रावास का हाल पुराने गद्दे,मटमैली चादरें, बदबूदार कमरे, गंदे शौचालय,टूटा वॉश बेसिन व ड्रेनेज पाइप, बच्चों के लिए खरीदी गई कैरम-चेस जैसी इनडोर गेम सामग्री कागज़ों में,पर बच्चे फटी हुई पुरानी फुटबॉल से खेलते मिले,स्कूल यूनिफॉर्म 2 सेट देने का प्रावधान,मगर कई छात्र-छात्राओं को सिर्फ 1 सेट दिया गया, प्रति छात्र 2 तौलिया का प्रावधान, पर 1 ही तौलिया मिलने की बात सामने आई,जांच अधिकारी जब छात्रावास पहुंचे तो ऑटोमेटिक शू-पॉलिशर मशीन और एग-बॉयलर मशीन परिसर में मिली ही नहीं, जबकि कागजों में उनकी खरीदी दर्ज थी,कई रजिस्टर,स्टॉक पंजी, मेस पंजी,उपस्थिति पंजी,खरीदी विवरण पंजी आदि या तो प्रभार के समय दिए ही नहीं गए,या अधूरे/संदिग्ध स्थिति में मिले।
फाइल अब नवीन कलेक्टर के पास-कार्यवाही या ठंडा बस्ता?
जानकारी के अनुसार,पूरी जांच रिपोर्ट और संबंधित दस्तावेज नवगठित जिले के कलेक्टर,एमसीबी के समक्ष प्रस्तुत हुआ था अब पूरा मामला इस सवाल पर अटका था की क्या नए कलेक्टर रिपोर्ट के आधार पर कठोर कार्यवाही करेंगे पर इसका जवाब समय के साथ मिला की नहीं क्योकि कार्यवाही हुई नहीं कांग्रेस नेता के पिता होने की वजह से राजनीतिक दबाव के चलते यह फाइल भी किसी अलमारी में धूल फांकती होगी या गुम होने की कगार पर होगी?
शिक्षा के मंदिर में सेंध…आदिवासी बच्चों के अधिकारों पर वार
एकलव्य आवासीय विद्यालय आदिवासी समुदाय के बच्चों को सुविधाजनक आवास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बेहतर भविष्य देने के लिए बनाया गया था, लेकिन जांच से सामने आई तस्वीर यह बताती है कि जो व्यवस्था बच्चों को सुरक्षा और सुविधा देना चाहती थी, वहीं उनके हक पर डाका डालने का माध्यम बन गई, गद्दों, यूनिफॉर्म, खेल सामग्री, बुनियादी सुविधाओं तक में कटौती कर, कागज़ पर खरीदी दिखाकर भ्रष्टाचार किया गया।
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