
मनेन्द्रगढ़/केल्हारी,02 दिसंबर 2025 (घटती-घटना)। जिले के कछौड़ धान खरीदी केंद्र में खरीफ वर्ष 2025-26 की धान खरीदी प्रक्रिया किसानों की परेशानी और आक्रोश का केंद्र बनी हुई है। 15 नवंबर से प्रारम्भ हुई धान खरीदी के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रति मि्ंटल ?3100 की दर और प्रति एकड़ 21 मि्ंटल धान खरीदी का वादा किया गया था, किंतु ज़मीनी स्तर पर किसानों को केवल 15 मि्ंटल प्रति एकड़ के टोकन जारी किए जा रहे हैं। किसानों का कहना है कि टोकन कटवाने के समय ही अधिकतम 15 मि्ंटल की सीमा थोप दी जा रही है, जिससे वास्तविक उपज का बड़ा हिस्सा बिक नहीं पा रहा है। यह स्थिति किसानों की आर्थिक स्थिति को सीधे प्रभावित कर रही है।
क्या है किसानों का आरोप
1 नमी जांच में अनावश्यक सख्ती
2 खरीदी प्रक्रिया में जानबूझकर देरी
3 केंद्र में बारदानों की भारी कमी
4 किसानों के साथ सही व्यबहार नही
5 टोकन जारी करने में मनमानी
पूर्व विधायक ने व्यवस्था पर उठाए सवाल
पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने भी खरीदी केंद्र में बारदानों की कमी को मुख्य कारण बताते हुए कहा कि यह प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने किसानों की समस्याओं को लेकर लगातार प्रशासन से सवाल जवाब उठाए हैं। वही किसानों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन केल्हारी द्वारा 15 मि्ंटल से अधिक के टोकन जारी करने पर मौखिक रोक लगा दी गई है,जिससे उनकी नाराज़गी और बढ़ गई है।
कछौड़ खरीदी केंद्र में कांग्रेस ने सुनी किसानों की पीड़ा
किसानों की बढ़ती समस्याओं और प्रशासनिक उदासीनता को लेकर आज धान खरीदी केंद्र कछौड़ में जिला मीडिया प्रभारी कांग्रेस पार्टी संदीप द्विवेदी के नेतृत्व में किसानों की बैठक आयोजित की गई,इस दौरान बड़ी संख्या में किसान उपस्थित हुए और अपनी समस्याओं को विस्तार से रखा। किसानों की पीड़ा सुनने के बाद उपस्थित कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रबंधन के रवैये पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया, किसानों की मांगों और शिकायतों को संकलित कर एसडीएम केल्हारी को औपचारिक ज्ञापन भी सौंपा गया, जिसमें प्रति एकड़ 21 मि्ंटल के सरकारी वादे के अनुसार तुरंत टोकन जारी हों, खरीदी केंद्र में बारदाना उपलब्ध कराया जाए साथ ही नमी जांच के नाम पर की जा रही मनमानी रोकी जाए सबन्धी मांगे रखी गई।
किसानों की समस्या का हो निराकरण
किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने कहा कि कछौड़ धान खरीदी केंद्र की स्थिति यह स्पष्ट करती है कि प्रशासन और किसानों के बीच समन्वय की भारी कमी है,किसान जहां अपनी उपज बेचने को लेकर चिंतित और परेशान हैं, वहीं प्रशासनिक स्तर पर संवेदनशीलता और तत्परता नहीं दिखाई दे रही, किसानों की उम्मीद है कि ज्ञापन के बाद प्रशासन जल्द निर्णय लेकर वास्तविक समस्याओं का समाधान करेगा,ताकि धान खरीदी प्रक्रिया सुचारू, पारदर्शी और किसान हितैषी बन सके।
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