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कोरिया/पटना@क्या पटना के भ्रष्टाचार का अंत शुरू हो चुका है या यह सिर्फ पहला दरार है?

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  • पटना नगर पंचायत में बड़ा घोटाला उजागर…मुख्य नगरपालिका अधिकारी सिकंदर सिदार निलंबित
  • विभागीय जांच में मिली अनियमितताओं की पुष्टि…अब होगी आगे कड़ी कार्यवाही…
  • दैनिक घटती-घटना की खबर का असर… आखिरकार हुई बड़ी कार्रवाई…
  • कई दिनों से लगातार प्रकाशित खुलासों ने हिलाया पूरा सिस्टम…
  • नगर पंचायत पटना में फैला भ्रष्टाचार अब विभाग कार्रवाई की मोड में…
  • निकाय निधि के पैसों में हुआ भारी भ्रष्टाचार…सरकार ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की…


-रवि सिंह-
कोरिया/पटना,28 नवंबर 2025(घटती-घटना)।
खबरें हमने लिखींऔर आखिरकार सच जीत गया…क्या पटना के भ्रष्टाचार का अंत शुरू हो चुका है या यह सिर्फ पहला दरार है? नगर पंचायत पटना की गड़बडि़यों पर महीनों से परत-दर-परत चढ़ाई गई चुप्पी को आखिरकार तोड़ने का श्रेय किसी सरकारी आदेश को नहीं, बल्कि लगातार उठाई गई हमारी पत्रकारिता की आवाज़ को जाता है, सरकार ने कार्रवाई की,यह स्वागत योग्य है, लेकिन सवाल इससे बड़े हैं, क्योंकि अगर हर निलंबन सिर्फ एक डेटा एंट्री बनकर रह जाए तो यह राज्य की प्रशासनिक विश्वसनीयता पर सबसे गहरा सवाल है, सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि नगर पंचायत पटना में जो हुआ, वह कोई एक अधिकारी की गलती न थी और न है,यह पूरे सिस्टम की व्यवस्थित बीमारी है जहाँ नियम किताबों में हैं,पर फैसले ‘सुविधा’ देखकर लिए जाते हैं,नगर पंचायत पटना में निर्माण कार्यों के भुगतान से लेकर निकाय निधि के उपयोग तक फैल चुके भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप आखिर सच साबित हो गए। छत्तीसगढ़ शासन, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री सिकंदर सिदार को निलंबित कर दिया है। यह निलंबन छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 के उल्लंघन के तहत किया गया है, शासन के आदेश (फाइल नंबर.: जेन-11/4856/ 2025-्यूएडी, दिनांक 26-11-2025) में स्पष्ट कहा गया है कि विभिन्न निर्माण कार्यों के भुगतान में गंभीर अनियमितताएँ,निकाय निधि के खर्च में नियमों को ताक पर रखा गया, जांच में तथ्य प्रमाणित पाए गए, जांच में यह साफ पाया गया कि नगर पंचायत पटना में कार्यों के निष्पादन के दौरान वित्तीय अनियमितताएँ,अनुचित भुगतान,और नियमों के विरुद्ध फैसले किए गए,जिससे निकाय को आर्थिक नुकसान पहुँचा।
बता दे की दैनिक घटती-घटना ने नगर पंचायत पटना की गड़बडि़यों पर सिर्फ एक खबर नहीं चलाई,लगातार, बार-बार,हर कोण से,हर दस्तावेज़ के साथ तथ्यों को सामने रखा,तभी जाकर सरकार को जागना पड़ा, जब सीएमओ छुट्टी पर थे हमने सवाल उठाया,जब छुट्टी से लौटे हमने सिस्टम को चुनौती देने वाली कार्यशैली उजागर की,जब निकाय निधि में खेल हुआ दस्तावेज़ों के साथ पूरा फाइल-ट्रेल छापा,जब भुगतान और निर्माण कार्यों में अनियमितता दिखी पूरा सबूत जनता के सामने रखा और अबज् सरकार को कार्रवाई करनी ही पड़ी खबरों ने दबाव बनाया, नगर पंचायत पटना में चल रही मनमानी,बंदरबांट और सिस्टम को खुली चुनौती देने की शैली को लेकर दैनिक घटती-घटना ने जो अभियान चलाया था, वही आज सरकारी कार्रवाई का आधार बना,आपने पिछले दिनों पढ़ा हो की वही सीएमओ, जिनके लौटते ही फिर शुरू होगा वही खेल वाली हकीकत सामने आई,वही भ्रष्टाचार फाइल,जिसका भुगतान रिकॉर्ड हमने पेज-दर-पेज खोला,वही निरीक्षण में उड़ाई गई धूल, जिसे हमने प्वाइंट-बाय-प्वाइंट एक्सपोज़ किया, वही निकाय निधि का खेल, जिसे हमने प्रमाण के साथ पब्लिक में रखा, अब विभागीय कार्रवाई यह साबित करती है “जब पत्रकारिता सच्ची और सबूत आधारित हो, तो सिस्टम झुकता है। खबर का असर साफ है अब पटना के फाइलों पर ताले नहीं, जांच की मुहर लगेगी।


निलंबन के बाद सिदार को अंबिकापुर भेजा गया,मुख्यालय चिह्नित
आदेश में कहा गया है कि निलंबन अवधि में सिदार का मुख्यालय संयुक्त संचालक,नगरीय प्रशासन एवं विकास,अंचल कार्यालय अंबिकापुर रहेगा,उन्हें शासनानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।


सरकार की बड़ी कार्रवाई…भ्रष्टाचार पर जीरो-टॉलरेंस का संकेत
नगर पंचायत पटना में लंबे समय से निर्माण मद,खरीद मामलों और भुगतान प्रक्रिया को लेकर शिकायतें उठती रही थीं। विभागीय जांच के बाद सरकार की यह कार्रवाई कई सवालों के जवाब देती है क्या नगर पंचायत के ठेके और भुगतान एक तय सिंडिकेट की तरह चलते थे? क्या निकाय निधि को नियमविहीन तरीके से खर्च किया गया? क्या अधिकारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था? अब निलंबन के बाद यह मामला और बड़ा रूप लेने वाला है,क्योंकि विभाग ने आगे अनुशासनात्मक कार्यवाही भी शुरू करने के संकेत दिए हैं।
दैनिक घटती-घटना की रिपोर्टिंग फिर साबित हुई सही…
नगर पंचायत पटना में लगातार सामने लाई जा रही अनियमितताओं पर दैनिक घटती-घटना की रिपोर्ट पहले दिन से स्पष्ट थी,निकाय निधि में भारी खेल चल रहा है,निर्माण मद में अनियमित भुगतान हो रहे हैं और अधिकारी नियमों को धता बता रहे हैं, आज शासन के निलंबन आदेश ने उस पत्रकारिता को प्रमाणित कर दिया है।
भ्रष्टाचार सिर्फ फाइलों में नहीं होता भरोसे में भी होता है…
जब कोई अधिकारी छुट्टी के बाद लौटकर उसी अंदाज में काम शुरू कर देता है,जिस अंदाज में उसे रोकने के लिए जनता, मीडिया और विभाग तीनों संघर्ष कर रहे हों तो यह सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, व्यवस्था को खुलेआम दी गई चुनौती होती है, पटना नगर पंचायत में यही तो हुआ था और यही वह सच था, जिसे हमने पन्ने दर पन्ने उजागर किया।
पत्रकारिता जब प्रमाणों पर टिके तो सरकारें भी चुप नहीं रह सकतीं
दैनिक घटती-घटना ने जिन फाइलों के पन्ने दिखाएं, जिन कार्यों की जांच के दस्तावेज पब्लिश किए, जिन भुगतानों का हिसाब हमने टेबल पर रखा उन्हें नकारना सरकार के लिए भी संभव नहीं था, इसलिए आज की कार्रवाई का पूरा श्रेय जनता और पत्रकारिता दोनों को जाता है।
पत्रकार के विचार…असली लड़ाई अभी बाकी है…
निलंबन आदेश किसी भी बड़े भ्रष्टाचार में ट्रेलर होता है,फिल्म नहीं, अगर यह फाइल यहीं बंद हो गई तो यह न्याय नहीं, एक नई अन्याय की शुरुआत होगी,नगर पंचायत पटना में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं, जो अधिकारी आज गिरा है,उसके पीछे खड़े लोग अभी भी सुरक्षित हैं, उनकी पहचान, उनका रोल और उनका शेयर अब इन्हें उजागर करना प्रशासन और सरकार की जि़म्मेदारी है, अंत मेंज् पत्रकारिता की जीत तभी कहलाएगी,जब जनता का पैसा जनता तक पहुँचे और नगर पंचायत पटना जैसी संस्थाएं व्यक्तिगत दुकानें नहीं, लोकतांत्रिक संस्थाएं बनकर काम करें,आज एक अधिकारी गिरे हैं कल व्यवस्था बदले,यही पत्रकारिता का लक्ष्य है और यही दैनिक घटती-घटना का वादा।


दैनिक घटती-घटना की जिम्मेदार पत्रकारिता…जनता की जीत
हमने न तो प्रेशर लिया…न धमकियों से घबराए…खबरों को न दबाया…न मोड़ा…और न ही किसी दबाव में फाइलें बंद कीं…अब सरकार की कार्रवाई से यह सिद्ध हो गया कि पत्रकारिता का असर होता है सच सामने रखा जाए तो दाल नहीं गलती…निकाय निधि के भ्रष्टाचार को छिपाने वाले अब बच नहीं पाएँगे
क्या सरकार कार्रवाई कर रही है…या कार्रवाई होती दिखा रही है?
हमारी खबरों के बाद विभाग ने निलंबन का आदेश जारी किया…ठीक है,लेकिन यह शुरुआत है,अंत नहीं…
क्योंकि…
जो भुगतान फर्जी थे…उनकी रिकवरी कौन करेगा?
जिन कार्यों में अनियमितता हुई…उसका जिम्मेदार सिर्फ एक अधिकारी हैं या पूरा नेटवर्क?
जो राजनीतिक संरक्षण मिला…उसकी जांच कौन करेगा?
जो फाइलें गायब हुईं…उनका हिसाब कौन देगा?
अगर यह सब नहीं हुआ…तो आज की कार्रवाई महज़ “पब्लिक साइलेंसर” बनकर रह जाएगी…


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