
पूरे प्रदेश भर के नगरीय निकायों में मूर्ति स्थापित करने के लिए एक ही व्यक्ति को कैसे मिला काम, क्या हुई बहुत बड़ी सेटिंग?
- क्या भाजपा अपने ही पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा को भ्रष्टाचार मामले में झोंक रही है?
- नगरीय निकायों में स्थापित करने से पहले प्रतिमा का क्या तौल किया गया?
-न्यूज डेस्क-
रायपुर,23 नवम्बर 2025 (घटती-घटना)। प्रदेशभर के नगरीय निकायों में लगाए जा रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमाओं को लेकर अब बेहद गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, सबसे बड़ा सवाल क्या खरीदी गई प्रतिमाएँ धातु की शुद्धता, वजन और मानक गुणवत्ता पर खरी हैं या इन सबमें भारी चोरी हुई है? इन आरोपों को विपक्ष नहीं, बल्कि प्रदेश के कई नगरीय निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधि उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि प्रतिमाएँ न तो बताए गए वजन की हैं, न धातु शुद्धता की जांच हुई और पूरे प्रदेश में प्रतिमाएँ एक ही फर्म से खरीदी गईं—जो साफ़ तौर पर ‘सेटिंग’ की ओर इशारा करता है। क्या प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में स्थापित की जा रही पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी बाजपेई जी की प्रतिमाएं शुद्धता में और वजन में उस मानक को प्राप्त कर रही हैं जिस मानक अनुसार खरीदी की गई है? या खरीदी के दौरान मानक की अनदेखी हुई है और प्रतिमाओं की शुद्धता और उसके वजन में चोरी हुई है? ऐसा सवाल इसलिए क्योंकि यह सवाल अब नगरीय निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधि ही उठा रहे हैं और उनका मानना है कि प्रतिमाएं न तो वजन में उस मानक को प्राप्त कर रही हैं जिस मानक के वजन का भुगतान किया गया है प्रदाय करने वाली फर्म को न ही वह उस धातु की ही शुद्ध रूप से है जिस धातु का पैसा भुगतान किया गया है,क्या आरोप अनुसार चोरी हुई है,मानक का ध्यान न देकर क्या मूर्ति खरीदी में बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है,यह अब निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की तरफ से ही सवाल है,वहीं प्रतिमाओं की खरीदी के दौरान केवल एक ही फर्म को कैसे सभी नगरीय निकायों में प्रतिमा प्रदाय करने की जिम्मेदारी मिल सकी यह भी एक सवाल है,क्या एक ही फर्म को सभी नगरीय निकायों में प्रतिमा प्रदाइत करने सेटिंग से कार्यादेश प्राप्त हुआ?क्या प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने ही दल के पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा स्थापना के नाम पर भ्रष्टाचार किया? ऐसे कई सवाल उठ रहे हैं और जवाब देने की बजाए सरकार की तरफ से निर्देश है कि प्रतिमाएं स्थापित करने सभी तैयारी पूर्ण की जाए जिससे एक साथ सभी जगह की प्रतिमाएं अनावरित की जा सके, वैसे सभी नगरीय निकायों में प्रतिमा के अनावरण की तिथि 22 नवंबर तय थी जो अपरिहार्य कारणों से स्थगित की गई है और आगामी तिथि के लिए निर्देश प्राप्ति का बस नगरीय निकायों को इंतजार है, वैसे प्रतिमाएं सीधे जहां स्थापित की जानी हैं वहीं पहुंचाई गई हैं, प्रतिमा प्राप्ति के दौरान कोई वजन तौल का मामला नहीं देखने को मिला ऐसा आरोप लगाने वाले ही बता रहे हैं,और अब आरोप लगाने वालों की बात क्या सत्य है,क्या सही में प्रतिमा बिना वजन और गुणवत्ता जांच के ही स्वीकार की गईं हैं,यह भी एक प्रश्न है? पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी बाजपेई जी भाजपा के पितृ पुरुष माने जाते हैं और छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की घोषणा उनके ही केंद्रीय सत्ता के कार्यकाल में हुआ था इन विषयों को ही ध्यान में रखते हुए प्रदेश स्थापना के 25 वें वर्ष जब सरकार रजत जयंती मना रही है तब प्रदेश के नगरीय निकायों में स्व अटल बिहारी जी की प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं, राज्य गठन के लिए धन्यवाद ज्ञापित करने के उद्देश्य से प्रतिमाएं स्थापित किया जाना भले ही सही है,जायज है लेकिन प्रतिमाएं कम से कम शुद्धता और वजन के मानक में सही हों यह आवश्यक है,और यही आरोपों के पीछे का उद्देश्य नजर आ रहा है।
क्या भाजपा अपने ही पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा को भ्रष्टाचार के विवाद में धकेल रही है?
स्व. अटलजी भाजपा के पितृ पुरुष माने जाते हैं, राज्य निर्माण की घोषणा भी उनके कार्यकाल में हुई थी, ऐसे में रजत जयंती वर्ष पर उनकी प्रतिमा स्थापना का उद्देश्य सम्मान का होना चाहिए था… पर अब पूरा मामला ‘खरीदी में भ्रष्टाचार’ के आरोपों में उलझ गया है, यही सवाल अब खुले आम उठ रहा है क्या अटल जी की प्रतिमा के नाम पर भ्रष्टाचार हुआ?
क्या प्रतिमाओं का तौल ही नहीं हुआ? जनप्रतिनिधियों ने लगाए गंभीर आरोप
प्रतिमाएँ सीधे स्थापना स्थल पर भेज दी गई, प्रतिमा पाने वाले जनप्रतिनिधियों ने स्वयं बताया, न भेजने से पहले वजन तौला गया, न पहुंचने के बाद किसी प्रकार का निरीक्षण हुआ, न गुणवत्ता परीक्षण, न धातु की चेकिंग यानि करोड़ों की सरकारी खरीदी में ‘वजन जांच’ जैसा बुनियादी नियम तक पालन नहीं हुआ।
कांसे की प्रतिमा खरीदी गई…लेकिन क्या प्रतिमा कांसे की है भी?
कांसा एक महंगी धातु है, और सरकार ने उसी के आधार पर भुगतान किया, पर सवाल यह कि क्या प्रतिमाओं की धातु का लैब-टेस्ट हुआ? क्या किसी निकाय ने प्रतिमा की शुद्धता प्रमाणित करवाई? क्या यह सुनिश्चित किया गया कि दी गई प्रतिमा कांसे की ही है? जनप्रतिनिधियों का दावा ‘किसी भी निकाय में कोई परीक्षण नहीं हुआ, इससे सीधा संदेह खड़ा होता है कि धातु की शुद्धता में भारी गड़बड़ी हो सकती है।
800 किलो का दावा…लेकिन जमीन पर वजन कौन जानता है?
बताया गया है कि हर प्रतिमा का वजन 800 किलो तक है,पर आरोप है कि वजन कभी तौला ही नहीं गया,प्रमाण-पत्र नहीं दिया गया,और कई स्थानों पर प्रतिमा अपेक्षा से हल्की महसूस हो रही है,यहाँ सवाल वही पुराना लेकिन खतरनाक क्या कागज़ों में 800 किलो लिखकर असल में कम वजन की मूर्तियाँ भेजी गईं?
अलग-अलग निकायों में अलग-अलग रेट,एक धातु, एक फर्म, फिर भी अलग कीमत?
सबसे चौंकाने वाली बात यह कि एक ही धातु, एक ही डिजाइन,एक ही फर्म वही काम,फिर भी अलग-अलग नगरीय निकायों में अलग-अलग रेट दिखाए गए हैं, यह सीधा संकेत देता है कि ‘रेट का खेल’ हुआ और अंतर की रकम कहीं और गई।
पूरे प्रदेश की प्रतिमाओं का जिम्मा एक ही फर्म को—क्या यह ‘सबसे बड़ा सेटिंग पॉइंट’ है?
जनप्रतिनिधियों का सबसे गंभीर आरोप—अलग-अलग निकाय,अलग-अलग बजट, अलग-अलग टेंडर प्रक्रिया होनी चाहिए थी,पर सब जगह सिर्फ एक ही फर्म को काम मिला यह स्थिति खुद ही सवाल बन गई. क्या पूरा सिस्टम पहले से सेट था?
प्रतिमा अनावरण की तिथि अचानक स्थगित—क्या विवाद बढ़ने के कारण?
22 नवंबर को प्रदेशव्यापी अनावरण होना था, पर अचानक ‘अपरिहार्य कारणों’ से स्थगित कर दिया गया,निकायों का मानना है कि जैसे ही सवाल उठे, सरकार बैकफुट पर गई और तिथि टालनी पड़ी।
अंतिम और सबसे बड़े सवाल…जिनका जवाब अब सरकार से ही मांगा जाएगा
- प्रतिमा की धातु का टेस्ट किसने और कब किया?
- वजन कहाँ तौला गया और उसका रिकॉर्ड कहाँ है?
- एक ही फर्म को पूरे प्रदेश का काम कैसे मिला?
- अलग-अलग रेट का आधार क्या है?
- क्या यह पूरा मामला ‘अटल प्रतिमा खरीदी घोटाला’ बन रहा है?
- सरकार जवाब क्यों नहीं दे रही—सिर्फ अनावरण की तैयारी क्यों करवा रही है?
घटती-घटना – Ghatati-Ghatna – Online Hindi News Ambikapur घटती-घटना – Ghatati-Ghatna – Online Hindi News Ambikapur