- इधर समितियों में रबी सीजन के लिए डीएपी-यूरिया का संकट
- प्रशासन का पूरा फोकस सिर्फ धान खरीदी पर…किसानों को खाद-बीज कौन देगा?
- कर्ज, परमिट, खाद-बीज उठाव सब ठप्प,किसान भटक रहे,फसल का भविष्य अंधेरे में




-रवि सिंह-
कोरिया,22 नवंबर 2025 (घटती-घटना)। जिले की सहकारी समितियों में इस बार रबी सीजन के शुरुआती दौर में ही खाद संकट ने किसानों की कमर तोड़ दी है। डीएपी, यूरिया और इफको खाद की भारी कमी के चलते किसान समिति और सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं, रबी सीजन शुरू हो चुका है,गेहूं,चना, सरसों,मसूर और तिलहन-दलहन बोआई का समय निकल रहा है, लेकिन समितियों में खाद की उपलब्धता शून्य जैसी है, रबी सीजन की शुरुआत में ही खाद संकट, कर्मचारी हड़ताल और प्रशासनिक लापरवाही ने किसानों की कमर तोड़ दी है, सरकार धान खरीदी को अपनी उपलब्धि साबित करने में जुटी है, लेकिन खेती की जड़ों, खाद, बीज, परमिट और कर्ज को अनदेखा किया जा रहा है, सबसे बड़ा सवाल किसान खेती कैसे करे, जब खाद-बीज ही उपलब्ध न हों?
कर्मचारी हड़ताल पर,समितियों में किसानों को सुनने वाला कोई नहीं
समिति कर्मचारी लगातार हड़ताल पर हैं। उनकी गैर-मौजूदगी में समितियों की पूरी व्यवस्था चरमरा चुकी है, कर्ज चुकता करना, परमिट काटना, खाद उठाव, बीज वितरण सभी काम ठप्प हैं,प्रशासन ने प्रभार में नए कर्मचारियों को बैठाया है पर किसानों के अनुसार उन्हें समितियों का अनुभव ही नहीं,वे सिर्फ धान खरीदी में उलझे हुए हैं।
नए कर्मचारियों का फोकस सिर्फ धान खरीदी तक,बाकी काम बिल्कुल बंद
सरकार ने कृषि अधिकारियों व पंचायत सचिवों को अस्थायी तौर पर समिति संचालन का काम दिया है, लेकिन वे धान खरीदी में उलझे हुए हैं, प्रशासन बाहर संदेश देने में लगा है कि कर्मचारी हड़ताल के बावजूद धान खरीदी सुचारू है,पर जमीनी हकीकत यह है कि धान खरीदी किसी तरह हो रही है, और बाकी सभी कार्य पूरी तरह ठप हैं किसानों को न कोई सुनने वाला, न कोई मार्गदर्शन देने वाला।
सोनहत में डीएपी का एक भी बोरा नहीं,रजौली,रामगढ़, सोनहत तीनों समितियों में स्टॉक खत्म
पूरे जिले में डीएपी की किल्लत तो है ही,लेकिन सोनहत में एक भी बोरा उपलब्ध नहीं है,रजौली व रामगढ़ समितियों में तो इफको और यूरिया तक नहीं है, गेहूं बोआई का समय निकल रहा है और तिलहन-दलहन फसलों के लिए यह समय सबसे महत्वपूर्ण होता है,किसान परेशान जाएं तो जाएं कहाँ?
डीएपी क्यों ज़रूरी?
जड़ों को करता है मजबूत,प्रारंभिक विकास पर सीधा असर फास्फोरस पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और अंकुरण में सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, नाइट्रोजन, फास्फोरस फसल का आधार इस कमी का सीधा असर उत्पादन, पौध विकास और भविष्य की पैदावार पर पड़ता है, तिलहन-दलहन के लिए डीएपी अनिवार्य, रबी सीजन के शुरुआती चरण में डीएपी उपलब्ध न होना मतलब, फसल की नींव कमजोर उत्पादन कम किसानों का नुकसान निश्चित।
क्या किसान फिर महंगे दामों में खरीदेंगे खाद?- कमी इतनी विकराल है कि सवाल उठ रहा है क्या किसान फिर निजी दुकानों से महंगे दामों में खाद खरीदने को मजबूर होंगे? यदि ऐसा हुआ तो फसल लागत बढ़ जाएगी, मुनाफा घटेगा और किसान आर्थिक संकट में फंस जाएंगे।
खाद नहीं मिलने से किसानों में भारी नाराज़गी- किसानों ने कई बार समिति कर्मचारियों से संपर्क किया, पर हड़ताल के कारण कोई सुनवाई नहीं, नए कर्मचारी खुलकर कह रहे, “पुराने कर्मचारी ही जानेंगे, हमसे नहीं होगा।” किसान सवाल पूछ रहे हैं, क्या खाद-बीज से ज्यादा महत्वपूर्ण धान खरीदी है?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संगठनों की प्रतिक्रियाएँ

खाद आपूर्ति के लिए सोमवार को ज्ञापन सौंपेंगे:रुद्र साहू-
सांसद प्रतिनिधि रुद्र साहू बोले खाद नहीं मिलने से किसान त्रस्त हैं, गेहूं-चना की बोआई अटकी पड़ी है, सोमवार को खाद आपूर्ति के लिए ज्ञापन सौपेंगे।

जल्द खाद न आई तो समितियों का घेराव करेंगे:प्रकाश चंद्र साहू
यूथ कांग्रेस अध्यक्ष ने चेतावनी दी, किसान परेशान हैं, शासन-प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा। आपूर्ति जल्द नहीं हुई तो आंदोलन और घेराव किया जाएगा।

किसानों पर किसी का ध्यान नहीं:पुष्पेंद्र राजवाड़े-
कोरिया जन सहयोग समिति अध्यक्ष बोले, खाद-बीज नहीं, दलहन के बीजों का अब तक आबंटन तक नहीं हुआ। प्रशासन किसानों को सबसे आखिर में देख रहा है।
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