बिलासपुर,10 नवम्बर 2025। प्रेम विवाह के बाद ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखने वाली पत्नी ने अपने जैन पति पर धर्म बदलने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया। पत्नी का कहना है कि शादी के बाद पति और उसके परिवार वालों ने उसे ईसाई धर्म छोड़कर जैन धर्म अपनाने को कहा। विरोध करने पर पति उसे अपने साथ ससुराल नहीं ले गया। मजबूरी में वह पिछले काफी समय से अपने मायके में ही रह रही है। पत्नी ने पति के खिलाफ भरण-पोषण की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पत्नी ने कोर्ट को बताया कि उसे गंभीर शारीरिक समस्याएं हैं, कमर और सीने के इलाज में हर माह 20 से 25 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं। उसके पास खुद का कोई आय स्रोत नहीं है। वहीं पति पेशे से इंजीनियर है और हर महीने 85,940 रुपए तनख्वाह प्राप्त करता है।
फैमिली कोर्ट का आदेश
फैमिली कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पति को पत्नी को हर माह 12 हजार रुपए भरण-पोषण देने का आदेश दिया। अब पत्नी को हर माह 12 हजार रुपए भरण-पोषण मिलना तय है। फैमिली कोर्ट के फैसले को पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। पति की ओर से कहा गया कि पत्नी शिक्षित है और खुद खर्च उठा सकती है। लेकिन हाईकोर्ट ने यह दलील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के पास कोई आय नहीं है, पति की आय स्पष्ट और स्थिर है। पत्नी को सहायता देना कानूनी और नैतिक दायित्व है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही मानते हुए पति की अपील खारिज कर दी।
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