रायगढ़,09 नवम्बर 2025। न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट रायगढ़ के न्यायाधीश श्री देवेंद्र साहू ने नाबालिग से दुष्कर्म के एक गंभीर मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास एवं 5000 के अर्थदंड से दंडित किया है। यह फैसला पीडि़ता के लिए न्याय की बड़ी जीत साबित हुआ है। इस प्रकरण में अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक श्री मनमोहन सिंह ठाकुर ने प्रभावी पैरवी की, जबकि विवेचना उपनिरीक्षक गिरधारी साव, थाना जूटमिल द्वारा अत्यंत तत्परता और विधिसम्मत ढंग से की गई। गिरधारी साव की सटीक विवेचना और ठोस साक्ष्य संकलन के चलते न्यायालय में अभियोजन पक्ष को सफलता मिली। घटना 10 जुलाई 2024 की रात की है। प्रकरण दर्ज कराते हुए पीडि़ता की बड़ी बहन ने 11 जुलाई 2024 को थाना जूटमिल में रिपोर्ट (क्रमांक 324/2024 धारा 64 बीएनएस एवं 4 पॉक्सो एक्ट) दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि आरोपी आकाश यादव पिता भुजबल यादव उम्र 21 वर्ष, निवासी निगम कॉलोनी बजरंगपारा जूटमिल, ने उसके साथ रह रही नाबालिग बहन के साथ दुष्कर्म किया। रिपोर्ट मिलते ही पुलिस ने तत्काल प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जांच प्रारंभ की। उस समय थाना प्रभारी निरीक्षक मोहन भारद्वाज के निर्देशन में महिला पुलिस अधिकारी दीपिका निर्मलकर ने पीडि़ता का कथन दर्ज किया।
तत्पश्चात विवेचना की जिम्मेदारी उपनिरीक्षक गिरधारी साव को सौंपी गई। गिरधारी साव ने नए आपराधिक कानूनों के तहत विवेचना की प्रत्येक प्रक्रिया को क्रमबद्ध और सटीक रूप से अंजाम दिया। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण कर वीडियोग्राफी कराई, भौतिक साक्ष्य एकत्र किए, आरोपी को शीघ्र गिरफ्तार किया और सभी दस्तावेज विधिक रूप से तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत किए। विवेचक ने पीडि़ता की उम्र संबंधी दस्तावेजों, मेडिकल रिपोर्ट और प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के कथन को समय पर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया, जिससे अभियोजन पक्ष मजबूत स्थिति में रहा।
न्यायालय ने समग्र साक्ष्यों का परीक्षण करने के बाद आरोपी आकाश यादव को दोषी ठहराया और 4 नवंबर को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। पुलिस अधीक्षक श्री दिव्यांग कुमार पटेल ने जिले में लंबित व गंभीर अपराधों में त्वरित विवेचना और दोषसिद्धि सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्हीं के निर्देशों के अनुरूप जूटमिल पुलिस ने इस प्रकरण को प्राथमिकता दी और मात्र डेढ़ वर्ष में न्यायिक परिणाम सुनिश्चित कर दिया। यह मामला इस बात का उदाहरण है कि अगर विवेचना वैज्ञानिक, संवेदनशील और साक्ष्य-
आधारित हो, तो न्यायिक प्रक्रिया तेज और प्रभावी परिणाम दे सकती है। इस मामले में उपनिरीक्षक गिरधारी साव की सूझबूझ, पेशेवर दक्षता और कानून की गहरी समझ ने न केवल पुलिस विभाग की साख बढ़ाई बल्कि पीडि़ता और समाज में न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास को भी मजबूत किया। रायगढ़ पुलिस की इस सफलता ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि नाबालिगों के साथ होने वाले अपराधों पर सख्त कार्रवाई और त्वरित न्याय ही समाज में सुरक्षा और न्याय की भावना को सशक्त बना सकते हैं।
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