- आत्मानंद विद्यालयों में किस समूह को मिलेगा मध्याह्न भोजन संचालन का दायित्व ऑपरेटर करता है तयःसूत्र
- ऑपरेटर के रिश्तेदार करते हैं एक से अधिक स्कूलों में मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का संचालन,शिकायत पर जांच भी ऑपरेटर ही कर लेता हैःसूत्र
- ऑपरेटर नहीं है नियमित कर्मचारी फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में हर जगह है उसकी धमकःसूत्र
- सूरजपुर के दो भाइयों के आत्मानंद विद्यालयों में लिपिक बनने के पीछे भी ऑपरेटर की मिल सकती है भूमिकाःसूत्र

-संवाददाता-
कोरिया,30 अक्टूबर 2025
(घटती-घटना)।
कोरिया जिले के आत्मानंद विद्यालयों के संचालन को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल उठने लगे हैं,सूत्रों का दावा है कि जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय,बैकुंठपुर में पदस्थ एक ऑपरेटर इन विद्यालयों के लगभग हर फैसले में मुख्य भूमिका निभा रहा है चाहे बात मध्याह्न भोजन कार्यक्रम की हो,कर्मियों की नियुक्ति की या शिकायतों की जांच की,सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह ऑपरेटर न तो नियमित कर्मचारी है,न ही संविदा पर नियुक्त,फिर भी डीईओ कार्यालय में इसकी धमक इतनी है कि अफसर तक इसके प्रभाव से इंकार नहीं कर पाते।
आपको बता दे की कोरिया जिले में आत्मानंद विद्यालयों के संचालन में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के एक ऑपरेटर की भूमिका सामने आ रही है जो इन विद्यालयों के माध्यम से अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचा रहा है और ऐसा वह डंके की चोट पर कर रहा है ऐसा सूत्रों का कहना है,ऑपरेटर न नियमित कर्मचारी है और न ही वह संविदा कर्मचारी है ऐसा सूत्रों का कहना है फिर भी वह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय कोरिया में आत्मानंद विद्यालयों के मामले में सर्वेसर्वा है और सभी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है,आखिर ऑपरेटर कौन है जो इतना प्रभावशाली है जो हर निर्णय आत्मानंद विद्यालयों के मामले में स्वयं लेता है यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर उसके पीछे किसका हांथ है,और वह क्यों इतना प्रभावशाली है जबकि वह स्कूल शिक्षा विभाग का न नियमित कर्मचारी है न संविदा कर्मचारी है एक ऑपरेटर मात्र है,यह ऑपरेटर ही तय करता है कि कहां किस समूह को काम मिलेगा,शिकायत पर जांच भी आत्मानंद विद्यालय मध्यान्ह भोजन समूहों की यह खुद करता है और यहां तक कि कई विद्यालयों में इसके ही रिश्तेदार मध्याह्न भोजन कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं वहीं कई जगह एक ही समूह कार्यरत है ऐसा सूत्रों का दावा है,ऑपरेटर आत्मानंद विद्यालयों की भर्तियों में भी भूमिका निभाता है और सूत्रों की माने तो सुरजपुर के दो सगे भाइयों की आत्मानंद विद्यालयों में कोरिया जिले के नियुक्ति भी इसके ही प्रयासों से हुई है क्योंकि दोनों भाइयों की नियुक्ति अन्य जगह कहीं न होकर केवल कोरिया जिले में हुई है जो अपनी मनमानी कर रहे हैं और विद्यालय जाने की बजाए घूमकर वेतन पा रहे हैं,दोनों भाइयों की नियुक्ति में जुगाड का खेल ऑपरेटर ने खेला है ऐसा सूत्रों का दावा है,सूत्रों के दावे की हम पुष्टि तो नहीं करते लेकिन यदि ऐसी बातें आ रही हैं तो जांच होनी चाहिए ऐसा कुछ लोगों का कहना है कि आखिर कैसे दो सगे भाई केवल कोरिया जिले में पात्र हुए और उनकी भर्ती हुई जबकि वह अपने जिले में कहीं चयनित नहीं हुए,वैसे यदि यह बातें सही हैं तो जांच होनी चाहिए।
शिकायत होने पर जांच का भी खेल तय
सूत्रों का दावा है कि जैसे ही किसी विद्यालय या समूह से संबंधित शिकायत की सुगबुगाहट होती है,ऑपरेटर सक्रिय हो जाता है,वह अधिकारियों पर दबाव डालकर अंदरूनी जांच करवाता है और शिकायत को झूठा साबित करवा देता है, कहा जा रहा है कि ऑपरेटर अधिकारियों की ‘कमजोर कड़ी’ को भलीभांति जानता है और इसी वजह से कोई भी उसके खिलाफ खुलकर बोलने से डरता है।
संभावित जांच और अगला कदम
सूत्रों के अनुसार,खबर सामने आने के बाद कार्यालय स्तर पर औपचारिक जांच का दिखावा किया जा सकता है, संभावना यह भी है कि जांच में मामले को सही बताया जाए, जैसा पहले भी कई बार हुआ है,हालांकि,यदि निष्पक्ष जांच की गई तो कई बड़े नामों के सामने आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
घटती-घटना ने समाचार का परीक्षित स्वर और चेतावनी
दैनिक घटती-घटना इस रिपोर्ट में किए गए किसी भी आरोप की पुष्टि नहीं करता,रिपोर्ट सूत्रों से प्राप्त जानकारी और स्थानीय स्तर पर हुई चर्चा पर आधारित है,हमारी रिपोर्ट का उद्देश्य किसी व्यक्ति को बिना प्रमाण बदनाम करना नहीं है पर सार्वजनिक हित में यह आवश्यक है कि शिक्षा विभाग और शासन-स्तर पर यह स्पष्ट किया जाए कि क्या ऐसे आरोप सत्य हैं और किस तरह की सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी, जब तक त्वरित और पारदर्शी जांच नहीं होती,तब तक शिक्षा व्यवस्था का भरोसा बहाल नहीं हो पाएगा,यदि प्रशासन चाहे तो इस मामले में स्वतंत्र जांच कर वास्तविक स्थिति स्पष्ट कर सकता है।
कौन करेगा मध्यान्ह भोजन संचालन फैसला भी ऑपरेटर का?
सूत्रों के अनुसार,कोरिया जिले के आत्मानंद विद्यालयों में यह ऑपरेटर ही तय करता है कि किस विद्यालय में कौन-सा समूह मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम का संचालन करेगा, बताया गया है कि ऑपरेटर के रिश्तेदारों के समूह एक से अधिक विद्यालयों में यह कार्य कर रहे हैं,यह भी आरोप है कि शिकायत आने पर जांच भी वही ऑपरेटर खुद करता है, जिससे कई बार मामले अंदरूनी स्तर पर निपटा दिए जाते हैं।
भर्ती में भी प्रभावशाली भूमिका,दो सगे भाइयों की नियुक्ति पर उठे सवाल
सूत्रों का यह भी कहना है कि सूरजपुर जिले के दो सगे भाई,जो वर्तमान में कोरिया जिले के आत्मानंद विद्यालयों में लिपिक के पद पर पदस्थ हैं, उनकी नियुक्ति में भी इसी ऑपरेटर की भूमिका रही है,दोनों भाइयों का चयन केवल कोरिया जिले में हुआ,जबकि उनके गृह जिले में वे चयनित नहीं हुए,सूत्र बताते हैं कि दोनों भाई विद्यालय गए बिना वेतन प्राप्त करते हैं और प्राचार्य सहित कार्यालय से उन्हें विशेष संरक्षण मिला हुआ है।
ऑपरेटर और प्राचार्य की मिलीभगत का आरोप
कई सूत्रों का कहना है कि कुछ विद्यालयों के प्राचार्य भी इस ऑपरेटर के नज़दीकी हैं,बताया गया है कि इन विद्यालयों में प्राचार्य और ऑपरेटर की आपसी समझ के चलते नियमों की अनदेखी होती है,दोनों सगे भाइयों के बिना कार्य किए वेतन पाने के पीछे भी उन्हीं का गठजोड़ बताया जा रहा है।
मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में गड़बड़ी की आशंका
आत्मानंद विद्यालयों में छात्रों की संख्या अधिक है,लेकिन मध्यान्ह भोजन करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, सूत्र बताते हैं कि सभी छात्रों की उपस्थिति दर्ज कर भोजन की मात्रा अधिक दिखाकर बचत राशि से लाभ कमाने की प्रवृत्ति बढ़ी है, इसमें लाभ का हिस्सा कई स्तरों तक पहुंचता है यही वजह है कि इन विद्यालयों में पदस्थापना के लिए होड़ मची रहती है।
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