बीजापुर@बीजापुर में 51 नक्सलियों ने किया सरेंडर

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23 पर था 66 लाख का इनाम,आत्मसमर्पण करने वालों में 9 महिलाएं और 42 पुरुष माओवादी शामिल

बीजापुर,29 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बुधवार को 51 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया। सरेंडर करने वाले नक्सलियों में 9 महिला और 42 पुरुष माओवादी शामिल हैं। इनमें 23 नक्सलियों पर कुल 66 लाख रुपये का इनाम घोषित था।जिसमें 8 लाख के पांच, 5 लाख का एक, 2 लाख के 7 और 1 लाख के 7 नक्सली शामिल हैं। इन नक्सलियों में अलग-अलग स्तर के माओवादी कार्यकर्ता शामिल हैं। इनमें पीएलजीए बटालियन और कंपनी नंबर 01, 02 और 05 के 5 सदस्य, एरिया कमेटी और प्लाटून से जुड़े 7 सदस्य, एलओएस (स्थानीय संगठन स्मड) के 3 सदस्य, 1 मिलिशिया प्लाटून कमांडर, 14 मिलिशिया प्लाटून सदस्य, और जनताना सरकार, डीएकेएमएस और सीएनएम संगठनों के 20 सदस्य शामिल हैं।
सरकार और पुलिस की पहल
एसपी ने बताया कि राज्य शासन की पूना मारगेम योजना का मकसद नक्सलियों को हिंसा छोड़कर समाज में वापस लाना है। आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को पुनर्वास योजना के तहत 50,000 रुपए की सहायता राशि दी जाएगी।
पिछले एक साल में बड़ी सफलता : बीजापुर जिले में वर्ष 2025 के दौरान अब तक 461 माओवादी मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। वहीं 138 माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए और 485 गिरफ्तार किए गए।वर्ष 2024 से अब तक जिले में कुल 650 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, जबकि 986 को गिरफ्तार किया गया है।
8 लाख के पांच नक्सलियों ने किया सरेंडर
सरेंडर करने वालों में 8 लाख रुपए के पांच इनामी नक्सलियों बुधराम पोटाम, मनकी कोवासी, हुंगी सोढ़ी, रविंद्र पुनेम और देवे करटाम जैसे सक्रिय माओवादी भी शामिल हैं।
सरकार की पुनर्वास नीति से जुड़ रहे नक्सली
एसपी डॉ. जितेंद्र कुमार यादव बोले- सरकार की पुनर्वास नीति माओवादियों को मुख्यधारा की ओर आकर्षित कर रही है। अब उनके परिवार भी चाहते हैं कि वे सामान्य जीवन जिएं। हमने सभी से अपील की है कि वे भ्रामक विचारधारा छोड़कर समाज के साथ जुड़ें।
रेड कार्पेट स्वागत के साथ मुख्यधारा में लौटे 21 नक्सली,कांकेर में बड़ी सफलता
छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर में सक्रिय रहे 21 माओवादी नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। इन नक्सलियों ने कुल 18 हथियार पुलिस को सौंपे। नक्सलियों का स्वागत आज जंगलवार कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में रेड कारपेट के साथ किया गया। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने उन्हें संविधान की प्रति सौंपकर मुख्यधारा में लौटने का प्रतीकात्मक स्वागत किया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने नक्सलवाद समाप्त करने के अभियान में इस साल अपनी रणनीति बदलते हुए एनकाउंटर की जगह समर्पण को प्राथमिकता दी है। पुलिस ने नक्सलियों को साफ संदेश दिया कि यदि वे आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने को तैयार हैं, तो उनका स्वागत किया जाएगा, अन्यथा सुरक्षा बलों का सामना करना पड़ेगा। इसका असर भी दिखा और इसी महीने जगदलपुर में 208 नक्सलियों ने 109 हथियारों के साथ सरेंडर किया था। आज कांकेर जिले के दो एरिया कमेटियों के 21 नक्सलियों ने एक साथ हथियार पुलिस के हवाले किए। यह आत्मसमर्पण इस बात का संकेत है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद घट रहा है।

और पुलिस की रणनीति सफल हो रही है। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने कहा कि एक समय था जब नक्सलियों के पोलिट ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में लगभग 45 सदस्य थे। 2025 की शुरुआत में यह संख्या घटकर 18 सदस्य रह गई थी और 2025 के अंत तक केवल 6-7 सदस्य दक्षिण बस्तर के जंगलों में छिपे हैं। आईजी ने दक्षिण बस्तर में छिपे नक्सलियों से अपील की कि वे समय रहते आत्मसमर्पण कर लें, अन्यथा डीआरजी और सुरक्षा बल से निपटना उनके लिए मुश्किल होगा।
नक्सलियों का मुख्यधारा में लौटना
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए विभिन्न सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है। बस्तर पुलिस और प्रशासन का यह कदम न केवल सुरक्षा बलों के लिए बल्कि स्थानीय जनता के लिए भी शांति और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर पुलिस की सक्रिय रणनीति और आत्मसमर्पण को बढ़ावा देने वाली पहल ने न केवल नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है, बल्कि राज्य में शांति स्थापना और विकास परियोजनाओं के कार्य को भी सुगम बनाया है। कांकेर में 21 नक्सलियों का आत्मसमर्पण और उनका मुख्यधारा में स्वागत इस बात का प्रतीक है कि नक्सलवाद धीरे-धीरे पीछे हट रहा है। पुलिस की नई रणनीति, जिसमें समर्पण को प्राथमिकता दी गई है, ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। बस्तर आईजी और सुरक्षा बल नक्सलियों को चेतावनी भी दे रहे हैं कि समय रहते आत्मसमर्पण करें, अन्यथा सुरक्षा बल उनसे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।


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