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बिलासपुर@भारतमाला परियोजना घोटाला : राजस्व अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

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बिलासपुर,28 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बहुचर्चित भारतमाला परियोजना भूमि अधिग्रहण घोटाले में फंसे राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। अदालत ने माना कि मामला गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़ा है,जिसकी जांच अभी जारी है। ऐसे में आरोपियों को अग्रिम जमानत देना न्यायहित में उचित नहीं होगा। यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश रमेशचंद्र सिन्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के बाद सुनाया। जिन अधिकारियों की याचिकाएं खारिज की गई हैं, उनमें तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार लेखराम देवांगन, लखेश्वर प्रसाद किरन,शशिकांत कुर्रे,नायब तहसीलदार डी.एस. उइके, राजस्व निरीक्षक रौशन लाल वर्मा और पटवारी दीपक देव शामिल हैं। सभी को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के प्रकरण में आरोपी बनाया गया है।
ईओडब्ल्यू-एसीबी ने किया था बड़ा खुलासा : भारतमाला परियोजना के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग विस्तार के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया गया था। जांच एजेंसी को शिकायतें मिली थीं कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में कई जगहों पर भारी वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं। ईओडब्ल्यू-एसीबी की जांच में सामने आया कि कुछ राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों ने भूमाफियाओं के साथ सांठगांठ कर भूमि के वास्तविक मूल्य से कई गुना अधिक मुआवजा राशि स्वीकृत करवाई। इससे राज्य सरकार को करीब 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
घोटाला गंभीर,जांच में बाधा बन सकती है जमानत : हाईकोर्ट
मंगलवार को बिलासपुर स्थित उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से अग्रिम जमानत की मांग की गई। उनका तर्क था कि जांच लंबी खिंच रही है और गिरफ्तारी की आशंका के कारण वे मानसिक दबाव में हैं। इस पर राज्य की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल डॉ. सौरभ कुमार पांडेय ने अदालत को बताया कि यह मामला अत्यंत गंभीर आर्थिक अपराध का है, जिसमें सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने जांच में सहयोग नहीं किया और कई बार पूछताछ से बचने की कोशिश की। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सभी तर्कों को सुनने के बाद कहा यह मामला गंभीर आर्थिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है। जांच एजेंसी अभी साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया में है। यदि इस स्तर पर आरोपियों को अग्रिम जमानत दी जाती है, तो इससे जांच प्रभावित हो सकती है। इसी आधार पर अदालत ने सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और ईओडब्ल्यू को निर्देश दिया कि वह कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई जारी रखे।
8 हजार पन्नों का चालान पेश कर चुकी है ईओडब्ल्यू
इस मामले में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने हाल ही में जिला विशेष न्यायालय में 8 हजार से अधिक पृष्ठों का चालान पेश किया था। चालान में विस्तृत रूप से बताया गया है कि कैसे राजस्व अधिकारियों ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी कर निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया। चालान के अनुसार, कई जगहों पर भूमि के रकबे को गलत तरीके से बढ़ाकर दर्ज किया गया, वहीं कुछ मामलों में पहले से अधिग्रहित भूमि को दोबारा भुगतान के लिए शामिल किया गया। यह पूरा खेल कई महीनों तक चला और स्थानीय स्तर पर कई कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई।


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