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कोरिया@8 साल में नही बनी 19 लाख की पुलिया,80 प्रतिशत पैसा आहरित…काम 50 प्रतिशत भी नही

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गांव के विकास में बाधक बनी अधूरी पुलिया,ग्रामीणों में भारी आक्रोश,अधूरी पुलिया के कारण गांव में आवागमन में परेशानी,कोई सुध लेने वाला नही


-राजन पाण्डेय-
कोरिया,26 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)।
प्रदेश सरकार की ओर से नितप्रति दिन विकास के दावे किये जा रहे है। आगामी सप्ताह में राज्योत्सव मनाया जाना है लेकिन इन सबसे दूर छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर के बगल के ग्राम पंचायत सलबा के ग्राम करिल धोवा का जहां विकास की बात करना बेमानी होगी। हालत है की राज्य बनने के बाद पांच सरकारें यहां पर मूलभूत सुविधा भी पहुचाने में असमर्थ रही है। उक्त ग्राम पंचायत मुख्यालय तक तो पक्की सड़क व सुविधाएं पहुचा दी गई लेकिन इस पंचायत के ग्राम करिलधोवा का बुरा हाल है यहाँ में लगभग 300 के करीब गरीब आदिवासी ग्रामीण विगत लम्बे समय से मूलभूत सुविधा सडक,पानी,चिकित्सा,शिक्षा के संचालित आधे अधूरे व्यवस्था से कुंठित होकर अपने नियति को कोसने लगे है। हालत है कि ग्राम में बेहद उपयोगी व्यवस्थाओ का लम्बे समय से आभाव बना हुआ है जिससे यह ग्राम प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है। ग्राम करिल धोवा तक पहुंच हेतु ग्राम में सडक का सर्वथा अभाव रहा है जो क्षेत्र स्तर पर संचालित विकास की लम्बी गाथा को स्वमेव बयान करता नजर आ रहा है। हलांकि पँचायत में सडक पुल पुलिया से लेकर स्टापडैम आदि व्यापक तौर पर बनाऐ गये है। परन्तु गरीब आदिवासी परिवारों को पहुंच हेतु सुलभ मार्ग एवं नाले पर अधूरी पुलिया का नही बन पाने का ग्रामजनों ने खेद जताया है।
8 सालों में नही बन पाई पुलिया
इस सबन्ध में मिली जानकारी अनुसार 2017-18 में जिला खनिज न्यास मद से 19 लाख रुपए का पुलिया स्वीकृत हुई थी सूत्रों की माने तो स्वीकृत होने के बाद लगभग 30 से 40 फीसदी कार्य भूतपूर्व सरपंच के द्वारा कराया गया । सूत्र तो यह भी बताते हैं कि उक्त कार्य मे लगभग 80 प्रतिशत राशि का भुगतान भी हो चुका है,ऐसे में वर्तमान सरपँच और पँचायत प्रतिनिधि उक्त कार्य को आगे बढ़ाने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं।
8 सालों में नही हुई कोई कार्यवाही
8 सालों में पुलिया के निर्माण नही हो सका ऐसे में जनपद के सीईओ और इंजीनियर क्या कर रहे थे यह जांच का विषय है। हद तो तब हो गई जब सूत्रों से यह जानकारी आई कि जितना कार्य हुआ है उससे दुगने का भुगतान कर दिया गया है ऐसे में बची हुई राशि से आगे का कार्य कैसे होगा यह विचारणीय प्रश्न है। जनपद और जिला स्तर पर होने वाली विकास कार्यो की समीक्षा बैठक में इस कार्य की समीक्षा क्यों नही हुई और यदि हुई तो कोई कदम क्यों नही उठाया गया यह भी अहम सवाल है।
पुलिया नहीं बनने के कारण वहां के लोगों के लिए रोड की सुविधा नहीं है…
ग्रामीण बताते हैं कि इस पुलिया के नही बनने से उन्हें सड़क की भारी परेशानी है बरसात में आवागमन की भारी दिक्कत होती है,ऐसी स्थिति में कोई बीमार पड़ गया या कोई अन्य आपात कालीन स्थिति निर्मित हुई तो कोई साधन उपलब्ध नही हो पाता जिससे ग्रामीणों में आक्रोश भी पनपने लगा है।
जल जीवन मिशन कागजो पर,ढोढ़ी का पानी पीना बनी मजबूरी
करिल धोवा के ग्रामीण ढोढ़ी के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं,ढोढ़ी का पानी पीना इनकी मजबूरी है,कहने को तो सरकार जल जीवन मिशन की योजना लाई है लेकिन अधिकांश गांव की तरह यहां भी नल है तो जल नही की स्थिति बनी हुई है,पीएचई विभाग द्वारा यहां अभी तक पानी प्रदान करने की दिशा में किये गए प्रयास अभी कागजी आकड़ो में ही फाइल की शोभा बढ़ा रहे हैं,ग्राम स्तर पर दो हैंड पम्प भी जिनमे लाल पानी की समस्या है इस कारण ढोढ़ी का पानी ग्रामीणों की मजबूरी बन गया है।


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