सहकारी कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा,तीन नवंबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी
बिलासपुर,24 अक्टूबर 2025। प्रदेश में इस बार धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू होने जा रही है। प्रशासन ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं,छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ और ऑपरेटर संघ ने धान खरीदी का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। संघ ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 3 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। ऐसे में कर्मचारियों का आंदोलन शुरू हुआ तो आने वाले समय में इसका असर धान खरीदी पर पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ रायपुर एवं समर्थन मूल्य धान खरीदी ऑपरेटर संघ द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करने की चेतावनी दी है। महासंघ ने स्पष्ट किया है कि यदि शासन द्वारा उनकी चार सूत्रीय लंबित मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो आगामी धान खरीदी सीजन का पूर्ण रूप से बहिष्कार करते हुए 12 नवंबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन किया जाएगा। इस आंदोलन में जिले की सभी सहकारी समितियों के कर्मचारी भी भाग लेंगे।
कर्मचारी नेता बोले…भविष्य से जुड़ी हैं उनकी मांगेः संघ के कर्मचारी नेताओं ने कहा कि करीब 15,000 सहकारी समिति कर्मचारियों और 39 उपार्जन केंद्रों के संविदा कंप्यूटर ऑपरेटरों के भविष्य से जुड़ी इन मांगों को लेकर संगठन ने मोर्चा खोल दिया है। संगठनों का कहना है कि यदि सरकार समय रहते उनकी जायज मांगों पर निर्णय नहीं लेती,तो धान उपार्जन प्रक्रिया पूरी तरह प्रभावित होगी। इसकी जिम्मेदारी शासन की होगी। उन्होंने कहा कि उनकी सभी मांगें जायज है और उनकी भविष्य को लेकर है।
धान खरीदी का बहिष्कार करेंगे कर्मचारी और ऑपरेटरः कर्मचारी नेताओं ने साफ कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी,वे धान खरीदी का बहिष्कार करेंगे। ऐसे में अब देखना होगा कि शासन इस आंदोलन से पहले कर्मचारियों को मनाने की कोशिश करेगी या फिर इस बार धान खरीदी की शुरुआत होने से पहले ही खरीदी केंद्रों पर आंदोलन का असर दिखेगा। बतादें कि धान खरीदी छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
चार सूत्रीय मांगों को पूरा करने दिया था आश्वासन
संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि उनकी चार सूत्रीय मांगें खाद्य विभाग और सहकारिता विभाग से जुड़ी हुई हैं, जिन पर वर्षों से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। पिछले साल धान खरीदी से पहले कर्मचारियों ने आंदोलन शुरू किया था। लेकिन,तब शासन-प्रशासन ने उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा दिलाया था। लेकिन,साल भर बीत जाने के बाद भी शासन ने उनकी मांगों को पूरा करने के लिए कोई पहल नहीं की है, जिसके कारण कर्मचारियों में आक्रोश है।
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