संयुक्त संचालक नगरीय निकाय सरगुजा के जांच प्रतिवेदन में हुआ साबित,विकास निधियों की चोरी कर रहा था सिकंदर सिदार



कोरिया/पटना,17 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। दैनिक घटती-घटना की खबर की प्रामाणिकता पुनः साबित हुई और एक बार फिर भ्रष्टाचार की प्रकाशित खबर पर मुहर लगती नजर आई,दैनिक घटती-घटना ने लगातार इस आशय की खबर का प्रकाशन जारी रखा था कि नव गठित नगर पंचायत पटना का प्रथम मुख्य नगर पालिका अधिकारी नव गठित नगर पंचायत की विकास निधियों की चोरी कर रहा है, और उससे अपनी जेब भर रहा है,मुख्य नगर पालिका अधिकारी पटना जांच से भी भाग रहा है,और जिले के कलेक्टर को भी पछाड़ने का सफल प्रयास कर चुका है,इन खबरों पर अब मुहर लगती नजर आ रही है,संयुक्त संचालक नगरीय निकाय सरगुजा संभाग के जांच प्रतिवेदन से यह साफ हो गया है कि नगर पंचायत पटना का प्रथम मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिकंदर सिदार नगर विकास निधियों की चोरी कर रहा था। नगर विकास निधियों की चोरी में उसका साथ नगर के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी दे रहे थे,जो नगर विकास निधियों के लिए अपना बैंक खाता मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिकंदर सिदार को उपलब्ध कराते थे,और फिर उन बैंक खातों में सिकंदर सिदार नगर विकास निधियों को जमा कराता था जिसे बाद में सिकंदर सिदार अपने बैंक खाते में उन्हीं राशियों को दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों से स्वीकार कर लेता था। सिकंदर सिदार नगर के कुछ दैनिक वेतनभोगी कमर्चारियों के साथ मिलकर नगर के विकास निधियों का बंदरबाट कर रहा था, जो तब साबित हुआ जब नगर पंचायत अध्यक्ष की शिकायत पर चोरी की जांच करने संयुक्त संचालक नगरीय निकाय सरगुजा संभागीय कार्यालय का दल पहुंचा, जांच करते हुए जांच दल खुद भौचक्का रह गया जब उन्हें जांच में पता चला कि नव गठित नगर पंचायत पटना का प्रथम मुख्य नगर पालिका अधिकारी किस बेशर्मी में नव गठित नगर पंचायत पटना के विकास निधियों की चोरी कर रहा है,और जिस नगर, नए नगर को बसाने संवारने की जिम्मेदारी उसे मिली हुई है वह कैसे उसे अपनी चोरी का अड्डा बना चुका है। ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनने के बाद प्रथम नगर पालिका अधिकारी बनकर पटना पहुंचे सिकंदर सिदार ने आरंभ से ही नगर पटना की विकास निधियों को अपने भ्रष्टाचार का अड्डा बना लिया था और तभी से नगर पंचायत पटना में वह विकास निधियों से अपनी जेब भर रहा था, इस बीच न निविदा जारी करने का ध्यान उसने रखा,न कार्यादेश जारी करने में रुचि दिखाई न ही उसने कोटेशन मंगाकर प्रतिस्पर्धा ही आयोजित की,सिकंदर सिदार ने केवल और केवल भ्रष्ट्राचार किया जो अब सामने आ चुका है जो जांच से भी स्पष्ट है जो लाखों से करोड़ों तक का भ्रष्टाचार या चोरी का मामला है।
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों,विभिन्न अन्य फर्मों को कमीशन देकर नगर विकास निधियों की कर रहा था मुख्य नगर पालिका अधिकारी चोरी,जांच में खुली पोल
नव गठित नगर पंचायत पटना का प्रथम मुख्य नगर पालिका अधिकारी सिकंदर सिदार बड़े शातिराना ढंग से नगर विकास निधियों की चोरी कर रहा था और इसके लिए वह कुछ नगर पंचायत पटना के ही दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और कुछ निश्चित और अपने लिए भरोसेमंद फर्मों का उपयोग कर रहा था जिन्हें कमीशन देकर वह नगर विकास निधियों में सेंध लगा रहा था जिसका खुलासा संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय निकाय सरगुजा के जांच प्रतिवेदन से हुआ है,सिकंदर सिदार निडर होकर यह चोरियां कर रहा था और नव गठित नगर पंचायत के विकास को अवरुद्ध करने पूरा दमखम लगा रहा था। नगर विकास निधियों की राशि वह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के खाते में जमा करता था,कुछ अपने लिए भरोसेमंद फर्मों के बैंक खाते में जमा करता था और फिर उन लोगों और फर्मों के खाते से या नकद राशि कुछ कमीशन प्रदान कर वह वापस प्राप्त कर लेता था,सिकंदर सिदार की पूरी चोरी पकड़ी गई और अब देखना यह होगा कि क्या कार्यवाही उसके ऊपर उन फर्मों और उन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों पर होती है जो उसका इस चोरी में चंद पैसों के लिए साथ देते थे, वैसे नगर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पीआईसी सदस्य पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर इस मामले में अपराधिक प्रकरण दर्ज कराना चाहते हैं जो हो पाता है कि नहीं यह देखने वाली बात होगी।
दैनिक घटती घटना ने लगातार विकास निधियों में हो रही चोरी की खबरों का किया था प्रकाशन, खबर की प्रामाणिकता साबित हुई
नव गठित नगर पंचायत पटना की विकास निधियों में मुख्य नगर पालिका अधिकारी सेंध लगा रहा है और वह विकास निधियों की चोरी कर रहा है एसी सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार खबरों का प्रकाशन दैनिक घटती घटना लगातार कर रहा था, अब जब संभागीय संयुक्त संचालक नगरीय निकाय सरगुजा के जांच प्रतिवेदन में भी यह स्पष्ट है कि खुलेआम चोरी की गई दैनिक घटती घटना की खबर प्रामाणिक साबित हुई, दैनिक घटती घटना एकमात्र समाचार पत्र था जो मुख्य नगर पालिका अधिकारी पटना की चोरी के कारनामे प्रकाशित कर रहा था।
क्या पटना नगर पंचायत में स्वतंत्र जांच एजेंसी की एंट्री होगी?
संभागीय आयुक्त कार्यालय द्वारा की गई जांच से साबित हो गया कि सिकन्दर सिदार ने नव गठित नगर पंचायत की विकास निधियों से चोरी की है वह भी काफी बड़ी चोरी, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष कक्ष भर मात्र नहीं सिकंदर सिदार ने हर उस मामले में चोरी की जहां उसे गुंजाइश नजर आई,सिकंदर सिदार ने अलाव जलाने के नाम पर चोरी की,उसने टेंट लगाने का नाम पर चोरी की, नाश्ता और ज्योतिष तक के लिए भुगतान करने की बात सामने आई यहां तक कि एक ऐसी जेसीबी फर्म का नाम सामने आया जो नगर में कभी नजर नहीं आया लेकिन उसके नाम पर लाखों के बिल भुगतान किए गए जिसमें पशु अंतिम संस्कार के लिए भी उसे भुगतान किया गया जबकि जितना भुगतान किया गया उतने पशुओं का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ,कुल मिलाकर पशुओं के मरने के और उनके संस्कार के नाम से भी सिकंदर सिदार ने पैसे निकाले और अपनी जेब में पैसे डाल लिए,यह शर्मनाक कृत्य करके वह नगर पंचायत में बना रहा,वैसे पूरे मामले में क्या स्वतंत्र जांच एजेंसियां शामिल होंगी या विभागीय जांच करके सिकन्दर सिदार को फिर अभयदान दिए जाने का प्रयास नजर आएगा।
यदि स्वतंत्र जांच एजेंसियां यहां जांच करेंगे तो फर्जीवाड़ा पकड़ा भी जाएगा और प्राथमिकी भी हो सकती है दर्ज
स्वतंत्र जांच एजेंसियां यदि जांच में शामिल हुईं सिकंदर सिदार की पूरी चोरी पकड़ी जाएगी क्योंकि जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि कोई पंजी संधारित नहीं है,नगर के विकास निधियों में सेंध लगाने केवल आहरण किया गया और व्यय लेखा या अन्य कोई दस्तावेज कई बार नहीं लिखे गए,कुल मिलाकर चोरी कितनी बड़ी है इसका अंदाजा लगाने अब स्वतंत्र जांच एजेंसियों को जांच मे शामिल करना होगा जिसमें कुछ नगर के फर्मों को भी जांच के दायरे में लेना होगा जिन्होंने चंद पैसों के लिए अपने ही नगर के विकास निधियों की चोरी को बढ़ावा दिया सिकंदर का साथ दिया और पैसे खाते में लेकर कमीशन काटकर भुगतान सिकंदर को किया,ऐसे नगर के फर्म ब्लैक लिस्ट किए जाने भी कार्यवाही हो सकती है।
अपने लालच के कारण नवगठित नगर पंचायत पटना को ही बनाया शिकार
सिकंदर सिदार दोषी साबित हो न हों क्योंकि उसकी चोरी छिपी चोरी नहीं थी वह उजागर थी वहीं वह खुलेआम पटना को लूट रहा था और उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी वहीं इस सब के पीछे का कारण उसका लालच था जो उसे नगर के विकास निधियों का चोर बनाने मजबुर कर रहा था,देखा जाए तो केवल चंद पैसों के लिए सिकंदर सिदार नगर पंचायत पटना के विकास का दुश्मन बना बैठा था जिसमें उसका साथ नगर के ही कुछ व्यापारी कुछ फर्म और कुछ नगर के ही निवासी दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी दे रहे थे,जो नगर को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने में सिकंदर की मदद कर रहे थे।
भ्रष्टाचार को लेकर अपने प्रथम वर्ष में ही नवीन नगर पंचायत पटना की छवि हुई खराब
नगर पंचायत पटना का गठन नगर के रूप में उसके विकास के लिए किया गया था और यह उसका पहला वर्ष था विकास लोगों की अपेक्षा थी लेकिन पहले ही साल पटना की छवि भ्रष्ट नगर पंचायतों में नजर आई और उसकी साख खराब हुई,पटना को काफी नुकसान पहुंचाया गया और विकास निधियों को जेबों में डाला गया। नगर पंचायत पटना का मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पंचायत के विकास निधियों की चोरी कर रहा है इस आशय की शिकायत अध्यक्ष ने की और जिसके बाद संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन कार्यालय अंबिकापुर से जांच दल पटना नगर पंचायत पहुंचा,जांच में जो कुछ तथ्य सामने आए उसमें चोरी की बात सच साबित होती नजर आ रही है जिसका जांच प्रतिवेदन निम्नानुसार है।
क्या अब होगी निलंबन की कार्यवाही,होगी पुलिस प्राथमिकी,होगी जेल?
नगर पंचायत पटना के मुख्य नगर पालिका अधिकारी पर नगर विकास निधियों की चोरी का आरोप लगा जो जांच में साबित हुआ, साबित यह भी हुआ कि अधिकारी ने केवल पैसे जेब में डाले और अपना विकास किया पटना को लूटने का काम किया,अब जब आरोप सही साबित हुए जांच प्रतिवेदन सामने आ गया है क्या निलंबन की कार्यवाही होगी ,क्या पुलिस प्राथमिकी दर्ज होगी ,क्या अधिकारी को जेल होगी,वैसे सुशासन सरकार के कार्यकाल में लोगों की अपेक्षा है कि यह सभी कार्यवाहियां की जाएं जिससे जन सुविधाओं की प्रदायता मामले में कोई भी भविष्य में चोरी करने की हिम्मत न करे,पटना नगर ग्राम से नगर बनने के बाद विकसित नगर बनने की उम्मीदों में था जिसे एक भ्रष्ट अधिकारी ने अपनी चोरी से बर्बाद कर दिया जो अब साबित तथ्य है।
जांच प्रतिवेदन में ये मिली कमी:-
कमी:- कार्य का नाम: वार्ड क्रमांक 15 में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष कक्ष का मरम्मत कार्य. मद का नाम: मरम्मत संधारण / निकाय निधि। लागत राशि: अध्यक्ष कक्ष हेतु ₹3.02 लाख। उपाध्यक्ष कक्ष हेतु ₹1.99 लाख।
कमी:- क्षेत्रीय कार्यालय संयुक्त संचालक के कार्यालयीन पत्र क्र 54 दिनांक 14/05/2025 द्वारा तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई।
कमी:- निविदा आमंत्रण सूचना पत्र कार्यालयीन पत्र क्र 740 पटना, दिनांक 21/05/2025 द्वारा संक्षिप्त निविदा जारी की गई (निविदा आमंत्रण संबधित कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है)
कमी:- दिनांक 27/05/2025 को कुल प्राप्त 03 निविदाएं खोली गई. (दस्तावेज उपलब्ध नहीं है) प्राप्त दर: स्पष्ट उल्लेखित नहीं.
कमी:- ठेकेदार श्रवण गुप्ता रामानुजगंज को पत्र क्र 826/ लो.नि. नपं /2025, दिनांक 05/06/2025 द्वारा कार्यदिश तैयार किया गया। कार्यादेश पर सीएमओ के हस्ताक्षर नहीं है.
कमी:- कार्य पूर्ण करने हेतु समयावधि: कार्यादेश से 02 माह।
कमी:- निविदा क्रय समिति बैठक दिनांक 23/05/2025 में निविदा दर की स्वीकृति अनुशंसा की गई.
कमी:- दिनाक 30/05/2025 को पीआईसी के प्रस्ताव क्रमांक 45 के द्वारा अध्यक्ष एवं 44 के द्वारा उपाध्यक्ष कक्ष में कार्य करने एवं न्यूनतम दर की स्वीकृति प्रदान किए जाने का उल्लेख नोटशीट में है.
कमी:- उप- अभियंता द्वारा दिनांक 18/06/2025 को उपाध्यक्ष कक्ष में निर्माण एवं मरम्मत कार्य पूर्ण बताकर भुगतान हेतु राशि ₹ 1,99,332.00 स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया गया, कटौती उपरांत ठेकेदार को दिनांक 18/06/2025 को चेक द्वारा राशि₹ 1,71,472.00 का भुगतान किया गया।
कमी:- उप-अभियंता द्वारा दिनांक 20/06/2025 को अध्यक्ष कक्ष में निर्माण एवं मरम्मत कार्य पूर्ण बताकर भुगतान हेतु राशि ₹ 3,02,452.00 स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया गया, कटौती उपरांत ठेकेदार को दिनांक 27/06/2025 को चेक द्वारा राशि ₹2,60,108.00 का भुगतान किया गया।
कमी:- उक्त शिकायत के विषय में नगर पंचायत पटना का स्थल निरीक्षण क्षेत्रीय कार्यालय के सहायक अभियंता एवं उप- अभियंता द्वारा दिनांक 07/10/2025 को किया गया।
कमी:- स्थल निरीक्षण के दौरान अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, पार्षदगण एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगर पंचायत पटना मौजूद थे।
कमी:- स्थल निरीक्षण के दौरान अध्यक्ष के कक्ष में टाइल्स, ग्रेनाइट एवं अन्य निर्माण कार्य कराया जाना नहीं पाया गया, परंतु कांट्रैक्टर्स बिल में उक्त कार्य का बिल प्रस्तुत किया गया था, एवं मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा भुगतान किया गया है।
जांचा का निष्कर्ष- भावपत्र / निविदा संपादन सबंधी किसी भी प्रकार के दस्तावेज यथा निविदा प्रपत्र, निविदा आमंत्रण सूचना एवं समाचार पत्र में निविदा प्रकाशन इत्यादि दस्तावेज नास्ति में प्राप्त नहीं हुए।
अभिमत- उल्लेखित कार्य के लिए निविदा का आमंत्रण किया जाना फ़र्जी प्रतीत होता है एवं उक्त आरोप सही प्रतीत होतें है, इसके लिए वर्तमान मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्री सिकंदर सिदार एवं तत्कालीन उप-अभियंता श्री नवीन तिवारी (वर्तमान पदस्थापना नगर पालिका परिषद जशपुर नगर) पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं, जांच पत्र के साथ सह पत्र संलग्न कर संभागीय कार्यालय ने अग्रिम कार्यवाही के लिए जांच प्रतिवेदन संचालक नगरीय प्रशासन नवा रायपुर को प्रेषित किया है।
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