- भाजपा में नए आए जीतकर आए नेताओं ने गणवेश पहनकर किया गर्व महसूस,क्या हारे नेताओं ने गणवेश से किया इंकार?
- आरएसएस के पथ संचलन में कार्यक्रम में अलग अलग नजर आया भाजपा नेताओं के शिरकत का अंदाज
- कई जगह ऐसे भी लोगों ने पहना गणवेश जिनका भविष्य में कहां होगा ठिकाना यह भी नहीं पता
- स्वयं सेवक बनने युवाओं में नजर आया उत्साह,कई जगह युवाओं ने गर्व से किया पथ संचलन

कोरिया/एमसीबी 16 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गठन के 100 वर्ष पूर्ण होने पर संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है और इस दौरान वह विजयादशमी पर्व अवसर पर प्रत्येक वर्ष होने वाले पथ संचलन कार्यक्रम को विस्तृत रूप प्रदान कर रहा है जिसमें देखा जा रहा है कि पहले जो पथ संचलन कुछ निश्चित स्थानों पर नगरों में हुआ करता था वह ग्राम स्तर तक हो रहा है जिसमें स्वयं सेवक बनकर शामिल होने लोगों में होड़ भी लगी हुई है,इस शताब्दी वर्ष पथ संचलन में ऐसे लोग भी पथ संचलन कार्यक्रम में नजर आ रहे हैं जो कभी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कोसते थे उसकी बुराई करते थे और अन्य को भी इससे न जुड़ने की सीख मुफ्त में वह प्रदान करते थे,ऐसे लोग इस वर्ष खुद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निर्धारित गणवेश में अपने स्थानीय पथ संचलन कार्यक्रमों में उपस्थित हो रहे हैं और वह संघ के माध्यम से राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम की भावना प्रदर्शित कर रहे हैं मातृभूमि की रक्षा का संकल्प ले रहे हैं। इन कार्यक्रमों में पहुंचकर जो नए लोग जो पहले संघ विचारधारा के खिलाफ थे वह भी गणवेश धारण कर रहे हैं और वह भी मातृभूमि की सेवा का संकल्प लेते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा को अपनाने की बात कर रहे हैं।
वैसे नए जो लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ रहे हैं क्या वह भाजपा में भविष्य तलाशने के हिसाब से संघ के पथ संचलन कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं या वह सही मायने में ही संघ की विचारधारा को अपनाते हुए मातृभूमि सेवा के लिए आगे आना चाह रहे हैं यह एक सवाल जरूर खड़ा होता है,इन कार्यक्रमों में खासकर पथ संचलन और दैनिक शाखाओं में वह लोग भी पहुंच रहे हैं जो किसी अन्य दल से भाजपा में शामिल हुए हैं,इनमें अधिकाशं कांग्रेस जैसी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले लोग हैं जो अब भाजपा में आ चुके हैं या वह कम से कम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक बन चुके हैं,वैसे यह लोग केवल इसलिए आरएसएस से जुड़ रहे हैं क्योंकि आरएसएस और भाजपा का नाता जोड़ा जाता है और यदि यह फिर भविष्य में यदि भाजपा छोड़ेंगे तो आरएसएस से नाता भी तोड़ेंगे यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। वैसे नए जुड़ रहे स्वयं सेवकों का जोश और उत्साह देखते ही बन रहा है वह पुराने स्वयं सेवकों से अधिक संकल्पित और समर्पित नजर आ रहे हैं वहीं पुराने भाजपाई तो इस शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में भी पहुंचना गवारा नहीं समझ रहे हैं या पहुंच भी रहे हैं तो उनका उद्देश्य केवल फोटोग्राफी कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना मात्र है,वैसे आयोजित कार्यक्रमों में हालिया चुनावों में जीत दर्ज कर आए भाजपाई उत्साहित होकर शामिल हो रहे हैं वह पूर्ण गणवेश में भी नजर आ रहे हैं वहीं जिन्हें हार मिली है चुनावों में वह नदारद हैं या केवल वह अपनी उपस्थिति मात्र दर्ज करा रहे हैं और फोटो खिंचवाकर निकल जा रहे हैं। निष्ठा अधिकाशं की समझ में नहीं आ रही है एक काम समझकर उसे पूरा करने का प्रयास भर करते अधिकाशं देखे जा रहे हैं।
स्वयं सेवक बनने उत्साहित नजर आ रहे हैं युवावर्ग के लोग,बुजुर्ग और बच्चे भी नजर आ रहे हैं पथ संचलन कार्यक्रम में
पथ संचलन कार्यक्रमों में यह देखने को मिल रहा है कि स्वयं सेवक बनने उत्साहित हैं युवा वर्ग के लोग बुजुर्ग और बच्चे, शताब्दी वर्ष अवसर पर आयोजित हो रहे पथ संचलन कार्यक्रमों में ग्राम स्तर तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा को पहुंचाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने वह लक्ष्य काफी हद तक पूरा होता नजर आ रहा है,ग्राम स्तर तक शाखाओं का नियमित संचालन जारी हो चुका है जिसमें क्रमशः लोगों के जुड़ने का क्रम जारी है,कभी जहां मुश्किल से स्वयं सेवकों की किसी कार्यक्रम में संख्या जुट पाती थी आज स्वयं सेवक गांव गांव में नजर आ रहे हैं यह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विस्तार को बतलाता है। देखा जाए तो कुछ स्वार्थवश कुछ निस्वार्थ भाव से जुड़ रहे स्वयं सेवक इसके विस्तार को तो विस्तृत अवश्य कर रहे हैं जिसमें किसी शक की गुंजाइश नहीं।
भाजपा के हालिया चुनाव में हारे नेता,कई पुराने भाजपाई कार्यक्रमों से बना रहे दूरी या फिर फोटोग्राफी तक निभा रहे जिम्मेदारी
शताब्दी वर्ष अवसर पर आयोजित हो रहे पथ संचलन कार्यक्रमों में यह भी देखने को मिल रहा है कि इन कार्यकमों से भाजपा के वह नेता दूरी बनाकर चल रहे हैं जिन्हें हालिया चुनाव में जनता ने ही नकार दिया है,ऐसे नेता या तो कार्यक्रमों में नहीं पहुंच रहे हैं या यदि पहुंच भी रहे हैं तो फोटोग्राफी को ही जिम्मेदारी मानकर फोटो खींचकर अपनी सोशल मीडिया पर डालकर जिम्मेदारी से मुक्त हो जा रहे हैं,ऐसे नेता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के उस उद्देश्य का ही बहिष्कार करते नजर आ रहे हैं जिसके अनुसार गणवेश धारी स्वयं सेवकों की संख्या के साथ कार्यक्रम संपन्न हो जिससे शामिल होने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ाव महसूस कर सकें और मातृभूमि की रक्षा का वह संकल्प समान रूप से ले सकें। कार्यकमों में पहुंचने वाले गैर गणवेश धारी भाजपा नेताओं की मंशा फोटोग्राफी से अधिक की नजर नहीं आती वह खुद को स्वयं सेवक कहलवाना मात्र चाहते हैं उन्हें स्वयं सेवक बनकर कतारबद्ध होना स्वीकार नहीं।
स्वार्थ उद्देश्य मात्र से जुड़े लोगों की उपस्थिति केवल क्षणिक आ रही नजर
कार्यक्रमों में स्वार्थ उद्देश्य से भी जुड़े लोग पहुंच रहे हैं,उनका उद्देश्य स्वार्थ पूर्ति मात्र है जिससे उनकी तस्वीर वह कहीं दिखा सकें और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का होने का वह लाभ ले सकें,भाजपा में ऐसे लोगों की भरमार है जिन्हें केवल स्वार्थ के लिए ही आरएसएस का उपयोग करना आता है, ऐसे लोग आरएसएस की विचारधारा के विरुद्ध जाकर भी व्यवहार करते नजर आते हैं और कई बार यह आरएसएस के विरूद्ध कुछ भी सुन समझकर मौन भी रह जाते हैं,ऐसे लोग शासकीय कार्यालयों में खुद को आरएसएस का बताकर काम निकलवाना बेहतर जानते हैं और अधिकाशं यह ठेकेदार या सप्लायर हैं। इनकी उपस्थिति केवल और केवल स्वार्थ पूर्ति तक सीमित मानी जाती है इनका विचारधारा से कोई लेना देना नहीं होता यह माना जाता है।
कुछ भाजपाई क्या आरएसएस से भी ऊपर मानते हैं खुद को?
पूरे मामले में यह सवाल भी उठता है कि क्या कुछ भाजपाई आरएसएस से ऊपर मानते हैं खुद को,जिस तरह का उनका व्यवहार शताब्दी वर्ष पथ संचलन कार्यक्रम के दौरान नजर आ रहा है लगता तो ऐसा ही है,केवल और केवल उपस्थित प्रदर्शित करने मात्र के उद्देश्य के साथ कार्यक्रमों में पहुंचना फोटो खींचकर और सोशल मीडिया में डालकर निकल जाना,गणवेश या तो नहीं पहनना या फिर अपूर्ण गणवेश में ही आकर अनुशासन हीनता प्रदर्शित करना,जो कुछ भाजपाई प्रदर्शित कर रहे हैं वह लगता नहीं अनुशासन के अनुसार सही है आरएसएस के,वैसे आरएसएस के पथ संचलन कार्यक्रमों की गरिमा का ध्यान इन्हें रखना चाहिए क्योंकि आरएसएस अनुशासन से ही पहचान अपनी रखती है।
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