नई दिल्ली,15 अक्टूबर 2025। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज सीआईआई द्वारा आयोजित 7वें भारतीय रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स सम्मेलन में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि रसायन एवं पेट्रोकेमिकल उद्योग में नई प्रौद्योगिकियों के विकास में अग्रणी बनने तथा अर्थव्यवस्था एवं उद्योग के लिए अत्याधुनिक समाधान उपलब्ध कराने में भारत को अग्रणी बनाने की क्षमता है। गोयल ने रेखांकित किया कि सरकार की नीतियों का उद्देश्य संतुलित विकास सुनिश्चित करना है जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ हो,घरेलू अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो और भारत वैश्विक मंच पर प्रमुखता से स्थापित हो। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा हाल ही में 2025 के लिए भारत के विकास अनुमान को बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत करने का उल्लेख किया, जो इसके पूर्व के 6.4 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है। यह देश की आर्थिक दृढ़ता और मज़बूत बुनियादी कारकों का प्रमाण है। गोयल ने इस बात पर बल दिया कि महान और उन्नत राष्ट्र प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण पर ध्यान केंद्रित करके अपनी स्थिति प्राप्त करते हैं और भारत को अपने विकास लक्ष्यों को अर्जित करने के लिए इसी मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। गोयल ने ज़ोर देकर कहा कि तेल-समृद्ध देश भी मूल्यवर्धित उत्पादों, स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन-संबंधी प्रौद्योगिकियों में निवेश कर रहे हैं, जो नवोन्मेषण-केंद्रित विकास की ओर वैश्विक बदलाव को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन जलवायु परिवर्तन से निपटने और प्रौद्योगिकीय रूप से आगे बढ़ने की आवश्यकता निरंतर बनी हुई है। उन्होंने विज्ञान, अनुसंधान एवं विकास तथा नवोन्मेषण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ये भारत के एक उन्नत राष्ट्र बनने और 2047 तक विकसित भारत के विजन को अर्जित करने की यात्रा की रीढ़ हैं। गोयल ने रसायन एवं पेट्रोरसायन क्षेत्र की महत्वपूर्ण क्षमता और राष्ट्र के समग्र विकास में इसकी कार्यनीतिक भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर का कृषि,स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा,निर्माण,ऊर्जा और गतिशीलता सहित कई उद्योगों में व्यापक उपयोग और प्रभाव है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस क्षेत्र के उत्पाद और सेवाएं सर्वव्यापी हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विनिर्माण और उपभोग इको-सिस्टम के लगभग हर पहलू को प्रभावित करती हैं। गोयल ने उद्योग जगत के अग्रणी व्यक्तियों से अपनी क्षमताओं का सावधानीपूर्वक आकलन करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने का आग्रह किया जहां भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त कर सकता है। उन्होंने इस सेक्टर के लिए वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाकर और वर्तमान मामूली योगदान से आगे बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में नेतृत्व का लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। गोयल ने आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन और विविधीकरण के महत्वपूर्ण महत्व पर भी ज़ोर दिया और कहा कि किसी एक आपूर्तिकर्ता या सीमित संख्या में देशों पर निर्भरता कमज़ोरियां पैदा कर सकती है। उन्होंने बताया कि जहां कुछ उत्पादों को आत्मनिर्भरता और सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए घरेलू संरक्षण की आवश्यकता हो सकती है, वहीं दक्षता,प्रतिस्पर्धात्मकता और सतत विकास प्राप्त करने के लिए इस सेक्टर को वैश्विक बाजारों के साथ समेकित रहना होगा। गोयल ने वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ एकीकरण के लिए भारत के कार्यनीतिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला, साथ ही यह सुनिश्चित किया कि घरेलू उद्योग प्रतिस्पर्धी बने रहें।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत को एक उन्नत अर्थव्यवस्था बनने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना, व्यापार के अवसरों का पता लगाना और निवेश आकर्षित करना आवश्यक है, साथ ही वैश्विक एकीकरण और घरेलू उद्योग संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है। गोयल ने मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत करने और भारत के वैश्विक व्यापार क्षेत्र का विस्तार करने पर सरकार के निरंतर ध्यान को रेखांकित किया। उन्होंने मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे, आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन सहित कई देशों और क्षेत्रों के साथ हुए समझौतों का उल्लेख किया। गोयल ने बताया कि ये व्यापारिक समझौते भारतीय उत्पादों के लिए बाज़ार खोलने, प्रौद्योगिकी और निवेश को आकर्षित करने और नवोन्मेषण- केंद्रित सेक्टरों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि घरेलू उद्योगों को अनुचित जोखिम का सामना न करना पड़े। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार का उद्देश्य एक बेहतर संतुलन बनाना है, जिसमें भारतीय व्यवसायों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाना, निर्यात को बढ़ावा देना तो है ही, साथ ही घरेलू उत्पादन की रक्षा करना और 140 करोड़ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना भी है। गोयल ने कहा कि यद्यपि सरकार वैश्विक एकीकरण चाहती है, फिर भी वह बाजार की गतिशीलता, आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन तथा निष्पक्ष एवं टिकाऊ व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के प्रति सजग है, जिससे उद्योग और अंतिम उपभोक्ता दोनों को लाभ हो। गोयल ने उद्योग जगत के प्रतिभागियों से सहयोगात्मक रूप से कार्य करने, मूल्य श्रृंखलाओं में एक-दूसरे की सहायता करने और निर्यात को प्रभावित करने वाली शोषणपूर्ण मूल्य निर्धारण, डंपिंग या गैर-टैरिफ बाधाओं के बारे में चिंताएं व्यक्त करने का आग्रह किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि मंत्रालय उद्योग जगत के हितों की रक्षा के लिए समय पर युक्तियां और समाधान प्रदान करेगा। गोयल ने उद्योग जगत को प्रक्रियाओं के सरलीकरण, अनुपालन बोझ को कम करने और छोटे अपराधों को गैर-अपराधीकरण करने का सुझाव देने के लिए भी प्रोत्साहित किया ताकि व्यापार में सुगमता हो और नवाचार को बढ़ावा मिले। उन्होंने पेटेंट प्रक्रियाओं और बौद्धिक संपदा अधिकारों में सुधारों के उदाहरण दिए और बताया कि कैसे आधुनिकीकरण और कुशलता विकास और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे सकती है। अपने संबोधन के समापन पर, गोयल ने अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टरों में सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केंद्रित मार्गदर्शन और दूरदर्शी नेतृत्व में, भारत अपने विकासात्मक उद्देश्यों को प्राप्त करने और 2047 तक विकसित भारत के दीर्घकालिक लक्ष्य को साकार करने की दिशा में निरंतर प्रगति कर रहा है।
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