बिलासपुर,15 अक्टूबर 2025। व्यवसायी व पूर्व मंत्री मूलचंद खंडेलवाल के बड़े भाई दशरथ खंडेलवाल की हत्या में हाईकोर्ट ने निचली अदालत के बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरू की खंडपीठ ने दोनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास तथा धारा 307 के तहत 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। यह घटना 22 नवंबर 2013 की है। दोपहर के समय दो युवक लूट की मंशा से 36 मॉल के नजदीक स्थित खंडेलवाल परिवार के घर में घुसे। उन्होंने दरवाजा खोलने वाली विमला देवी पर हमला किया। घर के मालिक दशरथ खंडेलवाल ने सामने के कमरे में आकर विरोध किया तो दोनों ने उन पर चाकू से वार कर उनकी हत्या कर दी। इसके बाद उन्होंने विमला देवी को भी घायल कर एक कमरे में बंद कर दिया और घर से घड़ी व मोबाइल लूटकर भाग निकले।जांच के दौरान पुलिस को शक हुआ कि ये वही लोग हो सकते हैं जो करीब एक साल पहले मीनाक्षी ट्रेडर्स से घर में चिमनी ठीक करने आए थे। सुराग मिलते ही पुलिस ने दयालबंद निवासी विक्की उर्फ मनोहर सिंह नाम के युवक पर नजर रखी। उसके आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि उसने कुछ दिन पहले एक बुजुर्ग की हत्या करने की बात कही थी। पुलिस ने उसे पकड़कर सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया और वारदात कबूल कर ली। उसने बताया कि नशे की लत और कर्ज के कारण उसने अपने दोस्त विजय चौधरी के साथ मिलकर यह योजना बनाई थी। घटना वाले दिन दोनों घर पहुंचे,पैसों की मांग की और विरोध होने पर हमला कर दिया। वारदात के बाद दोनों घड़ी और मोबाइल लेकर भाग गए,जिन्हें पकड़े जाने के डर से बाद में नष्ट कर दिया। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। निचली अदालत ने मई 2016 में सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ मृतक के पुत्र अनिल खंडेलवाल तथा शासन दोनों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग अपीलें दायर की थीं। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मामूली विरोधाभासों के आधार पर घायल प्रत्यक्षदर्शी विमला देवी की गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता।
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