- कोरिया जिले के नवगठित नगर पंचायत पटना में कोरिया कलेक्टर कैसे मिटा सकेंगी भ्रष्टाचार,सीएमओ भ्रष्टाचार के लिए हैं विख्यात?
- कलेक्टर कांफ्रेंस के अनुसार मुख्यमंत्री का निर्देश सभी कलेक्टर नगरीय निकाय में जाकर देंगे सफाई पर ध्यान,भ्रष्टाचार के मामले में कोई निर्देश नहीं
-संवाददाता-
कोरिया,13 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिले के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों के साथ बैठक की और उन्होंने प्रदेश के शासकीय कार्यालयों की कार्यप्रणाली की समीक्षा की और आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देशित किया कि वह अपने अपने जिलों के नगरीय निकायों का खुद निरीक्षण करेंगे और साफ-सफाई सहित जन सुविधाओं की प्रदायता सुनिश्चित करेंगे,प्रदेश के नगरीय निकायों में अब कलेक्टरों की भूमिका तय करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐसा निर्देश जारी किया है जो धरातल पर मुख्यमंत्री की मंशा पूरी करने वाला होगा नहीं होगा यह आगे देखने को मिलेगा। वैसे मुख्यमंत्री ने नगरीय निकायों के लिए बैठक में एक एजेंडा तय किया जिसमें जिले के कलेक्टरों को बड़ी जिम्मेदारी निभाने का निर्देश है यह एक नया विषय कलेक्टर एसपी कॉन्फ्रेंस में देखने-सुनने को मिला,वैसे नगरीय निकायों की हालत प्रदेश में बदतर है यह मुख्यमंत्री के द्वारा कलेक्टरों को जारी निर्देश उपरांत समझ में आता है और यह स्पष्ट होता है कि साफ सफाई और नगरीय निकायों में जन सुविधाओं के लिए फिलहाल ऐसे कार्य नहीं हो रहे हैं जो नगरीय निकायों में उपलब्ध होनी चाहिए।
वैसे मुख्यमंत्री के नए निर्देश के बाद अब नगरीय निकायों की समस्याएं कलेक्टर तक भी जनता पहुंचा सकेगी और इसके लिए सभी कलेक्टर तैयार होंगे और यथोचित कार्यवाही करेंगे,पूरे मामले में साफ सफाई सहित आवश्यक सुविधाओं की प्रदायता की बात तो हुई निर्देश कलेक्टरों को जारी हुए लेकिन नगरीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कोई निर्देश जारी होता नजर नहीं आया जिससे नगरीय निकायों के भ्रष्टाचार को रोकने कुछ कार्यवाहियां होंगी ऐसा आभास हो,नगरीय निकायों में वर्तमान में जमकर भ्रष्टाचार जारी है और सुविधाओं के विस्तार के नाम पर अनाप-शनाप खर्च किए जाने की जानकारी सामने आती रहती है,कोरिया जिले की ही बात करें तो नगठित नगर पंचायत पटना के प्रथम मुख्य नगर पालिका अधिकारी अपने द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार के लिए विख्यात हो गए हैं और उनका भ्रष्टाचार प्रथम दृष्टया ही केवल उनके ऊपर लग रहे आरोपों से ही साबित हो रहा है और जिसके बावजूद भी वह सतत् भ्रष्टाचार जारी रखे हुए हैं जिसपर अंकुश की कोई बात सामने नहीं आई है। मुख्यमंत्री के नगरीय निकायों के लिए कलेक्टरों को दिए गए निर्देश में भ्रष्टाचार को रोकने कोई निर्देश नहीं दिया गया है, क्या कलेक्टरों को केवल साफ-सफाई तक ही नगरीय निकायों की समीक्षा करनी है उन्हें भ्रष्टाचार रोकने कोई निर्देश प्राप्त नहीं है यह निर्देश उपरांत बड़ा सवाल है। कोरिया जिले का पटना नगर पंचायत भ्रष्टाचार की मिसाल पेश कर रहा है और कलेक्टर ने पहले इसपर संज्ञान लेकर मुख्य नगर पालिका अधिकारी को हटाया भी था लेकिन मामले में निर्देश जारी करके भी कलेक्टर को पीछे हटना पड़ा था और मुख्य नगर पालिका अधिकारी पटना की जीत हुई थी उन्हें हटाने का निर्देश अमान्य हुआ था। अब यदि कोरिया कलेक्टर भ्रष्टाचार मिटाने के प्रयासों में असफल होकर हार चुकी हैं वह फिर क्यों भ्रष्टाचार मामले में नगरीय निकायों में हस्तक्षेप करेंगी यह समझने वाली बात है जबकि मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार मिटाने कोई निर्देश दिया भी नहीं है,कलेक्टर निर्देश के पालन में नगरीय निकायों में जायेंगे जरूर लेकिन वह साफ सफाई तक ही निगरानी करने प्रयासरत होंगे यह स्पष्ट समझ में आता है।

क्या वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार पर जांच के लिए कोई आदेश निर्देश नहीं है?
कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री काफी सख्त नजर आए ऐसी बातें सामने आईं,साफ सफाई, जन सुविधाओं को लेकर क्रियान्वयन स्थिति पर मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से काफी बात की वहीं भ्रष्टाचार जैसा गंभीर मुद्दा एजेंडे में शामिल नहीं था,नगरीय निकायों में कलेक्टर सुबह से साफ सफाई का जायजा लेने पहुंचेंगे लेकिन उन्हीं नगरीय निकायों में पदस्थ अधिकारी नगर विकास की राशि से अपनी जेब भरेंगे इसपर कोई चर्चा नहीं हुई,पूरी बैठक में भ्रष्टाचार विषय पर चर्चा नहीं हुई ,क्या भ्रष्टाचार सरकार के लिए गंभीर मुद्दा नहीं,ऐसे में तो अब कोरिया जिले के नगर पंचायत पटना मुख्य नगर पालिका अधिकारी काफी प्रसन्न होंगे जो भ्रष्टाचार अपना जारी रख सकेंगे और सुबह जिले की कलेक्टर का साफ सफाई के साथ स्वागत करेंगे, सुबह वह नगर की सफाई करने निकलेंगे वहीं दिनभर फिर वह नगर विकास की राशि नगर विकास के बैंक खातों से साफ करेंगे, भ्रष्टाचार विषय का बैठक में शामिल नहीं होना पटना जैसे नगर के मुख्य नगर पालिका अधिकारी के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं जिन्हें अब कोई भय नहीं होगा क्योंकि कलेक्टर को जिले के वह पहले ही परास्त कर चुके हैं कलेक्टर को अपना आदेश वापस लेना पड़ चुका है वहीं अब उन्हें केवल कलेक्टर की आवभगत करनी होगी साफ सफाई दिखानी होगी जिसका भी वह अपनी जेब के लिए उपयोग करेंगे काम कम होगा भुगतान कहीं अधिक जारी होगा।

क्या वर्तमान सरकार भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित कर रही है इस वजह से पिछले दो साल में इक्का दुक्का कार्यवाही को छोड़ दे तो कोई भी ऐसी कार्यवाही नहीं देखने को मिली जो सरकार को निष्पक्ष बता सके?
भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश सरकार की स्थिति स्पष्ट नहीं नजर आती,क्या भ्रष्टाचार को सरकार प्रोत्साहित कर रही है भ्रष्ट अधिकारियों को,सरकार के दो वर्ष के कार्यालय के दौरान भ्रष्टाचार के एक दो मामले ही ऐसे सामने आए होंगे जिसमें यह समझ में आया है कि सरकार भ्रष्टाचार मामले में कार्यवाही के लिए संकल्पित है वरना ज्यादातर मामलों में भ्रष्टाचार को लेकर सरकार मौन ही नजर आती है, भ्रष्टाचार के मामले प्रदेश में लगातार सामने आते रहते हैं जिसमें भ्रष्टाचार स्पष्ट परिलक्षित भी होता है लेकिन सरकार इन मामलों को लेकर कोई गंभीरता प्रदर्शित नहीं करती नजर आती है,कोरिया जिले में भी भ्रष्टाचार चरम पर है,कई कार्यालयों के भ्रष्टाचार को लेकर कई बार खबरें भी प्रकाशित की गईं लेकिन कार्यवाही के नाम पर कोई भी निर्देश जारी होता नजर नहीं आया,जिला पंचायत,वन विभाग,नगरीय निकायों में जिले के खासकर पटना नगर पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार ऐसे मामले हैं जिसमें यदि केवल एक जांच संस्थित कर दी जाए दोष साबित हो जाएगा लेकिन कहीं कोई जांच नहीं कहीं कोई कार्यवाही नहीं जैसी स्थिति बनी हुई है,कोरिया जिले में यदि केवल डीएमएफ मद के बंदरबाट की जांच की जाए तो करोड़ो का भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है जिसमें जिले के वर्तमान भाग्य विधाता शामिल नजर आयेगे।
ट्रांसफर पोस्टिंग से लेकर अधिकारियों की पदस्थापना और पदस्थापना के दौरान उनका कार्यकाल कितना संवेदनशील है क्या यह बात सरकार में बैठे लोगों को नहीं पता?
सरकार क्या ट्रांसफर पोस्टिंग करके ही सुशासन स्थापित करने के पक्ष में है,क्या वह यह मानकर चल रही है कि जिस अधिकारी की ज्यादा ही शिकायत सामने आयेगी उसका तबादला कर दिया जाएगा और मामला समाप्त हो जाएगा और भ्रष्टाचार भी रुक जाएगा,अधिकारियों के कार्यकाल को लेकर सरकार इस बात पर क्या ध्यान नहीं रखती कि किसी अधिकारी का किसी स्थान पर बिताया गया समय कितना संवेदनशील है,कोरिया जिले में अधिकारियों की स्थिति का यदि आंकलन किया जाए यह जिला भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है,जिले से लेकर नगरीय निकायों तक का हाल बेहाल है,जन सुविधाओं के नाम पर शासकीय राशियों का बंदरबाट आम है जो एक परम्परा है जिसको निभाने में सभी अपनी भूमिका निभा रहे हैं,जिले में बैठे अधिकारियों की संपत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है और वह कम समय में इतना कुछ कमा पा रहे हैं जो किसी के जीवनभर की कमाई से अधिक है लेकिन इसपर रोक टोक कहीं नजर नहीं आता,आज जिला भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है, भ्रष्टाचार की बात करना जहां अपराध है वहीं भ्रष्टाचार करना एक स्वतंत्रता जो हर जिम्मेदार जिम्मेदारी से कर रहा है, अजीब स्थिति है।
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