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एमसीबी@आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की नई मिसाल बनी सेमवती

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स्व-सहायता समूह से जुड़कर गाँव में बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाने वाली प्रेरणादायी महिला


एमसीबी,12 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)।
मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के ग्राम कछौड़ की रहने वाली सेमवती सिंह आज महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल बन चुकी हैं। एक साधारण ग्रामीण महिला से लेकर बैंकिंग सेवाएँ गाँव-गाँव पहुँचाने वाली बीसी सखी बनने तक की उनकी यात्रा बेहद प्रेरणादायी है।
बचत से शुरू हुई नई राह : वर्ष 2017 में सेमवती ने जय माँ जगदम्बा महिला स्व-सहायता समूह से जुड़कर अपनी नई शुरुआत की। उनका उद्देश्य था दृ छोटी-छोटी बचतों को जोड़कर परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना और आगे कुछ बड़ा करना। समूह की बैठकों में उनकी सक्रियता, मेहनत और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें बैंक सखी के रूप में चयनित किया गया। दस दिन का विशेष प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें ग्राम संगठन से 68 हजार रुपये का ऋण मिला। इस राशि से उन्होंने लैपटॉप और प्रिंटर खरीदा और डिजिटल सेवाओं की शुरुआत की।
तकनीक और सेवा से बढ़ी पहुंच : सेमवती का काम धीरे-धीरे गाँव में फैलने लगा। उनकी बढ़ती सेवाओं को देखते हुए उन्हें माइक्रो एटीएम भी उपलब्ध कराया गया। आज उनके माध्यम से हर माह लगभग 500 लेनदेन संपन्न होते हैं, जिनसे उन्हें 5 से 6 हजार रुपये की मासिक आय हो जाती है। उन्होंने अपनी इस आय को आगे बढ़ाते हुए एक किराना दुकान भी खोली, जिससे उन्हें लगभग 15 हजार रुपये की अतिरिक्त आय होती है। इस तरह उनकी कुल मासिक आय अब 20 हजार रुपये तक पहुँच चुकी है।
बीसी सखी बनकर गाँववासियों को मिली सुविधा : वर्ष 2018 में सेमवती छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की बीसी सखी बनीं। इस भूमिका में उन्होंने अपने गाँव के लोगों को घर-घर जाकर बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराना शुरू किया। अब ग्रामीणों को खाता खोलने,राशि जमा और निकासी के लिए दूर-दराज बैंक शाखा तक नहीं जाना पड़ता। उन्होंने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी योजनाओं से सैकड़ों ग्रामीणों को जोड़ा। पिछले पाँच वर्षों में सेमवती ने लाखों रुपये के लेनदेन किए और लोगों के बीच भरोसेमंद बैंकिंग प्रतिनिधि के रूप में पहचान बनाई।
चुनौतियाँ और सफलता
सेमवती बताती हैं कि शुरुआत में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। गाँव के लोग डिजिटल सेवाओं को लेकर संकोच करते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने विश्वास कायम किया। धैर्य, मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें न सिर्फ सम्मान दिलाया, बल्कि परिवार और समाज में उनकी स्थिति को भी मजबूत बनाया।
भविष्य की योजना और प्रेरणा
सेमवती का सपना है कि वह अपनी सेवाओं को और अधिक गाँवों तक पहुँचाएँ और अधिक से अधिक महिलाओं को स्व-सहायता समूह से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाएँ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की योजनाओं का आभार व्यक्त करते हुए वह कहती हैं कि इन योजनाओं ने ग्रामीण महिलाओं के जीवन में नया आत्मविश्वास जगाया है। आज सेमवती सिंह न केवल अपने परिवार की आर्थिक मजबूती का आधार हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत और आदर्श बन गई हैं। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि यदि दृढ़ संकल्प और सही अवसर मिले, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है और समाज में बदलाव की नई राह खोल सकती है।


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