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कोरिया@युवक विद्युत सब स्टेशन में मिला अधमरा हालत में,उपचार के दौरान मौतआत्महत्या है या फिर हत्या है पुलिस 3 महीने में पता नहीं कर पाई…प्राथमिकी भी नहीं हुई दर्ज?

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  • वाह रे सुशासन…युवक की मृत्यु के तीन माह बाद भी पुलिस प्राथमिकी तक दर्ज नहीं कर पाई
  • यदि यही है रामराज्य और सुशासन,तो भगवान बचाए ऐसे सुशासन से…
  • परिजन पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दर-दर भटक रहे…
  • जिले के पुलिस अधीक्षक से लेकर संभाग के आईजी,विधायक,मंत्री सब के दर पर लगा चुके हैं गुहार
  • इकलौते चिराग के संदिग्ध मृत्यु के बाद दो अबोध बालकों के सिर से पिता का उठा साया
  • निष्पक्ष जांच की मांग करने पर परिजनों को किया जा रहा प्रताडि़त,निर्वासित जीवन जीने को मृतक के परिजन मजबूर

-न्यूज़ डेक्स-
कोरिया/एमसीबी,09 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। जिले के पुलिस विभाग और पुलिसिया कार्यवाही की प्रक्रिया से अधिकांश लोग भली भांति परिचित होंगे और जो परिचित नहीं हैं,ईश्वर करे कि उन्हें एमसीबी जिले के पुलिसिया कार्यप्रणाली का सामना करना ना पड़े। ऐसा इसलिए लिखना पड़ रहा है,की एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ थाना अंतर्गत एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है,जिस पर पुलिस की उदासीनता और गैर जिम्मेदाराना रवैया तथा पीडि़त पक्ष की व्यथा सुनकर किसी का भी हृदय पीडि़त पक्ष के लिए पसीज सकता है,और पुलिस विभाग के प्रति असंतोष का कारण बन सकता है।
मामले का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार संज्ञान में आया है कि भुनेश्वर यादव आयु लगभग 30 वर्ष निवासी ग्राम घुटरा जिला एमसीबी जो की पूर्व में विद्युत विभाग सब स्टेशन 33/11 केवी घुटरा में बतौर ऑपरेटर कार्यकर्ता था, और जिसका स्थानांतरण चिरमिरी सब स्टेशन में कर दिया गया था। यह व्यक्ति 23 जुलाई 2025 की शाम को 6:00 बजे अपने मोटरसाइकिल से घर से निकलता है, और देर रात तक घर नहीं लौटता है। रात लगभग 1:00 बजे भुनेश्वर यादव के मां के पास उसके विद्युत सब स्टेशन में घायल पड़े होने की सूचना प्राप्त होती है, तब उसकी मां कुछ मददगारों को लेकर जब सब स्टेशन जाती है, तो भुनेश्वर यादव खून से लथपथ,गंभीर घायल अवस्था में बेसुध मिलता है। जिसे तत्काल उसकी मां अपने स्वयं के साधन द्वारा बैकुंठपुर जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराती है। परंतु गंभीर अवस्था में होने के कारण भुनेश्वर यादव को उच्च स्तरीय चिकित्सा के लिए रायपुर रेफर कर दिया जाता है,जहां 7 दिन इलाज चलने के बाद भुवनेश्वर यादव बिना होश में आए दम तोड़ देता है। जिस दिन यह युवक घायल अवस्था में मिलता है उसके अगले ही दिन युवक की पत्नी द्वारा मनेंद्रगढ़ थाने में इस आशय का रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास किया जाता है। परंतु संबंधित थाने के कर्मचारी उसे यह कह कर वापस भेज देते हैं कि,जब तक वह स्वयं बयान नहीं देगा,हम किसी प्रकार का रिपोर्ट दर्ज नहीं करेंगे। यह बात बताने पर भी कि वह बयान देने योग्य नहीं है, किसी प्रकार की रिपोर्ट दर्ज नहीं की जाती है। और अंत तक यही कहा जाता है कि जब तक वह स्वयं बयान नहीं देगा प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी। अंततः युवक अपने दो मासूम बच्चों और पत्नी के साथ-साथ अपने माता-पिता की इकलौती संतान होने की त्रासद लिए दम तोड़ देता है। विडंबना यह है कि अभी तक इस मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई है।

प्रशासन और पुलिस के अलावा समाज के जिम्मेदार लोग भी मामले को दबाने में लगे
मृतक के पीडि़त पिता के अनुसार प्रशासन और पुलिस से गुहार लगाकर वह और उनका परिवार पूरी तरह थक चुका है,और व्यथित हैं। मृतक के पीडि़त पिता ने यह भी कहा कि समाज के प्रभावशाली लोग भी इस मामले को लेकर निपटाने में लगे हैं,क्योंकि मृतक के पिता का बड़ा आरोप है कि घटना के कारण जिस पर उन्हें शक है,उसके समाज के प्रभावशाली लोग जो सरकार में वर्चस्व रखते हैं,इस मामले को किसी भी तरीके से निष्पक्ष जांच होने नहीं देना चाहते। क्योंकि इसमें उनके अपने करीबियों के फंसने का खतरा है।


क्या पुलिस जो कहानी बना रखी है वही सही बाकी सब गलत है?
किसी भी बड़े मामले में पुलिस आसानी से कुछ भी कहानी बना देती है कहीं से भी जोड़कर कहीं से भी उस कहानी की शुरुआत व अंत कर देती है, यदि हम इस मामले की बात करे तो कई सवाल है यदि हम करंट से मौत को भी सही मान ले तो क्या यह मामला गैर इरादतन हत्या का नहीं है, आखिर डेंजर जोन में उस जाने के अनुमति कैसे मिली कि वह बिजली बंद करने पहुंच गया? क्या यह विभाग की लापरवाही नहीं और यदि मारपीट से ही उसकी जान गई है तो फिर हत्या का मामला नहीं है? पर पुलिस इन दोनों में से कोई भी मामला दर्ज क्यों नहीं कर पाई? क्या पुलिस इसे आत्महत्या मान रही है पर सिर्फ मर्ग कायम करके मामले को रफा दफा कर रही है? क्या पुलिस से यही उम्मीद अब जनता को करनी चाहिए कि न्याय उनसे नहीं मिलने वाला वह अब ना तो सुरक्षा देने के लिए हैं और ना ही वह मामले को अच्छे से जांच करने के लिए? कहा जाता था कि पुलिस यदि अच्छे से जांच कर ले तो कोई भी अपराधी बच नहीं सकता पर ऐसा अब होता नजर नहीं आ रहा, अब पुलिस जांच कर ली तो अपराधी तो बच जाएगा पर जिसे न्याय मिलना है वह न्याय कभी नहीं पा पाएगा।
परिजन पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं…
मृतक की पत्नी,मां और पिता के अनुसार मृतक के साथ हत्या करने के इरादे से बुरी तरह मारपीट की गई और उसे मरा समझ कर बेसुध छोड़ दिया गया। जैसा कि मृतक की मां ने बताया जब उस रात्रि 1ः00 बजे युवक के बारे में सूचना मिली तो वह सूचनाकर्ता एवं अन्य लोगों के साथ विद्युत सब स्टेशन में गई। जहां वर्तमान में कार्यरत स्टेशन ऑपरेटर के द्वारा मुख्य गेट का ताला खोलने के साथ-साथ कार्यालय के मुख्य दरवाजे का ताला खोला गया,उसके बाद पीछे के दरवाजे का ताला खोला गया और फिर मृतक के शरीर को दिखाया गया। जहां मृतक का शरीर खून से लथपथ था, सर के पीछे का हिस्सा फट कर गुमड निकल आया था, गाल में आर पर छेद थे,जिससे खून निकल रहा था। आंखें बुरी तरह चोटील थीं और रक्तस्राव हो रहा था। इसके साथ ही जब बैकुंठपुर जिला चिकित्सालय में और रायपुर रामकृष्ण केयर अस्पताल में मृतक के घायल अवस्था में शरीर का मुआयना किया गया तो पीठ और छाती में लाठी डंडे जैसे हथियार से मारपीट के मोटे-मोटे निशान थे। प्रथम दृष्टया युवक की मौत संदिग्ध प्रतीत हो रही थी,परंतु पुलिस विभाग में प्राथमिकी दर्ज कराने का प्रयास करने पर मृतक का बयान उपलब्ध न होने का हवाला देकर और मृतक को बिजली का कार्य करते समय करंट का झटका लगने से खंभे से गिर जाने की वजह से सिर पर चोट लगने के कारण मृत्यु होना बताकर पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। और केवल मर्ग कायम किया गया। वर्तमान स्थिति यह है कि कई बार प्रयास करने पर भी मृतक के मृत्यु की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हो पाई है, ना तो इसे हत्या माना जा रहा है, ना ही गैर इरादतन हत्या और ना ही दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु।

जिले के पुलिस अधीक्षक से लेकर संभाग के आईजी,विधायक,मंत्री सब के दर पर परिजन लगा चुके हैं गुहार
घर के इकलौते चिराग के बुझ जाने और दो छोटे मासूम बच्चों के सिर से पिता का साया उठ जाने के बाद मृतक की पत्नी और उसके माता-पिता के द्वारा युवक की मृत्यु के निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर जिले के पुलिस अधीक्षक,सरगुजा रेंज के आईजी समेत एमसीबी जिले के विधायक और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, सोनहत विधायक श्रीमती रेणुका सिंह,पूर्व विधायक गुलाब कमरों एवं अन्य राजनीतिक प्रतिनिधियों के समक्ष गुहार लगाने पर भी कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है। नहीं आज तक घटनास्थल का मौका मुआयना किया गया है, और ना ही घटना से संबंधित लोगों से किसी प्रकार की पूछताछ की गई है। जब युवक की मृत्यु रायपुर स्थित अस्पताल में हो गई,तो युवक के दाह संस्कार के पूर्व उसके पिता द्वारा सरगुजा आईजी के समक्ष मृत्यु के निष्पक्ष जांच करने के लिए यह कहा गया कि जब तक जांच नहीं होगी तब तक वह मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, परंतु ठोस आश्वासन मिलने के बाद युवक का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया और अभी तक मामले में एक रिपोर्ट भी दर्ज नहीं हो पाई।

जब विभाग का कर्मचारी नहीं था मृतक,तो बिजली सब स्टेशन में रात्रि को किसकी अनुमति से कर रहा था कार्य
पूरे मामले में यह एक बहुत बड़ा सवाल है की वर्तमान में जब मृतक उक्त सब स्टेशन का कर्मचारी नहीं था,तो रात्रि को किसकी अनुमति से वह सब स्टेशन में खंभे पर चढ़कर सुधार कार्य कर रहा था? उसके साथ सहायक कौन था? किसकी अनुमति से अनधिकृत व्यक्ति द्वारा सभी स्टेशन में कार्य कराया जा रहा था? वह कौन अधिकारी था जो इस प्रकार के अनाधिकृत कार्य के लिए उसको आदेशित किया था? जब वह खंभे पर चढ़कर कार्य करने के दौरान गिर गया तो उसे तत्काल अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया ? जिस वक्त युवक की मां सब स्टेशन में सूचना पर पहुंची,तो वहां केवल एक कर्मचारी घायल को बिजली खंभे के पास छोड़कर सभी तालों को बंद करके क्या कर रहा था? क्यों तात्कालिक उपचार की व्यवस्था नहीं बनाई गई? और उसे इतनी सारी चोटें केवल खंभे से गिरने की वजह से आई तो आई कैसे? मृतक जो मोटरसाइकिल लेकर निकला था,उसे दूसरे दिन किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा उसके घर तक पहुंचाया गया,वह मोटरसाइकिल सब स्टेशन के पास क्यों नहीं पाया गया? जब मृतक विभाग का कर्मचारी नहीं था और उससे अनाधिकृत तरीके से कार्य कराया जा रहा था,जैसी की पुलिस की थ्योरी है,तो फिर उसको आदेशित करने वाले अधिकारियों,कर्मचारियों के ऊपर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज होना चाहिए था। विधि विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रकार के कृत्य में हत्या का मामला बनता है,परंतु इस पूरे प्रकरण में मृत्यु के कारणों की निष्पक्ष जांच करना ही पुलिस विभाग ने अभी तक उचित नहीं समझा। जबकि मामले को घटित हुये 3 माह लगभग बीत चुके हैं। पुलिस की थ्योरी के अनुसार ही अगर चला जाए तो भी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा कार्य करवाए जाने के दौरान होने वाले मृत्यु के कारण जिम्मेदारों पर गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है। परंतु पुलिस विभाग द्वारा इसकी सरासर अनदेखी की जा रही है।
मामले से जुड़ा कुछ महत्वपूर्ण सवाल
सवाल: पुलिस क्या मृतक की मौत आत्महत्या मान रही को इसलिए अभी तक एफआईआर नहीं किया?
सवाल: पुलिस को मृतक की हत्या,हत्या क्यों नहीं लग रही?
सवाल: गैर अधिकृत व्यक्ति को सब स्टेशन के अंदर क्यों आने दिया गया क्या यह मामला गैर इरादतन हत्या से जुड़ा हुआ नहीं है?
सवाल: करंट लगने से मौत हुई है तो फिर करंट लगा कैसे,कहीं किसी ने उसे करंट में धकेल तो नहीं दिया?
सवाल: यदि करंट से मौत हुई है तो पीएम रिपोर्ट में कहीं पर भी जलने के निशान मृतक के शरीर में क्यों नहीं मिले? जबकि काफी हाई वोल्टेज वाला सब स्टेशन था?
सवाल: क्या मृतक करंट के चपेट में आकर आत्महत्या करना चाहता था?
सवाल: जब मृतक के शरीर पर चोट के निशान है तो फिर चोट शरीर पर आए कैसे क्या यह हत्या के तरफ अंदेशा नहीं करता?
सवाल: सर से लेकर कई जगह पर चोट के निशान क्या इसे देखकर भी पुलिस इसे हत्या नहीं मान रही?
सवाल: कहीं पुलिस हत्यारे के हाथ बिक तो नहीं गई इस वजह से उसे यह मामला हत्या का नहीं लग रहा?


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