समाजसेवी शिल्पा पांडेय ने की बाल संरक्षण आयोग से शिकायत,निगरानी समिति के गठन की उठी मांग
अंबिकापुर,09 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। समाजसेवी शिल्पा पांडेय ने निजी स्कूलों में छोटे बच्चों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार का खुलासा करते हुए इसे बच्चों के मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि शिक्षा के नाम पर कई निजी विद्यालयों में छोटे बच्चों के साथ जिस प्रकार की सख्ती और मानसिक दमन किया जा रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। शिल्पा पांडेय ने बताया कि बच्चों को कक्षा के दौरान शौचालय नहीं जाने दिया जाता,उन्हें पानी पीने से रोका जाता है,और यहां तक कि स्कूल बैग के वजन को लेकर भी राष्ट्रीय बैग नीति की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ कुछ स्कूलों या बच्चों तक सीमित नहीं है,बल्कि यह आने वाली पीढ़ी के मानसिक और शारीरिक विकास से जुड़ा एक बड़ा सामाजिक सवाल है। बच्चों की मासूमियत और उनकी ज़रूरतों की उपेक्षा कर जो सख्त रवैया अपनाया जा रहा है,वह किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकता।इस पूरे मामले को लेकर शिल्पा पांडेय ने 1 सितंबर को राज्य बाल संरक्षण आयोग, रायपुर को 11 बिंदुओं वाला एक विस्तृत पत्र सौंपा था। इस पत्र में बच्चों की मूलभूत ज़रूरतों की अनदेखी, शौचालय उपयोग पर पाबंदी, पीने के पानी की अनुपलब्धता,भारी स्कूल बैग और स्कूलों में बच्चों की उपेक्षा जैसे गंभीर मुद्दों को उठाया गया था। राज्य बाल संरक्षण आयोग ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 9 सितंबर को समस्त जिलों के कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश देने हेतु पत्र जारी किया। इसके बावजूद सरगुजा जिले में 30 सितंबर तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्थिति में बदलाव न देख शिल्पा पांडेय ने 30 सितंबर के बाद सरगुजा कलेक्टर को पुनः पत्र भेजा और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की मांग दोहराई। इसके बाद 7 अक्टूबर को कलेक्टर द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया गया कि सभी शासकीय और अशासकीय विद्यालयों — प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। इन दिशा-निर्देशों में बच्चों को शौचालय उपयोग की स्वतंत्रता, पीने के लिए स्वच्छ और पर्याप्त पानी की उपलब्धता,बैग नीति का पालन, मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा से जुड़े पहलुओं को सख्ती से लागू करने की बात कही गई है। हालांकि शिल्पा पांडेय का कहना है कि केवल आदेश जारी कर देने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला। प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर इन आदेशों के पालन की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र मॉनिटरिंग कमेटी का गठन आवश्यक है। यह कमेटी नियमित अंतराल पर निजी स्कूलों का निरीक्षण करे और यह सुनिश्चित करे कि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन न हो रहा हो। उन्होंने यह भी बताया कि स्कूलों में राष्ट्रीय बैग नीति का खुला उल्लंघन हो रहा है। नीति के तहत अलग-अलग कक्षाओं के लिए स्कूल बैग का वजन निर्धारित है,लेकिन निजी विद्यालयों में इससे कहीं अधिक भारी बैग लेकर बच्चे आते हैं,जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अभिभावक नहीं उठा पा रहे आवाज़
एक और महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान दिलाते हुए शिल्पा पांडेय ने कहा कि कई अभिभावक इन विषयों पर खुलकर आवाज नहीं उठा पाते। उन्हें डर रहता है कि कहीं उनके विरोध का खामियाजा उनके बच्चों को न भुगतना पड़े। स्कूल प्रबंधन द्वारा दबाव और भय का ऐसा माहौल बना दिया जाता है, जिसमें अभिभावक मौन रहना ही बेहतर समझते हैं।
सभी पक्षों को मिलकर चलना होगा
शिल्पा पांडेय ने अपील की कि यह लड़ाई केवल उनकी नहीं है। हर नागरिक, शिक्षक, माता-पिता और जिम्मेदार संस्थान को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल केवल पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि बच्चों के समग्र विकास का केंद्र बनें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य अनुशासन के नाम पर बच्चों को डराना नहीं, बल्कि उन्हें आत्मविश्वासी और स्वस्थ बनाना होना चाहिए।
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