कोरिया/पटना@बिना कार्यादेश के हो गया निर्माण एवं मरम्मत कार्य का भुगतान, नवगठित नगर पंचायत के सीएमओ का खुलेआम भ्रष्टाचार जारी?

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अध्यक्ष, उपाध्यक्ष कक्ष निर्माण एवम मरम्मत के नाम पर निकालकर खाए लाखों,आखिर सीएमओ को है किसका संरक्षण
कोरिया जिले में बलरामपुर की फर्म नगर पंचायत पटना की चहेती फर्म,बिना कार्यादेश कार्य करने अधिकृत है फर्म
सीएमओ सिकंदर सिदार ने परिचित व्यक्ति के फर्म को बनाया है अपने लिए भ्रष्टाचार करने का माध्यम, बलरामपुर की फर्म है चहेती फर्म
-न्यूज़ डेक्स-
कोरिया/पटना 08 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)।  निर्माण कार्य मरम्मत कार्य और टाइल्स फिटिंग कार्य हुआ ही नहीं कार्यादेश में सीएमओ के हस्ताक्षर भी नहीं हुए लेकिन कार्यादेश डिस्पैच हो गया और एक फर्म को कार्य का भुगतान भी हो गया वहीं अति तो तब कही जा सकती है कि न निर्माण हुआ न टाइल्स लगा फिर भी लाखों रुपए एक फर्म के नाम जारी कर दिए गए। फर्म भी जिले की नहीं बगल के जिले की नहीं बल्कि ऐसे जिले की जो जिले से नगर से सैकड़ों किलोमीटर दूर की है जो नगर तक पहुंची भी नहीं लेकिन पैसा वह पा गई। मामला कोरिया जिले के नवगठित नगर पंचायत पटना का बताया जा रहा है और जिसके अनुसार नगर पंचायत पटना के सीएमओ साहब ने अध्यक्ष उपाध्यक्ष के कक्ष निर्माण,मरम्मत और टाइल्स फिटिंग के नाम पर एक फर्म को लाखों रुपए भुगतान कर दिए और जब कार्य के बारे में और भुगतान के बारे में पता किया गया तो पता चला कि कोई काम हुआ ही नहीं न निर्माण हुआ न टाइल्स लगा बस बिल फर्म को भुगतान हो गया। इस गड़बड़ी की जानकारी तब सामने आई जब जेडी कार्यालय अंबिकापुर से जांच दल पटना नगर पंचायत पहुंची और जब उन्होंने दस्तावेजों की जांच की तो यह बात सामने आई कि सीएमओ ने फर्जी आहरण लाखों का केवल एक मामले में ही कर लिया जिस कार्य के कार्यादेश में भी सीएमओ के हस्ताक्षर नहीं हैं,वैसे कार्यादेश जारी होने के नाम पर बिना सीएमओ के हस्ताक्षर के एक पत्र सामने आया जो डिस्पैच भी हुआ नजर आता है लेकिन उसमें सीएमओ के हस्ताक्षर नहीं हैं, इस जांच में यह सामने जरूर आया कि जब भुगतान किया गया तब चेक में सीएमओ के हस्ताक्षर हुए पाए गए, नगर पंचायत पटना के प्रथम सीएमओ बनकर नगर को प्रगति पथ पर आगे बढ़ाने नगर में पदस्थ हुए सीएमओ की यह कोई पहली भ्रष्टाचार वाली कहानी नहीं है,जांच में बताया जाता है कि ऐसे ऐसे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ जिससे जांच करने आए अधिकारी भी अचंभित हो गए। जांच कर जांच अधिकारी तो लौट गए लेकिन एक सवाल वह अधूरा छोड़ गए वह यह कि क्या नव गठित नगर पंचायत पटना को भ्रष्टाचार के दलदल में उसके जन्म से धकेल देने वाले सीएमओ पर जांच उपरांत कार्यवाही होगी या जांच एक दिखावा था जो सीएमओ को अंत में क्लीन चिट देकर समाप्त कर दी जाएगी, वैसे पटना सीएमओ की नगर पटना में पदस्थ होने से लेकर अब तक कि कारस्तानियां जांच के दायरे में ली जाएं तो यह तथ्य सामने आएगा कि सीएमओ ने नवगठित नगर पंचायत पटना को आर्थिक रूप से अपने लिए दुधारू गाय मानकर उपयोग किया जिसे वह अब तक पूरी तरह निचोड़ चुके हैं। जांच और जांच उपरांत हुई कार्यवाही का अब इंतेजार है जो निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को भी है जैसा बताया जा रहा है नगर पंचायत के और देखना है कि भ्रष्टाचार हारता है या जांच हार जाती है।
नगर पंचायत पटना के सीएमओ के भ्रष्टाचार की कुछ जानकारियां
सीएमओ बनकर नव गठित नगर पंचायत का भाग्य संवारने पटना पहुंचे सीएमओ ने पटना नगर को आरंभ से ही अपने लिए जेब गर्म करने का माध्यम समझा और उन्होंने नगर पंचायत पटना में उपलब्ध विभिन्न विकास राशियों का बंदरबाट किया,अलाव जलाने से लेकर फ्लैस बैनर, बोर्ड, विज्ञापन, टेंट पंडाल, नाश्ता, व्यवस्था, चुनाव, सहित जहां जहां उन्हें लगा कि बिल ऐसे कामों के नाम के लगाकर निकाले जा सकते हैं उन्होंने निकाल लिए,ठंड में अलाव के नाम पर किया गया भ्रष्टाचार सीएमओ का सबसे विचित्र और अनोखा भ्रष्टाचार था जब लोगों को गर्मी देने के नाम पर ही सीएमओ ने खुद की जेब गर्म कर ली थी,अन्य विभिन्न कार्यों जिसमे टेंट पंडाल,फ्लैस बैनर सहित बोर्ड लगाने के नाम पर भी जमकर भ्रष्टाचार किया सीएमओ ने वहीं हद तो तब हुई जब सीएमओ ने अध्यक्ष उपाध्यक्ष के कक्ष के निर्माण की बात कहते हुए लाखों रुपए नगर पंचायत के खाते से अपने चहेते फर्म को भुगतान कर दिए,कक्ष निर्माण मरम्मत के नाम पर निकाली गई राशि के कार्यादेश की बात करें तो वह सीएमओ के हस्ताक्षर के बिना जारी कार्यादेश हैं,वहीं कक्ष निर्माण के लिए मरम्मत के लिए भुगतान अपने ही चहेते सबसे दूरस्थ जिले की फर्म को भुगतान किया सीएमओ ने जिससे उसकी पोल न खुले,कक्ष ग्राम पंचायत द्वारा ही निर्मित थे उसमें टाइल्स भी पहले से लगी थी लेकिन सीएमओ ने पैसे लिए बेशर्मी दिखाई और फर्म को भुगतान कर दिया। सीएमओ की पूरी गड़बड़ियां अब जांच अधिकरियों के समक्ष आई हैं देखना है कि जांच अधिकारी सीएमओ के साथ न्याय करते हैं भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं या नगर पंचायत पटना को एक भ्रष्ट अधिकारी के चंगुल से आजाद कराते हैं जो पैसे की भूख में यह भी भूल गया है कि किसी नवगठित नगर के लोगों की उम्मीदें उससे जुड़ी हैं।
नगरीय प्रशासन विभाग में क्या भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए ही निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को अधिकार विहीन कर छोड़ दिया गया है
नगरीय क्षेत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकार नगरीय क्षेत्र के लिए कुछ भी ऐसे नहीं हैं कि वह निर्णय स्वतंत्र रूप से ले सके या वह नगर क्षेत्र के लिए कोई कार्ययोजना बना सके या उसका प्रस्ताव ला सके या उसे अमली जामा पहना सके,निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की स्थिति वर्तमान में रबर स्टाम्प की भी नहीं रह गई है,न उनके हस्ताक्षर की कोई जरूरत है अधिकारियों को और न उनकी सहमति असहमति की ही जरूरत है,सभी निर्णय नगरीय निकाय के अधिकारियों का एकाधिकार है,जबसे अधिकारियों को ही समस्त शक्तियां प्रदान की गई हैं तभी से यह देखने में आ रहा है कि नगरीय निकाय क्षेत्र में केवल ठेकदारों की ही सत्ता कायम हुई है और अधिकारियों पर से नियंत्रण कम से कम स्थानीय स्तर पर समाप्त हुआ है,नगरीय निकाय क्षेत्र के अधिकारी जिले के बड़े अधिकारियों से भी भय नहीं खाते और वह सीधे मंत्रालय से जुड़े होने की बात कहकर पदस्थ नगरीय निकाय को केवल आर्थिक चोट पहुंचाते हैं। प्रदेश में लगातार देखने सुनने को मिल रहा है कि नगरीय क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का उसी नगरीय निकाय के अधिकारी से नहीं तालमेल बैठ पा रहा है और इसकी वजह मात्र यही है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के पास कोई अधिकार हैं ही नहीं,निर्वाचित नगरीय क्षेत्र जनप्रतिनिधियों की हालत इस कदर हाशिए पर है कि उनकी वार्षिक निधियों पर भी अब ठेकेदारों और अधिकारियों का अधिकार है,ठेकेदार और अधिकारी ही तय कर रहे हैं कि कहां क्या निर्माण होना है किस वार्ड में क्या भेजना है,निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को फिलहाल अधिकार विहीन करके उनके हाल पर छोड़ दिया गया है जो समझ ही नहीं पा रहे हैं कि वह जनप्रतिनिधि हैं या फिर वह आदेश सुनने और देखने वाले एक 4000 से लेकर 15000 वेतन पाने वाले कर्मचारी।
बलरामपुर जिले की एक फर्म है सीएमओ के लिए विश्वसनीय फर्म,भ्रष्टाचार के लिए फर्म के बैंक खाते का सीएमओ करते हैं उपयोग,सूत्र
नगर पालिका सीएमओ पटना सिकंदर सिदार के भ्रष्टाचार की कहानी कोई एक दो कहानी नहीं है,कुछ महीनों में ही सिकंदर सिदार ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी हैं और स्थिति यह है की अब यदि भ्रष्टाचार का कोई सबसे बड़ा पदाधिकारी यदि होगा वह भी सीएमओ पटना के सामने शर्मा जाएगा वह मुंह छिपा लेगा,सीएमओ पटना भ्रष्टाचार के लिए बलरामपुर जिले की एक फर्म पर अधिक विश्वास करते हैं जिसके नाम के कई आहरण नगर पंचायत द्वारा किए जाने की जानकारी सूत्रों से प्राप्त हुई है,उक्त फर्म को लेकर किसी के पास कोई जानकारी नहीं है बशर्ते बताया जाता है कि खुद सीएमओ ही उस फर्म के नाम से खुद बिल वाउचर लगाते हैं और भुगतान का चेक फर्म के नाम काटा जाता है,फर्म का संचालक सीएमओ का विश्वासपात्र बताया जाता है जो केवल फर्म के नाम के उपयोग मात्र से कमीशन प्राप्त करता है, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष कक्ष के नाम पर जो भ्रष्टाचार सीएमओ ने किया है उसका भुगतान भी उसी फर्म को किए जाने की बात सामने आई है,सीएमओ का बेखौफ होकर नगर पंचायत पटना में भ्रष्टाचार जारी है और निर्वाचित जनप्रतिनिधि मजबुर हैं मौन हैं क्योंकि वह शासन के नियमों के आगे आधिकारविहीन हैं।
नगर पटना के भी कुछ फर्म सीएमओ के भ्रष्टाचार में हैं उसके मददगार,पैसा बैंक खाते में लेना और कमीशन काटकर देना है उनका काम,सूत्र
सूत्रों का यह भी कहना है कि नगर पटना के कुछ ऐसे फर्म हैं जो सीएमओ के भ्रष्टाचार को मदद पहुंचा रहे हैं,इन फर्मों की जवाबदारी यह है कि यह सीएमओ के फर्जीवाड़े वाले चेक के भुगतान खुद के खाते में स्वीकार करते हैं और फिर कमीशन काटकर पैसा सीएमओ को लौटा देते हैं,इन नगर की फर्मों ने भी नगर में नगर की विकास राशि के भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है जिससे ही सीएमओ का मनोबल बढ़ा हुआ है,सीएमओ नगर के ऐसे फर्मों को लगातार राशि जारी कर राशि वापस प्राप्त कर रहा है।
नगर पंचायत के कर्मचारियों के खाते में भी राशि भेजकर वापस लेते हैं सीएमओ,भ्रष्टाचार के लिए कर्मचारियों का भी सहयोग सीएमओ को स्वीकार
सीएमओ को लेकर एक यह भी बात सूत्रों द्वारा बतलाई जा रही है की सीएमओ पैसा नगर पंचायत से आहरण कर जेब में डालने के लिए नगर पंचायत के कर्मचारियों का भी उपयोग कर लेता है,कर्मचारियों के बैंक खाते में पैसा भेजकर वह वापस लेता है और कर्मचारियों से चुप रहने की बात करता है,कर्मचारियों की माने तो वह न चाहते हुए भी ऐसा करने मजबूर हैं क्योंकि वह नियमित कर्मचारी नहीं है और उन्हें ऐसा सहयोग नहीं करने पर निकाल दिए जाने की धमकी सीएमओ देता है। कर्मचारियों तक को भ्रष्टाचारी बनाकर आखिर कौन का साम्राज्य स्थापित करना चाह रहा है पटना सीएमओ सवाल यह बड़ा है।


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