- दशहरा व मंत्री के जन्मदिन पर बबलू खूब लगाए ठुमका बैठी महिलाएं भी हुईं शर्मिंदा
- सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों को देखने पहुंचे थे लोग या फिर मंत्री के खास बबलू का ठुमका देखने?
- नाम भले ही सांस्कृतिक कार्यक्रम का था पर कार्यक्रम में फूहड़ता देखने को मिली?….देखें विडिओ….

-न्यूज डेस्क-
एमसीबी/चिरमिरी,05 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले के इकलौते महापौर क्या बबलू, राजू के एहसान तले दबे हुए हैं क्या वह उनके सामने इस कदर दबे हैं कि उन्हें कुछ कहने निर्णय लेने की भी आजादी नहीं है वह महापौर की जगह निर्णय लेने और महापौर की जगह अपनी उपस्थिति बनाए रखने स्वतंत्र हैं,सूत्रों का दवा है कि नगर निगम क्षेत्र में यदि कोई निर्णय चलता है तो वह बबलू,राजू का चलता है,चाहे वह किसी भी कार्य का हो,चाहे वह निर्माण से संबंधित भ्रष्टाचार का क्यों ना हो,बताया तो यह भी जाता है कि एक स्ट्रीट लाइट मामले में भी कुछ ऐसी ही स्थित है, यदि उस लाइट की कीमत की जांच कर ली जाए तो लाइट की कीमत जो लगी है वह काफी कम कीमत की मिल जाएगी,पर उसका बिल जो लगा है वह 2 गुना नहीं 6 गुना ज्यादा है,अब इससे यह साफ होता है कि महापौर सब कुछ जान कर भी कुछ कर नहीं सकते पर यह जरूर है कि भ्रष्टाचार का ठीकरा अपने माथे पर ले जरूर सकते हैं? अब महापौर किस एहसान के तले दबे हैं या एहसान के नीचे हैं और राजू बबलू उस एहसान के ऊपर और एहसान के ऊपर होकर जो नाच वह नाच रहे हैं जो फूहड़ता वह फैला रहे हैं, क्या इसे जानता नहीं देख रही है इसका दुष्परिणाम क्या होगा? एहसान के नीचे दबा हुआ व्यक्ति बिना कुछ किए ही बदनाम हो गए है और एहसान के ऊपर के व्यक्ति तांडव कर रहे हैं, इस तांडव में मंत्री विधायक व भाजपा की भी किरकिरी हो रही है पर इस पर लगाम लगाएगा कौन?
ऐसा सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि नगर निगम में दशहरा पर्व दिवस एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन में ऐसा कुछ देखने को मिला जो निगम के उन लोगों को शर्मशार कर गया जो उस कार्यक्रम में देर तक मौजूद थे जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं,बताया जा रहा है और तस्वीरें भी सामने आईं हैं जिसमें देखा भी जा सकता है कि असत्य पर सत्य की जीत का पर्व दशहरा एमसीबी जिले के नगर निगम चिरमिरी में किस तर्ज पर मनाया गया,चिरमिरी में आयोजित एक रावण दहन कार्यक्रम में रावण दहन उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिस कार्यक्रम में देर रात फूहड़ता देखने को मिली,इस दौरान बाहर से आए कार्यक्रम में महिला कलाकारों का नृत्य जारी था जिसमें शहर के बड़े ठेकेदार खुद महिला कलाकारों के साथ स्टेज पर नाचते नजर आए और जब फूहड़ता बढ़ गई दूर दूर से आए दर्शक कार्यक्रम छोड़कर घर लौट गए और जिन्हें यह कहते भी सुना गया कि जब शहर के ठेकेदारों नेताओं को ही नाचना था बाहर से कलाकारों को बुलाकर पैसा खर्च करना आवश्यक नहीं था वही खुद नाच लेते यह पैसे की बर्बादी हुई,कार्यक्रम बुराई पर अच्छाई की जीत का था जहां नेता ठेकदार और अन्य मित्रमंडली उनकी नाचती रही मंच पर। वैसे नवरात्रि का पर्व बड़ा पवित्र पर्व माना जाता है हिन्दुओं के लिए वहीं दशहरा का भी पूर्व धर्म अनुसार धर्म विजय और अधर्म के नाश का है लेकिन इस पर्व के आयोजन की जिम्मेदारी निभाने वाले कुछ लोगों के कारण यह पर्व अब कई बार फूहड़ता परोसने के नाम पर बदनाम होता जा रहा है जो आलोचनाओं का भी कारण बन रहा है,धर्म आयोजनों में फूहड़ता का स्थान नहीं होना चाहिए लेकिन आजकल आयोजक इसी को धर्म मानकर चलते हैं और कहीं न कहीं वह धर्म को भी आलोचना का शिकार बनने मजबूर करते हैं। चिरमिरी के दशहरा अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में शहर के संभ्रांत माने जाने वाले लोग जिनमें मंत्री के खास ठेकेदार, नेता मौजूद थे मंच पर महिला कलाकारों के साथ नाचते नजर आए और जो मामला या जो कृत्य मंच के नीचे बैठे दृश्य खासकर महिला दर्शकों को नहीं भाया और वह धीरे धीरे घर लौट गए,इस दौरान मंच पर फूहड़ता का प्रदर्शन जारी रहा। वैसे सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों लोग ऐसा कृत्य करते हैं जो एक धर्म समुदाय की बदनामी का कारण बनता है,जो नवरात्रि पर्व नौ दिवस तक धार्मिक होता है आस्था से जुड़ा होता है वह दसवें दिन क्यों अधर्म के लिए ख्याति प्राप्त करती है जबकि दसवें दिन को अधर्म के नाश का दिन कहा जाता है।
महिला सम्मान का नहीं रखा गया ध्यान,यह कैसा आयोजन जहां फूहड़ता के लिए आयोजक ही थे जिम्मेदार
नगर निगम के दशहरा आयोजन के उस कार्यक्रम में फुहड़ता नजर आई जहां महापौर पर एहसान लादने वाले ठेकेदार खुद मौजूद थे,फुहड़ता ऐसी की दर्शक दीर्घा की महिलाएं घर लौट गईं,कार्यक्रम में महिलाएं जहां मंच के नीचे फूहड़ता देखकर खुद को शर्मशार महसूस कर रही थीं वहीं मंच पर आई महिला कलाकारों के सम्मान का भी ध्यान नहीं रखा जा रहा था,मंच पर महिला कलाकारों के साथ शहर के खुद को संभ्रांत कहने वाले नाच रहे थे कहीं न कहीं उनका प्रयास महिला कलाकारों से अधिक निकटता की थी,अब ऐसे कार्यक्रमों के बाद ऐसे सवाल उठने लाजमी हैं कि आखिर जब आयोजक ही फूहड़ता पर उतारू हो जाएं कैसे कोई कार्यक्रम सभ्य समाज के लिए प्रस्तुत हो सकेगा, कार्यक्रम केवल आयोजकों के ही नाचने गाने का मंच बन गया था और जहां देर रात तक ठेकेदार नेता शर्म हया त्यागकर नाचते रहे।
दोस्ताना भी मंच पर ही निभा गए नगर निगम के संभ्रांत लोग,दर्शकों ने कहा कार्यक्रम व्यक्तिगत
मंच पर रात में ऐसा ऐसा कारनामा नजर आया जिसके बाद दर्शकों को यह भी कहते सुना गया कि पूरा कार्यक्रम व्यक्तिगत जैसा था या पारिवारिक था,मंच पर नेता, ठेकेदार अन्य उनकी मित्रमंडली दोस्ताना भी जाहिर करती नजर आई और दोस्ती के गाने के साथ वह मंच पर झूमते नजर आए। दोस्ताना गीत पर नाच गाना बताया जाता है पूरी मस्ती वाला था जो झूमते हुआ प्रदर्शन था संभ्रांत लोगों का।
धार्मिक आयोजनों में फूहड़ता आखिर कब बंद होगी?
धार्मिक कार्यक्रमों में फूहड़ता कोई नई बात नहीं है,हर वर्ष यह मामला सामने आता है और संभ्रांत लोगों की किरकिरी होती है जिसके बाद मामला शांत हो जाता है क्योंकि वह प्रभावशाली लोगों से जुड़ा होता है जो सत्ता शासन से ऊपर होते हैं,वहीं सवाल यह है कि ऐसी फूहड़ता आखिर कब बंद होगी कब धार्मिक अवसरों पर होने वाले और ऐसे धार्मिक अवसरों को कलंकित करने वाले फूहड़ कार्यक्रम आयोजित होने बंद होंगे।
देर रात तक मंच पर शहर के ही कुछ नेता ठेकेदार नाचते रहे…
नवरात्रि अवसर पर वैसे तो माता दुर्गा की पूजा की जाती है और दशहरा के दिन रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित कर असत्य पर सत्य की जीत का पर्व मनाया जाता है लेकिन इन धार्मिक आयोजनों को भी कुछ आयोजक अपने मनोरंजन मात्र के लिए ऐसा बना देते हैं कि आलोचना होने लगती है और आयोजन को लेकर लोग खुद को शर्मशार मानने लगते हैं क्योंकि वह भी उत्साह में उसका हिस्सा बन जाते हैं और जब उन्हें ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों में फूहड़ता और अश्लीलता का भान होता है वह शर्मिंदगी महसूस करते हैं,ऐसा ही एक मामला चिरमिरी से सामने आया है जहां आयोजित रावण दहन कार्यक्रम में रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां रात में फूहड़ता देखने को मिली जिसमें मंत्री जी के खास लोग खुद नचनिया बनकर स्टेज पर नाचते नजर आए जहां कार्यक्रम देखने पहुंचे दर्शकों ने श्रद्धालुओं ने आपस में यह निष्कर्ष निकाला कि जब नाचने वाले शहर में ही मौजूद हैं तो फिर क्यों लाखों का खर्च कर कलाकार बुलाने की जहमत उठाई गई। मामला एमसीबी जिले के इकलौते नगर निगम चिरमिरी के एक आयोजन का है और जहां शहर के दो ठेकेदार स्टेज पर खुद चढ़कर नृत्य प्रस्तुत करने आई नृत्यांगनाओं के साथ नाचते नजर आए, इस दौरान महिलाएं भी काफी संख्या में शहर की मौजूद रहीं जिन्हें बाहर से आए कार्यक्रम का लुत्फ उठाने आमंत्रित किया गया था लेकिन जब उन्होंने देखा कि शहर के ठेकेदार ही नाच रहे हैं फूहड़ता शुरू है वह शर्मसार होकर घर लौट गईं,देर रात तक मंच पर शहर के ही कुछ नेता ठेकेदार नाचते रहे और असत्य पर सत्य के विजय का पर्व मनाया जाता रहा,मंच पर नृत्यांगनाओं के साथ नाचने वाले बबलू और राजू के क्या एहसान तले दबे हुए हैं महापौर ऐसा सवाल इसलिए क्योंकि जिन मंचों पर महापौर को होना चाहिए जहां उनकी उपस्थिति जनता के बीच होनी चाहिए वहां दोनों ठेकेदार मंचों की शान होते हैं और महापौर मौन बने रहते हैं।
महिलाओं की उपस्थिति में मंच पर महिला कलाकारों के साथ नाचते नजर आए ठेकेदार,हो रही आलोचना
असत्य पर सत्य की अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा हर जगह उत्साह से मनाया गया लेकिन चिरमिरी के एक आयोजन में अलग ही नजारा देखने को मिला,इस कार्यक्रम में वैसे तो मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था बाहर से कलाकार आए हुए थे लेकिन कलाकारों से ज्यादा नृत्य निगम के ठेकदार नेता और उनके मित्र करते नजर आए,सार्वजनिक आयोजन में महिलाओं की उपस्थिति में जो प्रदर्शन मंच पर शहर के ठेकेदार नेता और उनके मित्रों ने किया वह नीचे दर्शक दीर्घा में बैठी महिलाओं को नहीं पसंद आया वैसे इसकी आलोचना अन्य पुरुष दर्शकों ने भी की,आलोचकों का कहना है कि जब खुद को ही नाचना था फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम बाहर से बुलाने की क्या आवश्यकता थी,महिला दर्शकों के बीच संभ्रांत बनने वाले लोगों का नृत्य प्रदर्शन नापसंद किया गया,वैसे असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व कम से कम इस आयोजन में उलटा साबित हुआ और आलोचना से कार्यक्रम ख्याति पा सका।
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