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सूरजपुर@क्या शाम को 5:00 शासकीय अस्पतालों में नहीं जाना चाहिए मरीज को?

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शासकीय अस्पतालों में 24 घंटे देने वाली सेवा सिर्फ नाम की?
सूरजपुर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी क्या शासकीय अस्पतालों को बेहतर बना पाने में असफल हैं?

-शमरोज खान-
सूरजपुर,04 अक्टूबर 2025 (घटती-घटना)।
सूरजपुर जिले के शासकीय अस्पतालों की यदि बात की जाए तो स्थिति दैनीय है मुख्य चिकित्सा अधिकारी शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रति गंभीर नहीं है,यही वजह है कि इन अस्पतालों में 5:00 बजे के बाद जाने में मरीज के लिए जान का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय पहुंचने पर बेहतर सुविधा मिलेगी यह 50-50 वाली स्थिति होती है, अक्सर देखा गया है कि शाम के 5:00 बजे के बाद अस्पताल में सेवा देने वाले गायब हो जाते हैं या फिर अपने समय अनुसार पहुंचते हैं,ऐसा ही मामला अभी बसदेई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का आया है जहां पर शाम के 5:00 बजे के बाद मरीज का वहां पर जाना और वहां से इलाज कर के आना संभव नहीं है और खास कर प्रसव के मामले में तो स्थिति और भी दयनीय है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बसदेई अपने स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चर्चा में है यहां पर बेहतर सुविधाएं तो छोडि़ए मरीज को डॉक्टर का परामर्श भी मिलना मुश्किल होता है, यदि गंभीर अवस्था में आए हैं तो आपकी परेशानी और भी बढ़ जाती है ग्रामीणों का कहना है कि दो दिन पहले ही एक गर्भवती महिला आई थी उसका प्रसव होना था स्थिति इतनी गंभीर थी कि डॉक्टर ही वहां पर नहीं थे,मरीज तो बेहतर इलाज के भरोसे वहां पहुंच गए पर वहां पर पहुंचने पर डॉक्टर ही नहीं मिल रहे थे, सोशल मीडिया में लिखने के बाद जैसे तैसे वहां पर कुछ स्टाफ पहुंचे और उसे प्राथमिक उपचार दिया, ड्यूटी रोस्टर बना है पर उसका पालन भी यहां पर नहीं होता है,रोस्टर के विपरीत यहां पर स्थितियां बनी हुई है, पर सवाल यह उठता है कि वहां के इंचार्ज से लेकर उच्च अधिकारी भी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है,भाजपा सरकार में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा सरकारी अस्पतालों में हो इसके लिए सूरजपुर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी भाजपा के एक नेता के दामाद को बनाया गया, वैसे भी सूरजपुर दामादों के लिए आरक्षित हो गया है ऐसा अब जान चर्चाओं में है पर दूसरे दामाद साहब की स्थिति यह है कि नहीं संभाल पा रहे हैं,स्वास्थ्य केन्द्रों के अंदर की लापरवाही खत्म होने का नाम नहीं ले रही है फिर ऐसे में कैसे बेहतर इलाज होगा यह बड़ा सवाल है, सिर्फ सीएमएचओ साहब सप्लाई और अन्य कार्यों में ही व्यस्त है बाकी बेहतर सुविधाएं मिले इसके लिए तो निजी अस्पतालों के भरोसे ही लोगों को रहना होगा?
क्वार्टर होने के बाद भी प्रभारी रहती नहीं, मुख्यालय से करती हैं आना-जाना
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बसदेई में प्रभारी के रहने के लिए क्वार्टर उपलब्ध कराया गया है ताकि वह वहां पर 24 घंटे सेवा दे सकें,पर प्रभारी सिर्फ क्वार्टर लेकर रखी हुई हैं पर रहती वहां नहीं, सूरजपुर जिला मुख्यालय से ही आना जाना उनका होता है जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी मुख्यालय से तकरीबन 20 से 25 किलोमीटर दूर है ऐसे में आपातकालीन स्थिति में बिना प्रभारी के मौजूदगी के क्रिटिकल केस कौन देखेगा?
मेडिकल ऑफिसर के होने के बावजूद प्रभारी बने हुए हैं आरएमए
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बसदेई में मेडिकल ऑफिसर यानी की एमबीबीएस डॉक्टर पदस्थ कर दिया गया है इसके बावजूद भी यहां पर प्रभारी आरएमए ग्रामीण चिकित्सा सहायक को बनाया गया है ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब मेडिकल ऑफिसर मौजूद है फिर उन्हें प्रभारी ना बना कर इन्हें ही प्रभारी क्यों बनाया गया है क्या कोई राजनीतिक दबाव है या फिर मुख्य चिकित्सा अधिकारी इसको लेकर गंभीर नहीं है?


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