सूरजपुर@लक्ष्मी राजवाड़े कैबिनेट मंत्री जिस वैकल्पिक पुलिया का निरीक्षण करने पहुंची थीं वह पूरा भी नहीं हुआ और बह गया,जनता की फिर टूटी उम्मीद

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-जिला प्रतिनिधि-
सूरजपुर,27 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। दैनिक घटती-घटना में प्रकाशित खबर के बाद मंत्री स्वयं वैकल्पिक मार्ग पर बन रहे रपटा पुल का निरीक्षण करने पहुंची थीं पर उनके निरीक्षण के 15 दिन बाद भी वह पूल तैयार नहीं हुआ और जितना तैयार हुआ था वह भी बह गया, किस इंजीनियर की देखरेख में यह बन रहा था यह भी एक बड़ा सवाल है,क्या इंजीनियर आज तक कभी विकल्प मार्ग के लिए पुल नहीं बनवाया है या फिर उन्हें इंजीनियरिंग आती ही नहीं थी? आधा पुल बनाकर छोड़ दिया और पानी नदी का कैसे निकलेगा उसकी व्यवस्था नहीं कि किया उसने, अंततः बारिश के अधिक बहाव के कारण पानी ने उस पुल को खुद के साथ बहा ले जाया गया,पुल के जहां बहने से लोगों की उम्मीद टूटी तो वही मंत्री के निरीक्षण पर भी सवाल उठ गया।
ज्ञात होगी दैनिक घटती-घटना की खबर का असर फिर एक बार देखने को मिला था,मंत्री की जगह मंत्री पति जो मंत्री के प्रतिनिधि भी हैं और उनकी घोषणा शीर्षक के साथ प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश की महिला बाल विकास विभाग की मंत्री एवं भटगांव विधानसभा की विधायक लक्ष्मी राजवाड़े ग्राम गंगोटी,शिव प्रसादनगर सहित कई अन्य ग्रामों को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने वाले पुल के टूट जाने के दो महीने बाद पहली बार मौके पर पहुंची जहां उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात की और वैकल्पिक मार्ग निर्माण की प्रगति की जानकारी ली थी वह प्रगति बह गई अब।
1 महीने मे भी नहीं बन पाया छोटा सा रपटा पुल
रपटा पुल निर्माण की घोषणा मंत्री प्रतिनिधि उनके पति ने की तदोपरान्त मंत्री खुद पहुंची और रपटा पुल निर्माण का जायजा लिया। मंत्री के निर्देश और रपटा पुल निर्माण का आरंभ अभी हुआ ही था एक माह ही बीते थे कि रपटा पुल धराशाई हो गया।अब ग्रामीणों को चिंता इस बात की है कि उन्हें अब लंबे समय था 20 किलोमीटर अतिरिक्त सफर करना होगा और यदि रपटा पुल बन जाता यह दूरी तय नहीं करनी पड़ती। एक माह के भीतर कोई निर्माण शुरू और धराशाई हो जाए यह घटना सरकारी व्यवस्था की पोल खोलने जैसा है।
ठेकेदार के पास नहीं है कोई बजट
बताया जाता है कि ठेकेदार के पास इस निर्माण के लिए कोई बजट नहीं है,अब यदि बजट नहीं है तो निर्माण कैसे हो रहा था यह सवाल है। क्या यह निर्माण पूर्ण नहीं किया जाना है इसलिए बजट की व्यवस्था नहीं की गई थी और केवल निर्माण दिखावा मात्र था।
चुनाव के समय नेता बड़े बडे घोषणा तो करते है लेकिन जनता की तकलिफो से इनको कोई सरोकार नहीं
नेताओं की घोषणा सिर्फ चुनावी घोषणा जैसे ही रहती है उस पर अमल बहुत धीरे होता है या तो सरकार जाने के बाद होता है या फिर सरकार जाने की अंतिम समय में होता है पर समय पर नहीं होता है कुछ ऐसा ही एक बार फिर एक पुल टूटने के बाद रपटा पुल बनाने में भी देखा गया मंत्री के कड़े निर्देश व निरीक्षण के बाद भी पुल को जल्द बनाने का प्रयास किया जाएगा ऐसा लगा कि उसे सिर्फ खानापूर्ति ही कर रहे हैं और मंत्री की इज्जत बचाने के लिए अधिकारी वहां पर पहुंचे हुए हैं बाकी उस काम को पूरा करना उनका उद्देश्य नहीं था और उल्टा विभागीय पैसे का दुरुपयोग ही हो गया उस पुल के बहने के बाद।
दो महीने के इंतजार के बाद मंत्री के दर्शन तो हुए ही पर उनके दर्शन के 15 दिन में भी रपटा पुल तैयार नहीं हुआ और बह गया
प्रदेश की महिला बाल विकास विभाग की मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के गृह विधानसभा का एक पुल दो महीने पहले बरसात के प्रथम चरण में ही टूट गया था धराशाई हो गया था, पुल टूटने के बाद से ही बड़े क्षेत्र के ग्रामीण 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर गंतव्य तक पहुंच पा रहे थे और उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। इस बीच ग्रामीणों की समस्या से अवगत होने उनके द्वारा ही चुनी गई विधायक सरकार में मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े नहीं पहुंच सकीं थीं जिससे ग्रामीण निराश थे,ग्रामीणों की निराशा भांपकर जो नाराजगी में तब्दील हो सकती थी मंत्री ने दो महीने बाद ग्रामीणों से मिलने का समय निकाला और उनके बीच पहुंची, ग्रामीणों को अपनी विधायक के उनके बीच पहुंचने के बाद प्रसन्न देखा गया बताया जाता है कि उन्हें अब अपनी समस्या से निजात की उम्मीद जगी है जो टूट चुकी थी, पर उनके जाने के 15 दिन बाद भी वह पुल विकल्प व्यवस्था के तहत नहीं बन पाया और उनके जाने के बाद जितना बना था वह भी बह गया अब लोगों की उम्मीद और टूट गई और उसी पानी के साथ बह गई।
यह है पूरा मामला
बता दें कि महिला बाल विकास विभाग की मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के गृह विधानसभा के एक बड़े क्षेत्र को राष्ट्र्रीय राज्यमार्ग से जोड़ने वाला पुल दो महीने पहले धराशाई हो गया था और एक बड़े क्षेत्र का संपर्क सीधे तौर पर मुख्य मार्ग से टूट गया था और जिसके बाद बड़े क्षेत्र के ग्रामीण 20 किलोमीटर अतिरिक्त सफर करने मजबूर थे और वह इस समस्या से निजात का इंतजार कर रहे थे। जब ग्रामीणों को मदद की उम्मीद टूटती नजर आई अपने जनप्रतिनिधियों का उन्हें साथ मिलता नजर नहीं आया तब ग्रामीणों ने खुद से वैकल्पिक मार्ग के निर्माण का निर्णय लिया और जब यह सूचना मंत्री के खास लोगों तक पहुंची तब मंत्री प्रतिनिधि साथ ही उनके पति ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से मुलाकात की और वैकल्पिक मार्ग निर्माण के लिए सहयोग की घोषणा की। मंत्री प्रतिनिधि साथ ही उनके पति की घोषणा के बाद ग्रामीणों के बीच यह भी चर्चा होती सुनी गई कि मंत्री की जगह उनके पति जो उनके प्रतिनिधि हैं वह घोषणा कर रहे हैं क्या ऐसा करना घोषणा करना उचित है। वैसे ऐसी चर्चा पर ही दैनिक घटती-घटना ने समाचार का प्रकाशन किया था और यह प्रश्न उठाया था कि क्या एक जनप्रतिनिधि इतना व्यस्त हो सकता है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र से ही दूर हो जाए जबकि निर्वाचन क्षेत्र में लोग किसी आपदा या किसी कारणवश परेशान हैं।वैसे खबर प्रकाशन के बाद ही सही मंत्री ने अपनी जिम्मेदारी समझी और उन्होंने मौके पर जाकर ग्रामीणों से मुलाकात की और सहयोग सहित जल्द पुल निर्माण की घोषणा की। मंत्री के खुद क्षेत्र के ग्रामीणों के बीच पहुंचने से ग्रामीणों को भी यह विश्वास हुआ है कि उनकी समस्या अब निराकृत होगी और वह जल्द ही वैकल्पिक मार्ग सुविधा प्राप्त कर पाएंगे वहीं उन्हें नए पुल की भी सौगात जल्द मिल सकेगी।
क्या बारिश ज्यादा होने का इंतज़ार कर रहे थे?
क्या काम में इसलिए देरी हो रही थी ताकि आधा मेहनत भी इस बारिश में बह जाए क्योंकि निरीक्षण के बाद जितनी तत्परता और तेजी उस निर्माण में आनी थी उतना आई नहीं और काम आधा अधूरा में ही अटक गया कई दिनों से काम बंद था वह रपटा पुल पूरा हो भी नहीं पाया और बनाने वाले में भी तकनीकी खामियां देखने को मिली जबकि बनाने का जिम्मा भी विभाग के पास था विभागीय इंजीनियर भी नौसीखिए की तरह ही उस रपटा पुल को बना रहे थे।
दो दिन काम 10 दिन बंद की स्थिति
में बन रहा था रपटा पुल

रपटा पुल वह भी बरसात के समय बनाने की गति इतनी धीमी थी कि लग रहा था कि उसके दोबारा बहने का ही मौका ढूंढा जा रहा था जिससे कुछ सरकारी राशि बंदरबांट कि जा सके। बताया जाता है कि दो दिन काम फिर 10 दिन काम बंद की तर्ज पर रपटा पुल निर्माण कार्य जारी था और ऐसा भारी बारिश के समय हो रहा था जबकि होना यह था कि दिन रात के हिसाब से काम करते हुए जल्द रपटा पुल बना लिया जाना था ऐसा हुआ नहीं और पुल बह गया। कुल मिलाकर क्या रपटा पुल बह जाए यही निर्माण प्रारंभ का उद्देश्य था यह प्रश्न खड़ा हो रहा है।
22 अगस्त को मंत्री प्रतिनिधि द्वारा की गई थी घोषणा
रपटा पुल निर्माण की घोषणा मंत्री प्रतिनिधि उनके पति ने 22 अगस्त 2025 को की थी और उसके एक माह बीतते ही रपटा पुल आधा बनकर धराशाई हो गया। रपटा पुल निर्माण पहले जन सहयोग से किए जाने की बात सामने आई थी जिसके बाद मंत्री प्रतिनिधि उनके पति मौके पर पहुंचे थे और घोषणा की थी। मंत्री प्रतिनिधि उनके पति भी तब ग्रामीणों के बीच पहुंचे थे जब उन्हें ग्रामीणों की नाराजगी की बात पता चली थी।
घोषणा के बाद मंत्री स्वयं मौके पर पहुंचकर दी थीं अधिकारियों को दिशा निर्देश
मंत्री अपने प्रतिनिधि की घोषणा उपरांत खुद भी मौके पर पहुंची थीं जहां अधिकारियों की भी मौजूदगी बड़ी तादाद में नजर आई थी और मंत्री ने सभी की उपस्थिति में रपटा पुल निर्माण के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश प्रदान किया था। मंत्री का निर्देश लगता है दिखावा मात्र था या फिर उनके निर्देश की गंभीरता अधिकारियों के लिए बेमानी थी इसलिए उन्होंने रपटा पुल निर्माण को लेकर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी और रपटा पुल बनने से पहले धराशाई हो गया बह गया।
जिला पंचायत सदस्य अखिलेश प्रताप सिंह का दौरा,ग्रामीणों के साथ बैठेंगे धरने पर
क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य अखिलेश प्रताप सिंह ने रपटा पुल धराशाई होने के बाद प्रभावित स्थल पर जाकर ग्रामीणों से मुलाकात की,उन्होंने कहा कि वह इस पुल के जल्द निर्माण के लिए धरने पर बैठेंगे। अखिलेश प्रताप सिंह के धरने की चेतावनी के बाद अब मामले में राजनीति देखने को भी मिल सकती है क्योंकि मंत्री के गृह विधानसभा क्षेत्र में यदि जनता दो माह तक बिना पहुंच सड़क के आवागमन के लिए मजबूर है यह बड़ी विचित्र स्थिति है।


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