नई दिल्ली,26 सितम्बर 2025 (ए)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज चंडीगढ़ एयरबेस पर लड़ाकू विमान मिग-21 की वायु सेना के हवाई बेड़े से विदाई के समय भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा कि जब हम मिग-21 को उसकी ऑपरेशनल यात्रा से विदाई दे रहे हैं तो मुझे लगता है कि हम एक ऐसे अध्याय को विदा करने जा रहे हैं, जिसे न केवल भारतीय वायु सेना के इतिहास में, बल्कि हमारी पूरी सैन्य विमानन की यात्रा में सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस के सहयोग से तैयार मिग-21 ने भारतीय सैन्य विमानन यात्रा में कई गर्व के क्षण जोड़े हैं। मिग-21 का योगदान किसी एक घटना या एक युद्ध तक सीमित नहीं रहा। 1971 के युद्ध से लेकर कारगिल के युद्ध तक या फिर बालाकोट एयर स्ट्राइक से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक ऐसा कोई क्षण नहीं रहा,जब मिग-21 ने हमारी सेनाओं को जबरदस्त मजबूती न प्रदान की हो। उन्होंने कहा कि 1971 का युद्ध भला कौन भूल सकता है। मिग-21 ने पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान विपरीत परिस्थितियों में जिस दिन ढाका के गवर्नर हाउस पर हमला किया,उसी दिन उस युद्ध के परिणाम की रूपरेखा तय कर दी गई। इसके अलावा भी इसके लम्बे इतिहास में अनेक ऐसे मौके आए, जब मिग-21 ने अपनी निर्णायक क्षमता साबित की। उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर अब तक भारतीय वायु सेना के वीरों ने भारत की सुरक्षा को मजबूती देने के लिए जिस शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया है,वह अपने आप में प्रेरणादायक है। वायु योद्धाओं की इस यात्रा में मिग-21 का भी बड़ा योगदान रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि दुनिया के सैन्य विमानन के इतिहास में ऐसा कोई लड़ाकू विमान नहीं हुआ,जो इतनी बड़ी संख्या में निर्मित हुआ हो। दुनिया भर में मिग-21 के 11,500 से अधिक विमान बनाए गए और उनमें से लगभग 850 विमान भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे।
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