कोरिया@75 वर्षो से जिस जमीन पर बनें है वन विभाग के शासकीय आवास,उसे तोड़कर दबंग कर रहे कब्जा

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-राजन पाण्डेय-
कोरिया,23 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिला मुख्यालय में एक प्रचलन हो चुका है जिसमें कि कहीं भी शासकीय जमीन दिखलाई पड़े उस पर तत्काल कब्जा किया जाना, कुछ इसी प्रकार का हाल इन दिनों शहर के मिशन रोड स्थित उस जमीन पर देखने को मिल रहा है जिस पर कि विगत 75 वर्षों से अधिक समय से वन विभाग का आवास बना हुआ है और अभी भी कर्मचारी निवास कर रहे हैं लेकिन शहर के कुछ दबंग निर्मित मकान को तोड़कर अवैध रूप से कब्जा कर है, यह अलग बात है कि शहर का हितैशी बनने वाले कई नेता यह सब देखकर भी चुप्पी साधे बैठे हुए हैं या कि कहा जा सकता है कि उनके सहयोग से ही शासकीय जमीन पर दबंगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है,आगे देखने वाली बात होगी कि इस मामले पर क्या जिला प्रषासन संज्ञान लेकर तत्काल कोई कार्यवाही करेगा या फिर उसकी चुप्पी से एक और जमीन निजी व्यक्तियों के हाथ में चली जाएगी।
क्या है मामला
पूरे प्रकरण के बारे में मिल रही जानकारी के अनुसार मिषन कालोनी भट्ठीपारा में स्थित कर्मचारी आवासीय भवन जिसमें 4 खपरैल भवन, परिक्षेत्र लिपिक भवन 1 नग पुराना परिक्षेत्र कार्यालय भवन शामिल है,जो कि पिछले लगभग 50 वर्षों से निर्मित है,जिसमें अभी भी कर्मचारियों का आवासीय कालोनी है एवं अभी भी कर्मचारी लगातार निवास करते आ रहे हैं, उक्त आवासीय भवन के दक्षिणी भाग में बाउंड्रीवाल निर्मित है जिसे अनावेदक विपिन बिहारी जायसवाल निवासी ओड़गीनाका बैकुंठपुर, अमित गुप्ता निवासी भट्ठीपारा बैकुंठपुर एवं आषीष न्यूटन राबर्ट निवासी मिषन कालोनी बैकुंठपुर द्वारा बाउंड्रीवाल तोड़कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया था,मना करने पर उनके द्वारा विषप आई एन राबर्ट निवासी ग्राम बैकुंठपुर की भूमि बताते हुए कार्य निरंतर जारी रखने की बात कही जा रही है। चुकि उक्त आवासीय भवनों में 50 वर्षो के पूर्व से वन कर्मचारी निवास करते आ रहे हैं जिसके बारे में बतलाया जाता है कि जिस वक्त वन विभाग के आवासी कालोनी का निर्माण हुआ था उस समय पट्टेदार डेविड प्रकाश पिता विषप आई एन राबर्ट को राजस्व विभाग द्वारा बदले में भूमि आबंटित की गई थी। कोरिया वन मंडल की स्थापना वर्ष 1948 में हुई थी तब से आवासीय कालोनी एवं परिक्षेत्र कार्यालय का संचालन होता आ रहा है। जिसका कब्जा राजस्व अभिलेख में दर्ज होना था किंतु राजस्व विभाग के त्रुटि के कारण आज तक वन विभाग का कब्जा दर्ज नहीं है।
राजस्व रिकार्ड में नाम न दर्ज होना गंभीर त्रुटि,क्या होगी कार्यवाही
विदित हो कि कोरिया वन मंडल की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी और उसी दौरान अदला बदली में यह जमीन वन विभाग को आबंटित हुई और मकानों का निर्माण कराया गया था। 75 वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी राजस्व अभिलेख में वन विभाग का नाम दर्ज नहीं होना आश्चर्यजनक है। इसकी सुध आज तक ना तो राजस्व विभाग ने ली और ना ही वन विभाग ने,जिसका परिणाम है कि उक्त जमीन निजी होने का दावा किया जा रहा है।
बदले में दी गई थी भू स्वामी को जमीन लेकिन रिकार्ड दूरूस्त ना होने का फायदा उठा रहे आरोपी
सूत्रों का दावा है कि यह जमीन जिस पर अब तीन दबंगो द्वारा कब्जा किया जा रहा है उसमें से आषीष न्यूटन राबर्ट के परिवार को उस समय कहीं और जमीन दे दी गई थी, और उसके बाद ही आवासीय भवनों का निर्माण कराया गया था,सवाल उठता है कि क्या उस समय के कागजातों का परीक्षण अब किया जाएगा और यदि जमीन बदले में दे दी गई थी तो फिर आखिर कैसे इतने लंबे अंतराल के बाद उस पर अपना हक बतलाया जा रहा है। सवाल यह भी है कि यदि उक्त जमीन निजी व्यक्ति की थी तो आखिर फिर कैसे उसे पर कर्मचारी आवास बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि जमीन अदला बदली तो की गई थी लेकिन रिकार्ड दुरूस्त नही किया गया था जिसका फायदा अब दबंगों द्वारा उठाया जा रहा है और शासकीय आवास को तोड़कर निर्माण कार्य प्रांरभ किया गया है।
डीएफओ ने थाना प्रभारी को फिर भेजा पत्र,आखिर क्यों नही हुआ एफआईआर
परिक्षेत्राधिकारी द्वारा पत्र प्राप्त होने के बाद कोरिया वनमंडलाधिकारी ने पुनःसिटी कोतवाली प्रभारी को 15 सितंबर को पत्र भेजा है पत्र मे कहा गया है कि परिक्षेत्राधिकारी परिक्षेत्र बैकुंठपुर द्वारा अनावेदको के विरूद्व एफआईआर कराने हेतु थाना में उपस्थित हुए थे किंतु आपके द्वारा एफआईआर दर्ज नही किया गया। यह भी उल्लेख किया गया है कि अनावेदकों को कार्य बंद कराये जाने के संबंध में दिये गए स्टे के फलस्वरूप अनावेदक विपिन,अमित,आशीष न्यूटन राबर्ट द्वारा मनमानी करते हुए 3 भवनों का ताला तोड़कर प्रवेश किया गया है, जबकि स्टे के रहते हुए ताला तोड़ने का कोई अधिकार अनावेदकों को नही है। डीएफओ ने पत्र में लिखा है कि आपके द्वारा कोई कार्यवाही नही किये जाने के कारण अनावेदक निर्भय होकर शासकीय भवनों को तोड़ फोड़कर कब्जा किया जा रहा है। डीएफओ ने थाना प्रभारी को प्रेषित पत्र में अनावेदकों के विरूद्व तत्काल एफआईआर करने की बात कही थी लेकिन सूत्रों का कहना है कि आज तक एफआईआर दर्ज नही किया जा सका है।
वनमंडलाधिकारी ने एसडीएम को भेजी शिकायत…लगा स्टे…
वनपरिक्षेत्राधिकारी बैकुंठपुर द्वारा रिपोर्ट दिये जाने के फलस्वरूप कोरिया वनमंडलाधिकारी ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बैकुंठपुर को 1 सितंबर 2025 को शिकायत पत्र भेजा था जिसमें मिशन कालोनी भट्ठीपारा में स्थित आवासीय भवना पुराना परिक्षेत्र कार्यालय एवं परिक्षेत्र लिपिक हेतु स्थित भवनों एवं रिक्त स्थलों में अवैध अतिक्रमण एवं बाउंड्रीवाल तोड़ने के संबंध में स्टे लगाने की बात कही गई थी वनमंडलाधिकारी ने अपने पत्र में यह भी बतलाया था कि वनमंडल का महत्वपूर्ण अभिलेख कार्य आयोजना जो भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित है उसमें भी उक्त निर्मित भवनों का उल्लेख है। वनमंडलाधिकारी ने पत्र भेजकर अवैध रूप से अनावेदकों द्वारा गिराये जा रहे शासकीय भवनों को तत्काल रोक लगाये जाने एवं दोषियों के विरूद्व नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही थी। शिकायत पत्र प्राप्त होने के बाद अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बैकुंठपुर ने बीते 9 सितंबर को विपिन जायसवाल, अमित गुप्ता एवं आषीष न्यूटन राबर्ट को पत्र जारी करते हुए स्थगन दिया था।
स्टे लगने के बाद भी काम चालू…थाना प्रभारी को एफआईआर करने का पत्र लेकिन कार्यवाही शून्य
वन विभाग की जमीन पर अवैध रूप कब्जा किये जाने के मामले में एसडीएम बैकुंठपुर ने स्थगन दिया था लेकिन इसके बाद भी अनावेदकों द्वारा आदेश की अवहेलना की गई एवं कार्य बंद नही किया गया था, जिसके बाद वनपरिक्षेत्राधिकारी बैकुंठपुर ने पुनः वनमंडलाधिकारी कोरिया को प्रेशित पत्र में जानकारी दिया कि एसडीएम द्वारा स्थगन दिये जाने के बाद भी आदेष की अवहेलना करते हुए उक्त निर्मित भवनों में से 3 भवनों का ताला तोड़कर प्रवेश कर लिया गया है,पत्र में अनावेदकों के खिलाफ एफआईआर कराने का भी जिक्र किया गया था।
राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि जिन लोगों द्वारा अवैध तरीके से कब्जा किया जा रहा है उसमें से एक आरोपी के परिवार के कुछ सदस्य राजस्व विभाग में कार्यरत हैं और उनके द्वारा ही इस पूरे मामले को समझकर अपना निजी हक बतलाया जा रहा है यह भी जांच का विषय है।
75 वर्षों से नहीं गया किसी का ध्यान
1948 में भारत देश आजाद होने के बाद ही कोरिया वन मंडल की स्थापना हुई और फिर धीरे धीरे विस्तार किया गया कर्मचारियों के लिए भी आवास बनाए गए उस दौरान चुनिंदा स्थानों पर ही शासकीय आवास बनाए गए थे ऐसा जानकारों का कहना है। 7 दशक बाद भी इस ओर जिम्मेदारों या कि वन विभाग का ध्यान ना जाना एक गंभीर चूक है जिसका फायदा अब निजी व्यक्तियों द्वारा उठाया जा रहा है। हालांकि उक्त जमीन पर निर्मित शासकीय आवासों को समय समय पर कर्मचारियों को आवंटित करने एवं उनके द्वारा बिजली बिल आदि भुगतान किये जाने का दस्तावेज भी वन विभाग ने प्रमाण के तौर पर पेश किया है। लेकिन इसके बाद भी मामला विवादित बना हुआ है।
परिक्षेत्राधिकारी ने वनमंडलाधिकारी को दिया रिपोर्ट
पूरे मामले में जब यह जानकारी मिली कि वन विभाग के शासकीय आवासों को तोड़कर उस पर कब्जा किया जा रहा है तब परिक्षेत्र अधिकारी बैकुंठपुर ने मौके का निरीक्षण किया और इस आशय का रिपोर्ट बनाकर वनमंडलाधिकारी कोरिया को सौपा है जिसके बाद यह स्पष्ट है कि जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा किया जा रहा है ।


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