बिलासपुर,23 सितम्बर 2025। हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। अदालत ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि ध्वनि प्रदूषण नियत्रण के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। त्योहारों और जुलूस के दौरान सीसीटीवी कैमरे से निगरानी रखी जा सकती है ताकि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन होने पर सुबूत उपलब्ध हो। दूसरी तरफ संविधान प्रशिक्षक और एक्टिविस्ट बीके मनीष ने इस मुद्दे पर कहा है कि ध्वनि प्रदूषण को लेकर पुलिस की कथित गैर-कानूनी जुर्माना-वसूली को बढ़ावा देने के बजाए राहत और मुआवजे पर पर जोर देना ज्यादा जरूरी है।
गृह विभाग के पास
विचाराधीन है मसौदा
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, और जस्टिस बीडी गुरू बैंच ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर समाचार पत्र की एक रिपोर्ट के आधार पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार ने कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 में संशोधन के लिए जनवरी 2025 में एक पांच सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति का दायित्व था कि वह अधिनियम की तुलना ध्वनि प्रदूषण अधिनियम, 2000 से करे और जरूरी बदलाव सुझाए। समिति की कई बैठकें हुईं, जिनमें 29 मई, 14 अगस्त और 15 सितंबर 2025 की बैठकें प्रमुख रहीं। इन बैठकों में मसौदा संशोधनों पर चर्चा की गई। वर्तमान में यह मसौदा गृह विभाग के पास विचाराधीन है और विभाग द्वारा अंतिम राय देने के बाद संशोधन प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखें जाएं
सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता की ओर से सुझाव दिया गया कि रायपुर जिले में त्योहारों के दौरान लगाए गए 783 सीसीटीवी कैमरों की मदद से शोर प्रदूषण उल्लंघनों की निगरानी की जा सकती है। अदालत ने इस सुझाव पर सहमति जताई और निर्देश दिया कि त्यौहार व जुलूसों के दौरान सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखा जाए, ताकि शोर प्रदूषण नियमों का उल्लंघन होने पर सबूत उपलब्ध हों।
 
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