पूछताछ के लिए लगाएगी प्रोडक्शन वारंट आवेदन
रायपुर,22 सितम्बर 2025। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने अग्रिम जमानत याचिका सोमवार को रायपुर स्पेशल कोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिका खारिज होने के बाद ईओडब्ल्यू ने अब चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की तैयारी तेज कर दी है। ईओडब्ल्यू ने इससे पहले ही चैतन्य की गिरफ्तारी के लिए प्रोडक्शन वारंट लगाया था। लेकिन उस दौरान चैतन्य के वकील की ओर से हाईकोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी। हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट जाने की सलाह दी थी। स्पेशल कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अब ईओडब्ल्यू की ओर से जल्द ही कोर्ट में प्रोडक्शन वारंट एप्लिकेशन लगाया जाएगा। चैतन्य के खिलाफ शराब घोटाला, कोल लेवी, महादेव सट्टा ऐप और मनी लॉन्डि्रंग मामले में जांच चल रही है। चैतन्य बघेल की 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तारी हुई थी,तब से रायपुर जेल में बंद है।
चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिलेःईडी
दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्डि्रंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया। ईडी के मुताबिक चैतन्य बघेल ने ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया है। साथ ही सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ईडी ने रिकॉर्ड जब्त किए थे। प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि, बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसे की हेराफेरी
ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।
ईडी ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि, ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ। ईडी ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था।
 
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