लिपिक बन गया है धन्ना सेठ,अपने ही घर चोरी की घटना की प्राथमिकी भी नहीं कराई दर्ज,आय से अधिक संपत्ति का खुलासा होने का था डर:सूत्र
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,10 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। जिला कोरिया के खनिज न्यास शाखा का एक लिपिक जिसका नाम टेकचंद साहू है जो लंबे समय से जिला कार्यालय में संलग्न है आज करोड़ों से अधिक का आसामी बन गया है जिसको हटाए जाने की कोशिश किसी भी अधिकारी ने नहीं की,सूत्रों की माने तो जिला खनिज न्यास की राशि की सम्पूर्ण बंदरबाट की जिम्मेदारी इसी लिपिक के पास है और वह इस राशि का लगातार उपयोग अपने लिए अपने ऐशो आराम के सामान जुटाने के लिए करता है,वैसे यह लिपिक कितना कुछ कमा चुका है इसकी बानगी इसी बात से समझी जा सकती है जैसा सूत्रों का दावा है जिसकी पुष्टि तो दैनिक घटती घटना नहीं करता लेकिन बताया जाता है कि यह आज अति सम्पन्न बन चुका है।
सूत्रों के अनुसार टेकचंद साहू नाम के उक्त लिपिक का नाम संयुक्त भर्ती 2014 में भी जुड़ा हुआ है जिसमें बड़े स्तर पर अनियमितता की गई थी जिसमें हुई अनियमितता का मामला आज भी न्यायालय में प्रकरण स्वरूप जारी है। वैसे जिला कार्यालय में टेकचंद साहू कोई इकलौता लिपिक नहीं है जो अवैध रूप से पद का दुरुपयोग करते हुए अथाह पैसे और संपत्ति का मालिक बन गया है जिला कार्यालय के ही लिपिक दया साहू सहित अन्य नाम भी ऐसे हैं जो लिपिक होकर भी इतने ऐशो आराम से रहते हैं जो साबित करता है कि केवल वेतन से ऐसा संभव नहीं,लिपिक पद पर मिलने वाला वेतन और कम समय में ऐसे लिपिकों का अथाह नकद और अचल संपत्ति का मालिक बनना यह बतलाता है कि यह सबकुछ केवल वेतन से संभव नहीं,जिला कार्यालय में बैठकर इस तरह धनाढ्य बने लिपिक वर्षों से शासन के ही पैसे से जिला कार्यालय कामकाज के लिए आने वाले उन लोगों से जो उनके पास कार्यालय के काम से आते हैं से वसूली करके धनाढ्य बने हैं और आज वह अपने लिए हर सुख सुविधा के महंगे साधन जुटा चुके हैं। अधिकारियों का भी इन्हें लगातार संरक्षण मिलता रहा है इसलिए इन्हें कभी परेशानी भी नहीं हुई न ही इनके विरुद्ध कभी यह जांच किए जाने की सूचना मिली कि यह आज किस तरह अति सम्पन्न बन चुके हैं। एक तरफ जहां सरकार शासकीय कार्यालयों में जारी भ्रष्टाचार और रिश्वत मामले में सख्त रुख अपनाने का दावा कर रही है वहीं कई मामलों में कार्यवाही लगातार जारी भी है लेकिन टेकचंद साहू दया साहू जैसे कोरिया जिले के जिला कार्यालय के लिपिक जिस तरह लगातार अति सम्पन्न होते जा रहे हैं इस तरफ सरकार की जिला प्रशासन की नजर पड़नी बाकी है जो पड़नी चाहिए जिससे सुशासन की बात बिलकुल सत्य साबित हो सके।
जिला खनिज न्यास मद की राशि से बना है एक लिपिक अति सम्पन्नःसूत्र
सूत्रों का कहना है कि जिला खनिज न्यास में पदस्थ एक लिपिक टेकचंद साहू आज अति सम्पन्न व्यक्तियों की श्रेणी में शामिल हो चुका है,बताया जाता है कि इसकी संपत्तियों की जांच की जाए तो बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है। यह संपत्ति इसने खनिज न्यास के पैसे से अर्जित की है,इस लिपिक जो साधारण नजर आता है को लेकर बताया जाता है कि यह जिला कार्यालय का सबसे चर्चित नाम है और इसके साथ जिले के सभी अधिकारियों के अच्छे संबंध हैं,यह अधिकारियों का चहेता भी इसीलिए बना हुआ है क्योंकि यह जिला खनिज न्यास के पैसे को कैसे इस हिसाब से उपयोग करना जानता है जिससे ज्यादा से ज्यादा लाभ हिस्से स्वरूप मिलना संभव हो सके।
आय से अधिक संपत्ति मामले में क्यों सरकारें नहीं देती ध्यान,क्यों नहीं होती इसकी नियमित जांच?
आय से अधिक संपत्ति अर्जित करना गैर कानूनी है,यह शासकीय कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य सेवा शर्त भी है फिर भी आज यदि संपत्ति अर्जित करने के मामले देखे जाएं तो शासकीय कर्मी सबसे अधिक आगे हैं संपत्ति अर्जित करने में,इस संबंध में क्यों नियमित जांच और नियमित कार्यवाही की जाती है यह बड़ा सवाल है,आज हर शासकीय कर्मचारी अधिक से अधिक संपत्ति अर्जित करने में लगा है और यह एक दूसरे को देखकर अर्जित एक अभियान जैसा है शासकीय कर्मचारियों के बीच और इस अभियान में भ्रष्टाचार ही इसके लिए एक सहारा है जिसमे अधिकारियों सहित कर्मचारी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
2014 संयुक्त भर्ती परीक्षा में भी इसे मास्टरमाइंड बताया जाता है…
जिला संयुक्त भर्ती 2014 में भी इस लिपिक का काफी अहम किरदार माना जाता है जिसमें हुई अनियमितता और हुआ भ्रष्टाचार आज भी न्यायालय में विचाराधीन है,बताया जाता है कि इसने भर्ती में अहम किरदार निभाया था और इसके ही देखरेख में ऐसी भर्ती संपन्न हुई थी जिसमें जमकर उगाही का भी आरोप लगा था और कई अभ्यर्थी आज तक न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं। बताया जाता है कि तब इसने अपने कुछ खास या करीबी लोगों को भी लाभ पहुंचाने पूरा प्रयास किया था और कितनो को लाभ मिला यह जांच का विषय है।
घर में चोरी की घटना और पुलिस प्राथमिकी दर्ज न कराना क्या संदेह का विषय नहीं?
कोई व्यक्ति अपने घर में हुई चोरी की घटना मामले में पुलिस प्राथमिकी दर्ज न कराए यह दो मामले में संभव है एक वह कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली को अच्छा न मानता हो उसपर विश्वास न करता हो दूसरा वह चोरी गए सामान और पैसे के विषय को उजागर न करना चाहता हो,टेकचंद साहू के घर शासकीय आवास छिंदडांड में जब चोरी हुई उसने प्राथमिकी थाने में दर्ज नहीं कराई,सूत्रों की माने जिसकी पुष्टि हम नहीं करते कि चोरी बहुत बड़ी थी और चूंकि इसका खुलासा टेकचंद नहीं करना चाहा इसलिए प्राथमिकी दर्ज करने से उसने परहेज किया,बताया जाता है कि काफी बड़ी नकदी और अन्य सामानों की चोरी केवल इसलिए बर्दाश्त कर गया लिपिक क्योंकि यह आय से अधिक संपत्ति का मामला बन जाता,वैसे यह मामला संदेह का क्या नहीं।
जांच हुई तो आय से अधिक संपत्ति का मामला हो सकता है उजागरःसूत्र
सूत्रों की माने तो टेकचंद साहू के विषय में यदि जांच हुई आय से अधिक संपत्ति का मामला उजागर हो सकता है,अथाह संपत्ति यह अर्जित कर चुका है,वैसे संपत्ति का अर्जन गलत बात नहीं फिर भी गलत तरीके से और पद दुरुपयोग से अर्जित धन एक अपराधिक विषय है जिसके लिए जांच और कार्यवाही आवश्यक हो जाता है,अब मांग हो रही है कि इस लिपिक की संपत्तियों की जांच की जाए और यह तय किया जाए कि इसकी संपत्ति आय अनुसार सही है।
जिला कोरिया के खनिज न्यास शाखा का एक लिपिक के शासकीय आवास में भी हुई थी चोरी?
एक मामला सूत्रों के अनुसार ऐसा है कि घर में हुई चोरी की घटना की पुलिस प्राथमिकी कोई व्यक्ति तब दर्ज नहीं कराता है जब उसे या तो कानून व्यवस्था पुलिस पर उसकी कार्यप्रलाणी पर ही विश्वास नहीं होता या फिर ऐसी कोई बात या ऐसा कोई काला धन अवैध कमाई का धन चोरी गया होता है जिसको उजागर करने से जिसके यहां चोरी हुई हो उसे अपने गुप्त किसी पोल के खुल जाने का भय हो,ऐसा ही कुछ कुछ महीने पहले कोरिया जिले में खासकर जिला मुख्यालय और उसके आसपास हुई चोरी की घटनाओं में भी देखने को मिला है ऐसा सूत्रों का दावा है और इन चोरी की घटनाओं में छिंदडांड स्थित शासकीय आवास में चोरी की घटना में एक ऐसे भी घर में चोरी हुई थी जो शासकीय एक लिपिक का घर था जिसने चोरी की पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज नहीं कराई। सूत्रों की माने तो जिस लिपिक के घर चोरी हुई चोरों का वह एक बड़ा लक्ष्य था ऐसा माना जा सकता है और चोर उसी घर में ही चोरी करने गए थे जहां उन्हें लाखों रुपए नकद मिलने की जो संभावना थी वह संभावना सत्य साबित हुई,सूत्रों की यदि माने तो जिला खनिज न्यास शाखा सहित कई अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले उक्त लिपिक पद का दुरुपयोग करते हुए इतना अथाह पैसा और संपत्ति अर्जित कर चुका है कि वह अपने घर हुई चोरी की घटना की प्राथमिकी भी दर्ज कराने से डर गया क्योंकि वह यह बताने में असमर्थ था कि चोरी गई नकद राशि इतनी अधिक थी कि इसका खुलासा उसके अवैध कमाई को उजागर कर सकता था।
वर्षों से एक ही जगह जमे लिपिक को हटाना किसी भी अधिकारी की आज तक की सोच नहीं बनी?
एक लिपिक लंबे समय से एक ही जगह बना रहे उसका तबादला न हो उसके जिम्मेदारियों में परिवर्तन न हो ऐसा प्रायः शासकीय विभागों में देखा नहीं जाता,वहीं कोरिया जिले के जिला खनिज न्यास मद की जिम्मेदारी सम्हालने वाले लिपिक के पास यह जिम्मेदारी वर्षों से है और उसे इस जिम्मेदारी से पृथक करना किसी अधिकारी की सोच कभी बनी ऐसा दिखा नहीं,क्या यह इसलिए हो रहा है क्योंकि वह इस जिम्मेदारी के लिए अधिकारियों के हिसाब से सबसे उपयोगी साबित हो रहा है,क्या वह इस जिम्मेदारी में से हिस्से निकालने के मामले में हुनरमंद हो चुका है,वैसे बताया जाता है कि यह लिपिक काफी होशियार है ऐसे मामले में और इसीलिए इसे इस जिम्मेदारी से पृथक करने की सोच किसी अधिकारी की नहीं होती,वैसे यह इस जिम्मेदारी के साथ काफी कुछ अर्जित कर चुका है जो उसके वेतन से मिलने वाली आय से संभव नहीं था ऐसा उसे जानने वाले बतलाते हैं,उसे जानने वाले यह भी बतलाते हैं कि आज भ्रष्टाचार दम पर यह इतनी हिम्मत भी रखता है कि इसे हटाने की सोचने वाले अधिकारी भले हट जाएं यह हटने वाला नहीं इसका दावा रहता है।