- कई शिक्षकों ने दैनिक घटती घटना संवाददाता से किया संपर्क,बताई अपनी व्यथा
- सेवा पुस्तिका में बाल बच्चों के नाम दर्ज कराने के नाम पर भी होती है वसूली,पैसा नहीं देने पर किया जाता है अपमानित,शिक्षकों की जबानी
- उधार के अधिकारी और पहुंच पकड़ वाले कर्मचारी शिक्षकों के शोषण की सबसे बड़ी वजह, शिक्षकों ने बतलाया फोन पर
- कई लिपिक अधिकारी से भी बड़े अधिकारी करते हैं हर समय परेशान बिना पैसा नहीं करते काम,शिक्षकों की जबानी


-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,09 सितंबर 2025 (घटती-घटना)। कई बार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नजर ऐसे विषयों तक पहुंच नहीं पाती जहां एक बड़ा इंसानी समुदाय परेशान लगातार होता चला आ रहा होता है और वह संकोचवश और भयवश कुछ किसी से कह पाने की स्थिति में नहीं होता और वह सम्पन्न है और प्रसन्न है ऐसा मानकर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी उनके बीच उनकी समस्या जानने नहीं पहुंच पाता और वह इंसानी समुदाय लगातार शोषित होता रहता है और वह ऐसे लोगों से शोषित होता है जो या तो उस इंसानी समुदाय का ही हिस्सा होते हैं या फिर उसी समुदाय के लिए उनके लिए उनकी जिम्मेदारी होती है,यह शासकीय एक विभाग और समुदाय से जुड़ा विषय है इस समय खबर के अनुसार और वह समुदाय है शिक्षक और जो अपने ही नियंत्रक कार्यालय से परेशान है उसके द्वारा शोषित है, शिक्षकों की कार्यप्रणाली और उनके कर्तव्यों की क्रमशः निगरानी और नियंत्रण की बात लगातार होती है और उनके ऊपर सभी की नजर होती है जिसमें पूरी शासकीय व्यवस्था समाज और अभिभावक उनके ऊपर नजर जमाए उनकी हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और उनकी एक किसी गलती पर तत्काल कटाक्ष या कार्यवाही तय कराने का भरसक प्रयास करते हैं,कहा जाए तो शासकीय व्यवस्था में शिक्षक ही एक निगरानीशुदा समुदाय है जिसको लेकर सहानुभूति कभी उत्पन्न नहीं होती और न ही उन्हें अपनाने की पूर्णतः कोई बात करता नजर आता है, वैसे हर तरह से नियंत्रण से घिरा हुआ जबकि भ्रष्टाचार में उसके ऊपर समय चोरी से बड़ी चोरी कभी साबित नहीं होती वह लगातार कर्तव्य पर डटा रहता है और तमाम आलोचनाओं के बावजूद वह जिम्मेदारी से भागने कि सोचता नहीं है,यह समुदाय शोषण का भी शिकार होता है जो बड़ा आर्थिक शोषण होता है ऐसा कभी कभार सुनने देखने में सामने आता है और वह भी तब जब कोई शिक्षक क्रांतिकारी रुख अपनाता है और डर भय त्यागकर आगे आकर शोषण के विरुद्ध आवाज उठाता है,वैसे शिक्षकों के बीच संगठित होकर अपने हितों की रक्षा का एक ऐसा जज्बा भी होता है जो अन्य में देखने को कम मिलता है और ऐसा कई बार साबित भी हुआ है वैसे जब व्यक्तिगत हितों की बात सामने होती है तब शिक्षित यह समुदाय बंटा हुआ नजर आता है और वह जल्द शोषण का शिकार होता है।
शिक्षकों ने कहा कि शायद अब खबरों से शिक्षक संघ भी पुनः अपनी निंद से जाग सकें
वैसे यह चलन हर कार्यालय की मानी जाती है लेकिन यहां एक बड़े ऐसे समुदाय के लोगों से जुड़े कार्यालय की हो रही है जहां सैकड़ों या हज़ारों लोग जुड़े हैं जहां एक दिन में ही सैकड़ों समस्याएं या आवेदन के निराकरण की स्थिति होती है। शिक्षकों ने कहा कि शायद अब खबरों से शिक्षक संघ भी पुनः अपनी निंद से जाग सकें जो फिलहाल सोए हुए हैं। वैसे खबर प्रकाशन के बाद उच्च अधिकारियों सहित विभाग के जिला प्रशासन की क्या नजर इस कार्यालय की तरफ पड़ती है क्या यहां जारी शिक्षकों का शोषण बंद होता है यह देखने वाली बात होगी,वैसे लगातार उधार के अधिकारी के भरोसे चलने वाला यह कार्यालय कब स्थिर और सीधे पदस्थ किए गए अधिकारी के साथ आगे बढ़ेगा यह भी देखने वाली बात होगी। वैसे जिला प्रशासन को ऐसे कार्यालयों के प्रति भी ध्यान देने की जरूरत है जहां बड़ा एक इंसानी समुदाय अपने हितों की पूर्ति के लिए जुड़ा है और समय समय पर ऐसी निगरानी ऐसे कार्यालयों पर आवश्यक भी है क्योंकि यहां से ही यदि भ्रष्टाचार या शोषण का मामला सामने आएगा नौनिहालों के भविष्य की जिम्मेदारी निभाने वाले शिक्षक निश्चित ही अपने पदीय कर्तव्य से चोरी करते नजर आयेंगे जो समय की चोरी के रूप में नजर आएगी जो नजर आती भी है क्योंकि शोषण का शिकार लगातार संत प्रवृत्ति ही प्रदर्शित नहीं करेगा वह भी फिर विद्रोह करेगा या समय चोरी का रास्ता तय करेगा। शिक्षकों के सुविधा और उनके सेवा को नियंत्रित करने वाले इस कार्यालय में वर्तमान में कई को हटाने की जरूरत है जो शिक्षकों के अनुसार अति महत्त्वाकांक्षी हैं।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय जहां शिक्षित वह समुदाय शोषण का लगातार शिकार हो रहा है…
ऐसा ही कुछ कोरिया जिले के जिला मुख्यालय में लंबे समय से चला आ रहा है और यह विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की एक ऐसी कहानी है जहां संगठित होकर शिक्षित वह समुदाय शोषण का लगातार शिकार हो रहा है जो अधिकारों के लिए लड़ना जानता है जिसका जज्बा दुनिया भर में प्रसिद्ध है अधिकार की लड़ाई को लेकर। कार्यालय के अधिकारी उधार वाले हैं जो संयोग या भाग्य से मुख्य अधिकारी बने रहते हैं वहीं कार्यालय के लिपिक नियंत्रण से बाहर हैं अधिकारी के जो जब चाहें जैसे चाहें शिक्षकों के शोषण को अपना अधिकार समझते हैं और अपने वेतन को वह जब अपने सहित परिवार के अपने पेट पालन के लिए अपर्याप्त मानते हैं शिक्षकों का आर्थिक शोषण करते हैं और ऐशो आराम के अपने शौक वह पूरे करते हैं। दैनिक घटती-घटना ने 9 सितंबर 2025 को एक खबर प्रकाशित की जिसमें केवल इस शीर्षक के साथ कुछ जानकारी सामने रखी गई उच्च अधिकारियों के संज्ञान के लिए कि किस तरह बैकुंठपुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिक्षकों को अपने किसी भी काम के लिए निर्धारित शुल्क पटाना पड़ता है और जहां हर काम का दाम तय है।
शिक्षकों का जारी यह शोषण लम्बे समय से चला आ रहा है ऐसा शिक्षकों का कहना है…
शिक्षकों का जारी यह शोषण लम्बे समय से चला आ रहा है ऐसा शिक्षकों का कहना है, कुछ शिक्षकों के अनुसार जो काम केवल आवेदन मात्र प्रस्तुत किए जाने उपरांत किए जाने चाहिए वह काम शिक्षकों को बुलाकर किए जाने का नियम बनाया गया है। वैसे शिक्षा विभाग में शिक्षकों को कार्यालय का चक्कर न लगाना पड़े इसके लिए काफी कुछ व्यवस्थाएं की गई हैं और ऐसा दावा भी किया जाता है विभाग की तरफ से की शिक्षकों के लिए संकुल स्तरीय व्यवस्था सबसे मददगार व्यवस्था है उनके समस्याओं सहित उनके किसी भी आवेदन निराकरण के लिए लेकिन यह केवल ऐसी व्यवस्था है जो अधिकारियों के आगे नतमस्तक है यह भी शिक्षकों ने बतलाया और बतलाया कि कैसे संकुलों से जाने वाले नियमानुसार आवेदनों के कार्यालय पहुंचते ही उन्हें कार्यालय से बुलावा भेजा जाता है उन्हें बुलाकर कैसे आर्थिक शोषण का शिकार होने मजबूर किया जाता है। संकुल स्तर से शोषण की बात शिक्षक नहीं करते वह यह भी बतलाते हैं कि संकुल व्यवस्था से उन्हें शिकायत नहीं है उन्हें संकुल से सहयोग पर्याप्त मिलता है वहीं संकुल से जैसे ही कार्यवाही आगे भेजी जाती है उन्हें शोषण का एक आधार मानकर व्यवहार किया जाता है। हर एक काम का दाम लिपिक तय करते हैं और वह अधिकारी के द्वारा ऐसा निर्देश दिया जाना बताते हैं यह बाते शिक्षकों ने बतलाई, शिक्षकों के अनुसार उनका अवकाश अवधि का वेतन भी स्वीकृति के समय एरियर माना जाता है और उसे अतिरिक्त लाभांश मानकर सुविधा शुल्क की मांग होती है। वैसे यह अजीब स्थिति जिला मुख्यालय की है जहां शिक्षक वेतन से ही अपने शोषण का अध्याय पढ़ रहा है और पढ़ाने वाले वह हैं जो उसके लिए उसकी सुविधा के लिए तैनात हैं। शिक्षकों के अनुसार कार्यालय में उनके साथ व्यवहार भी उचित नहीं होता न बैठने तक के लिए पूछा जाता है उन्हें केवल अपने एसोआराम के लिए एक एटीएम मशीन मानकर कार्यालय का हर व्यक्ति बैठा है जो जैसे ही किसी शिक्षक की कोई समस्या या कोई आवेदन प्राप्त करता है निराकरण के लिए वैसे ही वह अपने सुख सुविधा में एक नए अध्याय के लिए एक नया बजट बना लेता है।
खबर का प्रकाशित हुई तो शिक्षकों ने फोन कर दिया धन्यवाद
खबर का प्रकाशित होना और शिक्षकों का संवाददाता को लगातार फोन कर धन्यवाद दिया जाना यह बतलाता है कि शिक्षक लगातार आर्थिक शोषण से त्रस्त हो चुके हैं और वह अब बदलाव की चाह रखते हैं जो व्यापक बदलाव होना चाहिए उनकी मंशा समझ में आती है। शिक्षकों ने संवाददाता को धन्यवाद देते हुए बतलाया कि उन्हें अवकाश स्वीकृति के लिए, चिकित्सा प्रतिपूर्ति के निपटारे के लिए प्रकरण के अग्रेषण के लिए,जहां निर्धारित शुल्क चुकाना होता है वहीं उन्हें सेवा पुस्तिका में परिवार के सदस्यों के नाम जुड़वाने के लिए भी निर्धारित शुल्क चुकाना पड़ता है जो लिपिक तय करते हैं और अधिकारी का हवाला देकर भयभीत करते हैं। शिक्षकों के अनुसार शिक्षक लगातार शोषण का शिकार हो रहे हैं और शिक्षक संघ भी मामले में मौन हैं। शिक्षकों की माने तो खुला एक बाजार बन गया है कार्यालय जहां पैसे देकर हर मामले का निपटारा तय किया जाता है।