
ऑपरेशन सिंदूर पर पाकिस्तान को सबक भारतीय सेनाओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना देश को सुरक्षित किया इसकी प्रशंसा करनी चाहिए इसे राजनीति के दृश्टिकोण के नज़रिया से नहीं बल्कि देश हित मे देखना चाहिए क्योंकि उनकी हमेशा मानसिकता देश को बचाने की होती है और सेना का मनोबल हर उस देश का राष्ट्रपति सेना को उनकी बहादुरी पर सम्मान करता है इसे आप कितनी बार यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेस्की ने रूस से लड़ने वाले सेनाओं का सम्मान किया है ऐ अलग बात है भारत को इससे लेना देना नहीं है लेकिन यहाँ के यूटूबर्स और कुछ मीडिया चैनलों पर देश में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सियासत करते नजर आते हैं लेकिन सेना के पराक्रम को नजरअंदाज कर देते हैं इसका फायदा शत्रु देश उठाते हैं और भारत माता के प्रति अपनी नकारात्मक छवि को दर्शाते हैं यू टुब बना कर मीडिया में दिखाना बहुत आसान है हम भी बना लेंगे और डाउनलोड कर देंगे लेकिन इसपर सेना के प्रवक्ता ने जब सब कुछ खुल कर बता दिए हैं कि हम तीन मोर्चो पर पाकिस्तान से लड़ रहें थे और नुकसान भी हुआ लेकिन जो टारगेट था उसे प्राप्त किया है तो ऐसे में खुद यू टुब बनाकर डालना बचकाना हरकत होगा और लोगों में गलत धारना पैदा होगा सेना का मनोबल गिरेगा
याद होगा कारगिल का युद्ध जिसमें पाकिस्तान द्वारा धोखे से कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा करने के बाद, भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प के साथ जवाबी कार्रवाई की। कैप्टन विक्रम बत्रा,कैप्टन मनोज कुमार पांडे, ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव जैसे वीरों ने सर्वोच्च बलिदान देकर इन चोटियों को वापस हासिल किया। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पहाड़ी युद्ध में अपनी अद्वितीय क्षमता साबित की। इन युद्धों में भारतीय सेना ने न केवल देश की सीमाओं की रक्षा की,बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पेशेवर दक्षता और नैतिक मूल्यों का भी प्रदर्शन किया। अतः भारतीय सेनाओ के पराक्रम के बारे में नकारात्मक वीडियो बनाकर यू टुब पर दिखाना उचित नहीं इसमें प्रधानमंत्री को भी लपेटे में लेते हैं जो लोकतान्ति्रक तरीके से चुनकर आते हैं जब चुनाव आएगा तब आप अपने अधिकार का प्रयोग कर मनमुताबिक सरकार को चुन लेना लेकिन याद कीजियेगा वो दिन भी जब आतंकवादी की जड़ केवल जम्मू काश्मीर तक नहीं था बल्कि मुंबई, दिल्ली और गुजरात भी भुगता है असल में 26/11/2008 में आतंकी हमले में मारे गए लोगों से पूछिए की इससे उनको ख़ुशी मिली या नहीं मिली उस समय पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन तो टीवी में साफ बोल रहे थे कि हैदराबाद को पाकिस्तान बनाने की बात जब सबको बंधक बनाए और बहुत ही बेहरहमी से क़त्ल कर दिए गए किसी के पेट फाड़ दिया किसी का गर्दन काटा गया अतः आप खुद पहले अपने आप को देखिए कि आपने उस समय पाकिस्तान पर अटैक क्यों नहीं किया और जब आतंकवादी कसाब ने पाकिस्तान नाम खुलेआम लिया तो क्या आप सो रहे थे सेना उस समय बहुत गुस्से में थे और आरपार के मूड में थे लेकिन क़ोई भी आतंकी संगठन को एक खरोंज तक नहीं आने देना ये कितनी शर्म की बात है सेना के लिए ना तो दिन होता है ना रात लड़ाई में गोली लगने के बाद भी लड़ते हैं और अंतिम सांस तक भारत माता के लिए शहीद होते हैं। क्या उनके पराक्रम को नजरअंदाज करना देशहित में है और यूटुबर एक्सपीरियंस मेहमानों को भी बुलाते हैं वे वही हैं जो किसी कारण सत्ता में जगह नहीं मिलने पर मोदीजी के खिलाफ नेरेटिव फैलाते है आप जब यूपीए शासन में थे तो हिम्मत तो दिखाना चाहिए और जहाँ आक्रमण करना चाहिए वहाँ केवल कागजी कार्यवाही यानि डोसियर देने से आतंकवादी जश्न मना रहें थे क्या 140 करोड़ भारतीय का अपमान नहीं है। हमें क़ोई भी मार कर चला जाए यानि हमारी जान की कीमत नहीं है । ऑपरेशन सिंदूर से आतंकवादी संगठन में खौफ पैदा हुआ है अतः दूसरे पर दोष देना या कागजी शेर बने रहने से सच्चा देशभक्त आपको कभी सपोर्ट नहीं करेगा क्योंकि सेनाओं पर सवाल उठाना गलत है जैसे पहले भी दो बार सर्जिकल स्ट्राईक में हुआ है। मैने सेना के चयन को देखा हैं मेरा सलेक्शन एसएसबी में भोपाल में हो जाता यदि हम दया का भाव नहीं दिखाते वो भी साइकोलोजिस्ट को किसी लेख में कुछ पढ़ने के बाद सवाल किया और बाद में मै भी उनके निर्णय को सम्मान करते हुए वहाँ नहीं जाने का निर्णय लिया क्योंकि वहाँ आपको दुश्मन के साथ दया दिखाने से काम नहीं चलता । बन्दुक चलाने का हौसला चाहिए। अतःसेना का सम्मान करें जब कारगिल युद्ध हुआ तो ऊँची-ऊँची पहाड़ी पर युद्ध लड़ा गया और भारतीय सेनाओ ने अपना दम दिखाया। उस समय जो शहीद हुए वहाँ उनके गाँव में स्टैचू आज भी बना दिखता है और सड़क गली का नाम भी उनके सम्मान में रखा गया उस समय मात्र 21वर्ष का एक सेनानी मिला जो रेड लाइट एरिया में गया पूछा तो बताया सेक्स भी तो ईश्वर की देन है। जाने से पहले इसे भी आजमा ले बाद में वो शहीद हो गया इसी तरह ट्रेन में दो सेना के लोग मिले एक बेचारा अपने परिवार को कोष रहा था और बाद में मेरी सीट में लेट गया और मै जमीन पर ही सो गया क्योंकि वो मातृभूमि की रक्षा के लिए जा रहें थे दूसरे ने जो ऊपर झोला लटका था उसमें शुद्ध घी के लड्डू बड़े शौक से रखा था देखा तो सुबह आधा गायब था तो सेनानी ने कहा कि सर मुझे बहुत भूख लगी थी फिर वहाँ ड्यूटी करना है मैंने पूरा डब्बा ही दे दिया कि रास्ते में भूख लगे तो खा लेना। सेना की जिंदगी को आपने कभी करीब से नहीं देखा। शराब पीना उनकी मज़बूरी होती है। घर परिवार से दूर देश की रक्षा के लिए अपने सारे अरमान को दबा कर दुश्मन का डटकर मुकाबला करते हैं उन्हें आप ठीक से पहचानेगें तो मालूम होगा सेना किसी से डरता नहीं है ना तो अपना क़ोई शौक पूरा कर पाता है ना ही घर परिवार के साथ हमेशा रह पाता है अतः सेना का सम्मान कीजिये और देश प्रेम की भावना से मीडिया में देखाना चाहिए इसमें भी राजनीती करेंगे तो उनका अपमान होता है।
संजय गोस्वामी
मुंबई,महाराष्ट्र