बैकुंठपुर@क्या काफी पहुंच वाले हैं अग्रणी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य जिनके कार्यकाल की जांच व कार्यवाही करने से संचालक,उपसंचालक व आयुक्त भी घबरा रहे?

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-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,01 अगस्त 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के अग्रणी महाविद्यालय रामानुज प्रताप सिंहदेव के सेवानिवृत प्रभारी प्राचार्य पर कार्यवाही करने व उनके कार्यकाल की जांच करने की जहमत कोई भी उठाने को तैयार नहीं है, इससे यह समझ में आता है की सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य कितने पहुंच वाले हैं, 6 महीना तक सेवानिवृत होकर भी उन्होंने नए प्रभारी प्राचार्य को प्रभार नहीं दिया, वह प्रभार मांगते मांगते प्रभारी प्राचार्य पद से भी सेवानिवृत हो गए, यहां तक की शासन को वह पत्र भी लिखते रहे प्रशासन भी सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य को पत्र लिखता रहा पर सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य अपने ही धुन में थे और शासन से ऊपर अपने आप को समझ कर प्रभार ना देने की ठान रखी थी और शासन भी उनके सामने ऐसा लगा कि नतमस्तक हुआ,इसी बीच कुछ ऐसा हो गया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता के सेवानिवृत होने के बाद शासन ने प्रभारी प्राचार्य किसी और को नियुक्त किया पर उनका कार्यकाल 6 महीने का था और वह सेवानिवृत हो गए पर उन 6 महीनों में वह पूर्व सेवानिवृत्त प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता से प्रभार नहीं ले पाए, इस बीच लगातार अखिलेश चंद्र गुप्ता शासन के आदेशों की अवहेलना करते रहे और ऐसा करने की छूट किसने दी? इसका तो पता नहीं पर कार्यवाही करने की हिम्मत किसी ने नहीं जुटा यह बड़ा सवाल है।
वर्तमान प्रभारी प्राचार्य की अनुपस्थिति में महाविद्यालय क्यों गए सेवानिवृत प्रभारी प्राचार्य और क्यों जलाया दस्तावेज?
अग्रणी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता द्वारा दस्तावेज जलाने के मामले में वर्तमान प्राचार्य का कहना है कि वह उक्त दिवस महाविद्यालय से अनुपस्थित थे उन्हें दस्तावेजों के जलाए जाने की जानकारी समाचार पत्र से मिली,वैसे यह कहानी जैसी बात लगती है,क्योंकि एक बड़े संस्थान का मुख्य पद धारण करने वाले को पद अनुरूप संस्थान की सम्पूर्ण जिम्मेदारियों से भी परिपूर्णता प्रदान की जाती है और उसे सम्पूर्ण अधिकार प्रदान किए जाते हैं संस्थान संबंध में और वही तब जिम्मेदार होता है,जब उसका कार्यकाल आरंभ होता है,खुद को अनभिज्ञ बताना इस मामले में वर्तमान प्राचार्य का एक तरह से अभिनय करना माना जाएगा क्योंकि बिना उनकी जानकारी कैसे कोई महाविद्यालय में तब जायेगा और वहां के कक्षों के ताले खोलकर दस्तावेज जलाएगा? जब ऐसा करने वाला व्यक्ति अनाधिकृत है वहीं महाविद्यालय के दो कक्षों में ताला बंद कि स्थिति पर उच्च कार्यालय से पत्राचार जारी हो,सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य क्यों तब महाविद्यालय गए और दस्तावेज उन्होंने जलाया जब वर्तमान प्राचार्य अनुपस्थित थे यह बड़ा सवाल है। संस्थान के प्रमुख की अनुपस्थिति में क्या यह जुर्म नहीं? भले ही केवल रद्दी कागज जलाए गए जैसा सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य बतला रहे हैं सफाई दे रहे हैं। वह क्यों पहुंचे महाविद्यालय और क्यों उन्होंने दस्तावेज जलाए यह सवाल जरूर होगा?
दस्तावेजों को आगे के हवाले किए जाने के 21 दिन बाद भी क्यों नहीं हुई कार्यवाही?
महाविद्यालय के दस्तावेज जलाए जाने की घटना को 21 दिन बीत चुके,अब तक न तो प्रभारी प्राचार्य ने पुलिस को सूचना दी और न ही उच्च कार्यालय से ही कोई कार्यवाही हुई या निर्देश प्राप्त हुआ कार्यवाही के लिए प्रभारी प्राचार्य को, क्या सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य अपनी ऊंची पकड़ के साथ पूरे मामले में बरी हो जाने का प्लान तैयार करके दस्तावेज जलाने पहुंचे थे,वैसे सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य कितने प्रभावशाली हैं उच्च शिक्षा विभाग में यह बात इसी से समझा जा सकता है कि वह 6 महीने तक उच्च कार्यालय के दो बार के निर्देश और कड़े निर्देश के बाद भी दो कमरों का प्रभार नहीं देने पर अड़े रहे और विभाग उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सका।
क्या अग्रणी महाविद्यालय में विभिन्न निधियों में आती हैं जमकर राशि जिस वजह से लंबे समय तक प्रभारी प्राचार्य बने रहे अखिलेश चंद्र गुप्ता?
वैसे सवाल यह भी है कि क्या अग्रणी महाविद्यालय में वहां की निधियों में जमकर राशि आती है जिस वजह से अखिलेश चंद्र गुप्ता लगातार 25 वर्षों तक प्रभारी प्राचार्य बने रहे,क्या उच्च शिक्षा गुणवत्ता के लिए शासन से प्रदाइत राशि को भ्रष्टाचार के लिए इस्तेमाल करने के उद्देश्य से अखिलेश चंद्र गुप्ता पद पर बने रहना चाहते थे? अखिलेश चंद्र गुप्ता बताया जाता है कि 25 वर्षों तक प्रभारी प्राचार्य पद पर बने रहे और उन्होंने भ्रष्टाचार किया तभी उन्होंने सेवा निवृत्त होने उपरांत लंबे समय तक एक तरफ प्रभार नहीं दिया वहीं जब उन्हें प्रभार देने की स्थिति नजर आई तब उन्होंने दस्तावेज जलाने का काम किया जिससे अपना पूरा भ्रष्टाचार वह छिपा सकें। 25 वर्षों के पूरे कार्यकाल के दौरान यह कई बार अलग अलग नए महाविद्यालयों के भी प्राचार्य रहे जिनकी स्थापना नई की गई और जहां प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति प्रकिया में समय लगा, वहां भी इनके द्वारा भ्रष्टाचार किया गया होगा ऐसी आशंका है जिससे इंकार नहीं किया जा सकता।
क्या 12 जुलाई को दस्तावेजों को दीमक से बचाने गए थे सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य?
6 महीने पहले सेवानिवृत्त हो चुके प्रभारी प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता 12 जुलाई 2025 को महाविद्यालय पहुंचते हैं वह भी तब जब वर्तमान प्रभारी प्राचार्य जो उनके साथ लंबा कार्यालय उनके अधीनस्थ रहकर बिता चुके थे वह बाहर थे,वह महाविद्यालय पहुंचकर उन दो कमरों का ताला खोलते हैं जिन्हें वह सेवानिवृत्त होने के बाद भी उच्च कार्यालय से निर्देश प्राप्त होने के बाद भी बंद कर के 6 माह से रखे रहते हैं और तत्कालीन प्राचार्य को प्रभार नहीं देते हैं,महाविद्यालय के कमरों से वह कुछ दस्तावेज निकलवाते हैं और उन्हें आग के हवाले करते हैं, इस दौरान वह वहीं खड़े रहते हैं जहां दस्तावेज जलाया जा रहा होता है और अपनी आंखों के सामने वह उन्हें भस्म होते देखते हैं। जब इस बात पर प्रश्न उठता है वह मौन रहते हैं और जब बार बार प्रश्न उठता है वह एक बयान जारी करते हैं जिसमें वह कहते हैं कि रद्दी अखबार और प्रायोगिक परीक्षाओं की कॉपियां जलाई गईं जिनमें दीमक लग रहे थे, अब सवाल यह है कि वह 6 माह बाद क्या दीमक देखने गए थे कि कहां लगा कहां नहीं लगा? जबकि वह महाविद्यालय के लिए अनाधिकृत हो चुके थे, वह यह भी कहते हैं कि महाविद्यालय के कर्मचारियों द्वारा रद्दी कागज जलाए गए जो किनारे पड़े थे कमरे में, अब सवाल यह है कि रद्दी जलाते समय वह क्यों मौजूद थे वहां जहां आग के हवाले किया जा रहा था रद्दी? झूठ ऐसा मामला होता है कि व्यक्ति खुद फंसता जाता है और वही हो रहा है अखिलेश चंद्र गुप्ता ने महत्वपूर्ण दस्तावेज ही जलाए और तब तक आग के सामने खड़े रहे जबतक दस्तावेज राख में तब्दील नहीं हो गए, उनकी तस्वीर इस दौरान की मौजूद है।
वर्तमान प्रभारी प्राचार्य सेवानिवृत प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता पर कार्यवाही करने का दिशा निर्देश मांग रहे हैं, कौन देगा दिशा निर्देश?
महाविद्यालय के दस्तावेज जलाए जाने के मामले में अब एक नया मामला सामने आया है, अब नए प्रभारी प्राचार्य नींद से जागते हुए नजर आ रहे हैं और वह अब उच्च कार्यालय से दिशा निर्देश मांग रहे हैं, जब महाविद्यालय का दस्तावेज जलाया गया सेवानिवृत्त प्रभारी प्राचार्य द्वारा तब वर्तमान प्रभारी प्राचार्य मौजूद नहीं थे बाहर थे वह यह लिखित में बताकर दिशानिर्देश मांग रहे हैं, वर्तमान प्रभारी प्राचार्य के द्वारा मांगे गए उच्च कार्यालय से दिशानिर्देश पत्र को यदि यदि पढ़ा जाए तो उसमें लिखा है कि उन्हें आग लगाए जाने की घटना की जानकारी समाचार-पत्र से प्राप्त हुई, वैसे यह कितना स्वीकार्य किया जा सकने वाला कथन है यह उच्च कार्यालय तय करेगा, क्योंकि उन्हें उनके महाविद्यालय के कर्मचारियों ने क्यों नहीं बताया यह सवाल खड़ा रहने वाला है? वैसे उनके द्वारा जो दिशा निर्देश मांगा जा रहा है वह कौन देगा, क्या उच्च कार्यालय कार्यवाही के लिए दिशा निर्देश जारी करेगा? वैसे वर्तमान प्रभारी प्राचार्य ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी सवाल यह भी है। अब देखना है कि सेवानिवृत प्रभारी प्राचार्य अखिलेश चंद्र गुप्ता जो काफी ऊंची पकड़ वाले है उच्च शिक्षा विभाग में, और ऐसा उनके लंबे कार्यकाल के कारण उन्हें प्रभाव हासिल करने का मौका मिला है क्या उनके विरुद्ध कार्यवाही का आदेश निर्देश जारी किया जाता है उच्च कार्यालय से?


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