लेख@ नाग देव के प्रति आस्था के पर्व नाग पंचमी

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हमर हिंदू धर्म म परब,पूजा-पाठ-अनुष्ठान के अपन-अलग महत्व हावय। दिन विशेष तिथि के हिसाब से हमर हिंदू धर्म के लोगन मन जम्मो परब के विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ यज्ञ हवन तर्पण करथें। अउ अपन धार्मिक अनुष्ठान ल पूर्ण करथें। एकर मुख्य कारण यही हावे की प्राणी मात्र के कल्याण करना,अउ पुण्य के भागीदार होना। इही कड़ी म आथे नाग पंचमी के परब। जेमा नाग देव मन के पूजा अर्चना करे जाथे। गाँव ,नगर,शहर,सबो जगह ए परब ल श्रद्धा के साथ मनाथें। बिहनिया ले ही नाग मन के पूजा अर्चना करके उनला कच्चा गोरस अर्पित करे जाथे।नाग देव मन ल गोरस से नहलाए जाथे।नाग पंचमी के परब श्रावण मास के शुक्ल पंचमी तिथि के दिन मनाय जाथे। अईसे मान्यता हावय की ए दिन नाग देव मन के पूजा करे जाथे। अउ इनकर पूजा करे से नाग देव मन के आशीर्वाद प्राप्त होथे।
यह भी मान्यता हे की इनकर पूजा करे से एकर से होने वाला भय अउ अनिष्ट हर सब दूर हो जाथे।
पौराणिक कथा के अनुसार अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र होईस जनमेजय। एला ए ज्ञात होईस की इनकर पिता परीक्षित के मृत्यु के कारण सर्पदंश रहिस त ओहर विचलित होगे। अउ मन ही मन ए ठान लिस की ओहर एकर बदला लेके रही। अउ ए संकल्प भी लिस की ओहर सर्पसत्र के यज्ञ करके सर्प मन ल खत्म कर दिही। एती महा तपस्वी ऋ षि मुनि आस्तिक ल ज्ञात होईस की जनमेजय सर्पसत्र के यज्ञ करत हावय। त ऋषि आस्तिक जी हर ओ यज्ञ ल श्रावण मास के शुक्ल पंचमी तिथि के दिन रोक दिस। अउ ए कारण से तक्षक नाग के वंश हर नष्ट होय ले बच जाथे। अउ राजा जनमेजय
के यज्ञ ले निकलने वाला ताप ले बचे खातिर ऋ षि हर ओ नाग मन के उपर कच्चा गोरस डार देथे।तब ले लेकर आज तक
नाग पंचमी के दिन नाग मन ल गोरस अर्पित करे जाथे। जेहर प्राचीन काल से एक परंपरा के रूप म आज भी सतत चले आथे।
ए प्रकार से यह कहे जा सकत ही की हमर हिंदू धर्म म पूजा-पाठ, कर्म-काण्ड-अनुष्ठान के एक धार्मिक कारण अवश्य रहिथे। जेकर एक मात्र उद्देश्य यह होथे कि ए जगत के जम्मों जीव मन के मात्र उद्धार अउ कल्याण करना।


अशोक पटेल आशु
तुस्मा,शिवरीनारायण छत्तीसगढ़


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