- स्वच्छ भारत मिशन की रैली में नहीं थे उपस्थित ग्राम पंचायत के ग्रामीण ग्राम पंचायत में नहीं थी किसी स्वच्छ भारत मिशन के कार्यक्रम की जानकारी?

-राजेन्द्र शर्मा-
खड़गवां,22 जुलाई 2025 (घटती-घटना)। जनपद पंचायत मुख्यालय खड़गवां में ग्राम पंचायत खड़गवां का स्वच्छता अभियान,जो स्वच्छ और स्वस्थ शहर का सपना दिखाता है, व्यावहारिक रूप में कहां खड़ा है, यह सवाल तब उठता है जब जनपद पंचायत मुख्यालय के मुख्य गेट पर ही दुकानदारों को कचरों के अंबार से जूझते हुए देखा जाता है। कचरे की यह स्थिति न केवल स्वच्छता व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि एक गहरे आक्रोश और असंतोष का भी प्रतीक है, जो स्थानीय व्यापारियों और नागरिकों में व्याप्त है?
वहीं जनपद पंचायत प्रंगाण में वही तहसील कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के लिए इस मुख्य द्वार से होकर ही जाना है और उसी मुख्य द्वार पर ही कचरा डंपिंग के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। यह फैसला न सिर्फ व्यापारिक समुदाय को प्रभावित कर रहा है,बल्कि आसपास के क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के लिए भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन महज ग्राम पंचायत खड़गवां में खानापूर्ति बनकर रह गया है यहां जनपद पंचायत क्षेत्र एवं मुख्यालय में सिर्फ अधिकारी कर्मचारी स्वच्छता अभियान को लेकर अपनी सक्रियता नहीं दिखाते है वो सिर्फ परिसर कि साफ सफाई कर फोटो ग्राफी कर सोशल मीडिया में दिखा कर अपने जिम्मेदारी कि इतिश्री कर लेते है जो ग्राम पंचायत खड़गवां के द्रारा किया गया था। यह विडंबना ही कहा जाए एक तरफ सरकार और प्रशासन स्वच्छ भारत अभियान जैसे योजनाओं को लेकर प्रतिबद्धता दिखाते हैं, और दूसरी तरफ जनपद पंचायत तहसील कार्यालय अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के मुख्य द्वार पर कचरे का ढेर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कचरे के डंपिंग की यह स्थिति कई मायनों में चिंताजनक है। सबसे पहले, यह स्वच्छता के प्रति ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है। व्यापारिक क्षेत्रों में कचरा फैलने से न केवल दुकानदारी पर असर पड़ता है, बल्कि स्थानीय व्यवसायों की छवि और उनके ग्राहकों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त,आसपास की आबादी को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कचरे से उठने वाली बदबू, कीड़े-मकौड़ों का बढ़ना, और बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। दूसरी ओर, पर्यावरणीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह डंपिंग स्थल एक पर्यावरणीय संकट को जन्म दे रहा है। कचरा न केवल जमीन और पानी को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि वायु प्रदूषण भी बढ़ा रहा है। इसमें शामिल प्लास्टिक, केमिकल और अन्य हानिकारक पदार्थ पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों एवं दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने जनपद पंचायत में और ग्राम पंचायत में कचरे कि साफ सफाई को लेकर कई बार संपर्क किया है, लेकिन जनपद पंचायत और ग्राम पंचायत के द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। जबकि जिस जगह पर कचरा डंपिंग के लिए जगह बनाई गई है उसके महज पांच फीट की दूरी पर हैंडपंप है जिसका पानी दूरदराज से आए ग्रामीण जन एवं स्थानीय दुकानदारों के द्वारा पीने के लिए उपयोग किया जाता है। इस तरह की स्थिति प्रशासनिक उदासीनता का उदाहरण है, जो जनपद पंचायत खड़गवां एवं ग्राम पंचायत खड़गवां की कार्यक्षमता पर प्रश्नचिह्न लगाता है। एक तरफ जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत कागजों पर स्वच्छ भारत मिशन अभियान की रैली निकाल कर जागरूक कर रहा है, और दूसरी तरफ वास्तविकता में लोग कचरों के ढेर से जूझ रहे हैं। यह सवाल उठता है कि जनपद पंचायत जो कि स्वच्छता के लिए जिम्मेदार है, इस मुद्दे पर क्यों निष्कि्रय है? क्या यह प्रशासनिक ढांचे की कमजोरी का परिणाम है, या फिर यह एक सोची-समझी नीति है जो केवल कुछ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है या अनदेखी की जाती है? ग्राम पंचायत खड़गवां में केवल कागजों पर स्वच्छता अभियान चलाने से कुछ हासिल नहीं होगा। इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है? जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत को शीघ्र ही इस मुद्दे का हल करने की दिशा में कदम उठाने की जरूरत है,ताकि जनपद पंचायत खड़गवां मुख्यालय को वास्तव में स्वच्छ और सुंदर बनाया जा सके?