- आईजी सरगुजा के आदेशों की अवहेलना पर निलंबित हुए थे प्रधान आरक्षक व आरक्षक
- क्या एक साल छ: महीने के वनवास के बाद सुधरेंगे यह दोनों या फिर से पुराने लय में ही करेंगे काम?
- जनकपुर में संदीप व संजय की जोड़ी फिर जमाएगी धमाल?
- अपने उच्च अधिकारियों का तबादला करवाने तक का भरते थे दम पर अपने तबादला रुकवाने पर छूटा था पसीना…
- क्षेत्र की जनता इन रसूखदार आरक्षक व प्रधान आरक्षक से थी परेशान
- स्थानीय थाना से मोह छूट नहीं रहा था और जब जिले से बाहर तबादला हुआ तो प्रधान आरक्षक व आरक्षक को हुई तकलीफ
- आम लोगों को तकलीफ देने वाले प्रधान आरक्षक व आरक्षक अपनी करनी से फसे थे तकलीफ में…
- तबादले के 50 दिन बाद भी नहीं गए थे नवीन जिला,झेलनी पड़ी थी निलंबन की कार्यवाही
- अधिकारियों को अपनी पकड़ का धौंस दिखाने वाले इन पुलिसकर्मियों के ऊपर कार्यवाही करना था सही फैसला
- इन प्रधान आरक्षक व आरक्षक के खिलाफ थी काफी शिकायतें…वसूली में भी थी इन्हें महारत हासिल


-रवि सिंह-
एमसीबी,22 जुलाई 2025 (घटती-घटना)। शासकीय विभागों में कार्यरत अलग-अलग लोग अपनी अलग-अलग कार्यप्रणाली के लिए विख्यात रहते हैं जहां कुछ अच्छी कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते हैं वहीं कुछ की कार्यप्रणाली ऐसी होती है जो उन्हें सुर्खियों में बनाए रखती है और उनकी कार्यप्रणाली से उनके विभाग का नाम बदनाम होता रहता है,कुल मिलाकर कुछ विभाग के लिए गौरव का विषय होते हैं कुछ कलंक का विषय होते हैं। ऐसा लगभग शासन के हर विभाग में पाया जाता है, ऐसा ही कुछ पुलिस विभाग में भी देखने को मिलता है। वैसे अच्छी कार्यप्रणाली वाले और विभाग के गौरव माने जाने वाले किसी मामले में भले परेशान हो जाएं लेकिन दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के लिए विख्यात लोग कभी परेशान नहीं होते और यदि होते हैं भी तो वह पूरी व्यवस्था को विभाग के ऐसा परेशान कर देते हैं कि उन्हें उनके मन अनुसार व्यवस्था देना विभाग की मजबूरी बन जाती है। विषय का विषय है पात्र हैं इसीलिए आज का यह प्रसंग और समाचार भी है क्योंकि मामला एमसीबी जिले के कुछ ऐसे पुलिसकर्मीयों से जुड़ा हुआ है जिन्हें उनकी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के लिए जब जिले से बाहर हटाया गया तब उन्होंने पूरी व्यवस्था को ऐसा परेशान किया कि उन्हें एक वर्ष के भीतर ही वापस लाना पड़ा जिले में और उन्हें उनके हिसाब से जिले में एमसीबी जिले में पुलिसथानों में पदस्थ करना विभाग की मजबूरी हो गई। अवैध कारोबार को संरक्षण देने सहित वसूली के आरोपों से घिरे पुलिसकर्मी पहले जिले से शिकायत के आधार पर बाहर भेजे गए बाद में उन्हें एक वर्ष के भीतर ही वापस बुलाना पड़ा और उन्हें पुनः मन अनुसार उनके पदस्थ करते हुए मन पसंद पुलिस थाने में भेजा गया। यह पुलिसकर्मी प्रधान आरक्षक के पद पर कार्यरत हैं और इनकी कार्यप्रणाली से कभी एमसीबी जिला वह भी एक वर्ष पूर्व एमसीबी जिले का पुलिस विभाग बदनाम हुआ करता था और उन्हें जिले से हटाना पुलिस एमसीबी जिले की मजबूरी बन गई थी। पुलिस विभाग में यह केवल एमसीबी जिले का ही हाल नहीं है यह पूरे पुलिस विभाग का हाल है जहां अच्छे और विभाग के लिए गौरव रहे पुलिसकर्मी भले प्रभावित होते आए हैं या होते रहेंगे दोषपूर्ण कार्यप्रणाली वाले कभी प्रभावित नहीं होंगे वह एन-केन-जुगाड बनाकर अपनी व्यवस्था जरूर कर लेंगे वह भी अपनी मंशानुसार।

एक साल छ: महीने में ही शातिर प्रधान आरक्षक व आरक्षक की हुई वापसी आते ही मिला थाना
एक साल छः महीने मात्र वनवास काटने के बाद शातिर प्रधान आरक्षक ने अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल करके पुनः वनवास समाप्ति का जुगाड बना लिया,एमसीबी जिले से बाहर भेजे जाने के बाद पहले तो महीनों न जाने के लिए प्रयास किया उसने लेकिन जब दबाव बढ़ा तब उसने जिले से बाहर जाना स्वीकार किया और मात्र एक वर्ष के भीतर ही उसने अपनी घर वापसी का भी जुगाड बना लिया। एमसीबी से पुनः एमसीबी वापस आने के लिए शातिर प्रधान आरक्षक ने राजनीतिक आकाओं का भी खूब इस्तेमाल किया और अंततः उसने घर वापसी का जुगाड बना लिया। अब वह एमसीबी जिले के मन पसंद पुलिस थाने में काम करेगा और पुनः अपनी कार्यप्रणाली से जिले के पुलिस विभाग की छवि धूमिल करेगा।
क्या एक साल के वनवास के बाद सुधरेंगे यह दोनों या फिर फिर से पुराने लय में ही करेंगे कार्य?
एक वर्ष छ महीने के वनवास के बाद एमसीबी जिले में पुनः वापसी कर चुके दो पुलिसकर्मी क्या अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाएंगे,या वह पुनः उसी लय में कार्य करेंगे जैसा करके वह एमसीबी नवीन जिले के पुलिस विभाग को बदनाम कर चुके हैं। जिले में वापसी कर चुके दोनों पुलिसकर्मी सुधरेंगे ऐसा उनको जानने वाले नहीं मानते उनका मानना है कि वह अपनी मनमानियां जारी रखने के लिए ही जिले में वापसी कर रहे हैं और उन्हें इसलिए तत्काल पुलिस थाना भी प्रदान कर दिया गया है,अवैध कारोबार को संरक्षण देने सहित अवैध वसूली का सिलसिला पुनः जारी होगा यह माना जा रहा है और ऐसा वही मान रहे हैं जो उनकी कार्यप्रणालियों से अवगत हैं।
जनकपुर में संदीप व संजय की जोड़ी फिर मचाएगी धमाल?
एमसीबी जिले के जनकपुर पुलिस थाने में एक प्रधान आरक्षक की जिसका नाम संदीप है को नई पदस्थापना प्रदान की गई है,वहीं पहले से ही वहां उसका जोड़ीदार संजय मौजूद है,पहले भी यही जोड़ी जिले में कानून तोड़ने वालों के लिए एक सहारा बनती थी और बेसहारा लोगों के लिए यही उनके दुख का कारण बनते थे यह विख्यात रहा है, अब दोनों मिलकर फिर से एमसीबी जिले के जनकपुर पुलिस थाने में धमाल मचाएंगे यह माना जा रहा है।
पुलिसकर्मी जिनके विरुद्ध आईजी सरगुजा ने की है निलंबन की कार्यवाही
एमसीबी जिले में कार्यरत वहीं गृह पुलिस थाना क्षेत्रों में ही कार्यरत तीन पुलिस कर्मी जिनकी लगातार शिकायतों के बाद आईजी सरगुजा ने जिले से बाहर अन्य जिले में पदस्थापना की थी जिनका तबादला किया गया था उनमें प्रधान आरक्षक और आरक्षक के नाम शामिल हैं। प्रधान आरक्षक 78 अमित जैन,प्रधान आरक्षक 55 संदीप बागिश,आरक्षक क्रमांक 135 यह वह तीन नाम हैं जो एमसीबी जिले से बलरामपुर जिले भेजे गए थे जिन्हे एमसीबी जिले से रवानगी लेने उपरांत भी बलरामपुर जिले में कार्यभार ग्रहण नहीं करने के फलस्वरूप निलंबित किया गया है आईजी सरगुजा द्वारा। इन तीनों को एमसीबी जिले से रवानगी लेने उपरांत दो बार कार्यभार ग्रहण करने हेतु नोटिस भी भेजा गया था बावजूद इन्होंने 50 दिवस तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया जिसके कारण इन्हें निलंबित किया गया है।
ऊंची पकड़ और अपनी धौंस अधिकारियों पर दिखाने में माहिर थे पुलिसकर्मी
आईजी सरगुजा ने जिन तीन पुलिसकर्मियों को आदेश की अवहेलना का हवाला देते हुए निलंबित किया है वह तीनों अपनी ऊंची पकड़ और धौंस अधिकारियों पर भी जमाने का हुनर रखते थे। तीनों की ऊंची पकड़ है और वह जिसके दम पर जैसा चाहेंगे वैसा ही विभाग में होगा यह उनका आत्मविश्वास था। आईजी सरगुजा ने उनके इसी आत्मविश्वास को अवहेलना माना और उन्हे निलंबित कर नियम का पालन नहीं करने पर दंड के प्रावधान का एहसास कराया। एमसीबी जिले के तीनों पुलिसकर्मी अब तक गृह जिले के पुलिस थानों में ही पदस्थ अपनी ऊंची पकड़ के दम पर रहते चले आ रहे थे। वैसे इनकी ऊंची पकड़ पुरवर्ती सरकार के कार्यकाल में ही थी जैसा बताया जाता है अब सत्ता परिवर्तन के बाद इनकी सुनने वाला कोई नहीं जिसके कारण इनका इस बार पहुंच पकड़ काम नहीं आया जो बताया जा रहा है।
एमसीबी जिले से तबादला होने से खुश हुए थे लोग…
जब एमसीबी जिले से इन पुलिसकर्मियों का तबादला किया गया था तब जिले वासी साथ ही उन थाना क्षेत्रों के लोग जहां यह पदस्थ थे काफी प्रसन्न हुए थे। उन्हे जैसे इसी दिन का इंतजार था। अपनी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर प्रसिद्ध इन तीनों पुलिसकर्मियों से लोग काफी त्रस्त थे जैसा की लगातार सुना देखा जाता था जिससे इनके तबादले के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी। थाना क्षेत्र में लोगों को बेवजह परेशान करना वसूली करना आदत थी इनकी जो क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब थी। इनके खिलाफ काफी शिकायतें थीं जिसके बाद ही इन्हे हटाया गया था।
उच्च अधिकारियों का भी तबादला कराने भरते थे दम,ऊंची पकड़ का था इनको घमंड
पुलिसकर्मी अपने उच्च अधिकारियों का भी तबादला कराने का दम भरते थे। अपने विरुद्ध खासकर दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर कोई आपत्ति किए जाने पर यह अधिकारियों को ही अन्यत्र भेंजने का दम भरते थे। पुरवर्ती शासनकाल में इन्हे राजनीतिक रूप से इतना संरक्षण प्राप्त था की इनकी हर मनमानी हर गलती गलती नहीं मानी जायेगी यह इन्हे विश्वास था। बताया जाता है की अधिकारी भी विभाग के इनसे भयभीत रहते थे की कब किसकी पदस्थापना यह कहां करा दें। वैसे सत्ता परिवर्तन के बाद इनकी ऊंची पकड़ फीकी पड़ती नजर आ रही है और इन्हें निलंबन का दंश झेलना पड़ रहा है जो नजर आ रहा है।