प्रतिवर्ष किया जाना है चुनाव,पदाधिकारी की मनमानी चरम पर,निगम कमिश्नर को जानकारी के बाद भी नहीं किया कराया जा रहा चुनाव
चिरिमिरी,11 जुलाई 2025 (घटती-घटना)। लोकतांत्रिक देश में चुनाव आवश्यक है लोकतंत्र की खूबसूरती तब तक झलकती है जब तक निर्धारित समय अवधि पर उस पद के लिए जनता अथवा सदस्यों के द्वारा प्रतिनिधि समय पर चुना जाए, लेकिन चिरमिरी नगर निगम में सब कुछ उल्टा चल रहा है सिर्फ उल्टा चलने की वजह ही एक मात्र होती है…कहीं से भी हो काली कमाई का जुगाड़ हो…निगम का नाम बदलकर चारागाह कर दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी,निगम में कार्यरत दीदियों में इसी बात का असंतोष व्याप्त हो रहा है, मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम चिरमिरी में 2020 से एएलएफ का चुनाव नहीं हुआ जिसकी वजह से खाद बिकने के बाद जो पैसा वीडियो को मिलना है वह पैसा अभी तक पता नहीं चल पा रहा है आखिर उस पैसे का जिम्मेदार तंत्र फिर बंदर बांट तो नहीं कर लिए, चुनाव के पूर्व 16 महिला समूह चिरमिरी में काम करते थे, लेकिन उसमें कई विसंगतियां के कारण फिर एक समूह एएलएफ बनाया गया था ताकि स्वच्छता दीदियों को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े, लेकिन इन सब प्रयास का परिणाम शून्य नजर आ रहा है।
विदित हो कि चिरमिरी नगर पालिक निगम स्वच्छ चिरमिरी संगठन एएलएफ अक्टूबर 2018 से प्रारंभ हुआ था उसके बाद 22 नवंबर 2020 को दूसरा चुनाव संपन्न कराया गया नियमों के तहत प्रतिवर्ष चुनाव कराया जाना था लेकिन सारे नियमों को शिथिल करते हुए अपने लाभ के अनुरूप नियम बनाकर चुनाव प्रक्रिया संपन्न नहीं कराई जा रही है लेकिन आधिकारिक भराशाही अपने चरम पर है गोधन योजना के तहत जो पैसे एकत्र होते हैं उन्हें बोनस के तौर पर दीदियों को देना होता है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग आठ लाख रुपए खाते में होने चाहिए लेकिन उसे पैसे का भी पता नहीं लग रहा है और यदि पैसा सुरक्षित है तो जिनका पैसा है उन तक प्रशासन को प्राथमिकता के आधार पर प्रदान कर देना चाहिए लेकिन निगम में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अपने दूषित आचरण के कारण बोनस का पैसा भी वितरण नहीं कर पा रहे हैं खबर यह भी है कि बंटी बबली के शासनकाल में जब इस चुनाव की मांग की जा रही थी तो स्पेशल बबली बार-बार चुनाव नहीं कराया जाने की है किए बैठी थी यही वजह है कि मामला पेंडिंग होता चला गया और आज तक चुनाव संपन्न नहीं कराया जा सका चुनाव प्रक्रिया संपन्न होती तो कई और नए चेहरों को कम करने का अवसर मिलता और अपनी क्षमता दिखाने का आधार मिलता लेकिन एक ही महिला को पिछले 5 साल से उसे पद पर बैठाया जाना कहीं न कहीं भ्रष्टाचार की बू आ रही है। उल्लेखनीय है कि इस संगठन को बनाने का उद्देश्य सिर्फ यही था कि अधिकारी या कोई अन्य व्यक्ति स्वच्छता दीदियों पर किसी तरह का मनमाना कार्य करवाने एवं कोई व्यवहारिक बातें करता है तो संगठन उनके हितों की रक्षा करते हुए उनके हक के लिए संघर्ष करेगा उनके हक में काम करेगा किंतु स्थिति पूरी तरह से विपरीत चल रही है वर्तमान के पदाधिकारी अधिकारियों के इशारों पर चल रह है किसी की भी निष्ठा बंद करवा देत है और किसी का ट्रांसफर करवा देते है जब इसकी शिकायत की जाती है वे कमिश्नर और अन्य लोगों के पक्ष में ही बात करते हैं दीदियों की मदद करने के बजाय उनके खिलाफ ही काम कर रह हैं बताया जाता है कि सत्ता पक्ष की पदाधिकारी है इसलिए इनका कोई कुछ कर नहीं पाता है क्षेत्र का चनाचोर नेता उस महिला पदाधिकारी का संरक्षक बताया जाता है।
