- गैरो पर सितम,अपनो पे रहम की तर्ज पर चला छत्तीसगढ़ में बुलडोजर, बरसात में घर से बेघर हुए कई परिवार
- क्या सत्ता धारी दल के नेताओ द्वारा काबिज भूमि पर बुलडोजर चलाने की हिम्मत दिखायेगा वन विभाग?
- बरसात के मौसम में ही क्यों तोड़ा गया गरीबों का घर?
- बुलडोजर चलने के बाद ग्रामीणों ने वन कमर्चारियों पर लगाये रिश्वतखोरी के गंभीर आरोप
- क्या वन विभाग के कमर्चारियों की सहमति से हुआ था अतिक्रमण?
- जब अतिक्रमण शुरू हुआ तब मौन क्यों था विभाग?
- सूत्रों के हवाले से प्रधानमंत्री आवास भी तोड़े जाने की खबर…सत्ता पक्ष का मौन होना भी उठा रहा कई सवाल

-राजन पाण्डेय-
कोरिया/सोनहत,29 जून 2025 (घटती-घटना)। वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार में बुलडोजर कार्यवाही जमकर देखने को मिल रही है और यह बुलडोजर अतिक्रमण पर चलाया जा रहा है पर इस बुलडोजर कार्रवाई में भी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सिर्फ बुलडोजर गरीबों के कब्जे पर चल रहा है राजनीतिक पार्टियों सहित कई सरकारी कर्मचारी व अशोक तारों के कजा किए गए जगह पर बुलडोजर पहुंच ही नहीं पा रहा है ऐसा लग रहा है कि शासन को वहां के बुलडोजर पहुंचने का रास्ता ही नहीं पता है या उन्हें जीपीएस लोकेशन देकर भेजना पड़ेगा तब वह बुलडोजर वहां पर पहुंच पाएंगे बाकी गरीबों के कजे पर बुलडोजर बिना बताए ही पहुंच जा रहा है जिसे लेकर बेहतर सुशासन की बात होने लगी है इससे बेहतर सुशासन तो ना कभी आया है और ना कभी आएगा? यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि वर्तमान सरकार में लगातार बुलडोजर कार्रवाई जारी है हाल ही में भी कोरिया जिले के सोनहत विकासखण्ड में पिछले कुछ दिनों से अतिक्रमण हटाने के नाम पर ग्रामीणों के घर तोड़े जाने का मुद्दा सुर्खियों में है, कई ग्रामीणों को बरसात के इन दिनों में घर तोड़ कर से बेघर किये जाने से ग्रामीणों में विभाग और सरकार के प्रति भारी आक्रोश है। इस सम्बंध में मिली जानकारी अनुसार देवगढ़ वन परिक्षेत्र अंतर्गत ओदारी बीट में वन विभाग की बड़ी अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई ने जि़ले भर में हलचल मचा दी है। पिछले तीन दिनों में 15 से अधिक अतिक्रमणकारियों के मकानों पर बुलडोजर चला, जिनमें कई मकान 6 से 12 साल पुराने थे। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने वन भूमि पर बसेरा विभागीय कर्मचारियों की मौन सहमति से ही किया था। कुछ लोगों ने यह भी दावा किया है कि बिड गार्ड और अन्य मैदानी कर्मचारी दारू,मुर्गा और नगद पैसे लेकर अतिक्रमण की खुली छूट देते रहे। अब जबकि विभाग ने बुलडोजर चलाया है, तो पीडि़तों में रोष है और सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि इतने वर्षों तक वन विभाग आखिर क्या कर रहा था?
बीट गार्ड लेते थे पैसा…नहीं करते थे आपत्ति:ग्रामीण
ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि बीट गार्ड वर्षों से आते रहे,खाते-पीते रहे, और नगद राशि लेकर चले जाते रहे। किसी ने अतिक्रमण रोकने की बात तक नहीं की। एक ग्रामीण ने कहा घर बनाते वक्त कोई रोकने नहीं आया अब तोड़ दिया गया तो भरपाई कौन करेगा?
बीट गार्ड ने आरोपों को किया खारिज
इस मामले में तत्कालीन बीट गार्ड अनिल पैकरा ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कोई लेन-देन नहीं हुआ है। ग्रामीण झूठे आरोप लगा रहे हैं। यदि जानकारी होती तो पहले ही कार्यवाही होती। हालांकि यह सवाल अब भी कायम है कि मकान बनने में महीनों लगते हैं,क्या विभाग की निगाहें इतनी देर तक बंद रहीं?
किसकी जिम्मेदारी,कौन होगा जवाबदेह?
ओदारी बीट में करीब 100 एकड़ से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण का मामला अब वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। क्या यह अतिक्रमण बिना अंदरूनी मिलीभगत के संभव था? अगर नहीं तो वर्षों से मौन रहे कर्मचारियों और अधिकारियों पर क्या विभाग कोई कार्रवाई करेगा?
बुलडोजर से आगे की कार्रवाई की दरकार
वन भूमि को अतिक्रमणमुक्त करना जरूरी है,लेकिन सिर्फ बुलडोजर चलाकर वन विभाग जिम्मेदारियों से बच नहीं सकता। अब ज़रूरत है कि विभाग खुद के भीतर झांके और यह तय करे कि क्या उसकी चुप्पी भी इस पूरे अतिक्रमण खेल में सहभागी रही है?
6 से 12 साल से कब्जे में थी वन भूमि
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने इस भूमि पर वर्षों पहले कब्जा किया और धीरे-धीरे यहां आवास भी खड़े कर लिए। कुछ को प्रधान मंत्री आवास योजना के तहत घर भी स्वीकृत हुए,जिनका निर्माण आधे से अधिक हो चुका था। लेकिन अब विभाग की कार्रवाई में वे भी जमींदोज कर दिए गए हैं। ग्रामीणों का सवाल है कि जब निर्माण शुरू हुआ,तब किसी अधिकारी ने रोक क्यों नहीं लगाई? और यदि अतिक्रमण था, तो उसे बनने से पहले ही क्यों नहीं रोका गया?
क्या सत्ताधारी दल के नेताओ द्वारा वन भूमि पर भारी भरकम कब्जे को हटाने की हिम्मत दिखायेगा वन विभाग?
वन विभाग ने अपने नियमों कानूनों का हवाला देते हुए गरीब ग्रामीणों द्वारा वन भूमि पर किये गए अतिक्रमण को तो हटा दिया गया,ग्रामीणों के घर मकान जमींदोज कर दिए गए लेकिन सबसे अहम सवाल यह भी है कि क्या वन विभाग सत्ता धारी दल के लोगो के द्वारा वन भूमि पर जो भारी भरकम क्षेत्र में कब्जा किया गया है उसे हटाने की हिम्मत दिखायेगा? क्या सत्ता धारी दल के लोगो के द्वारा ओदारी,कुशहा कछार पुश्ला,सहित आस पास के क्षेत्र जंगलों में कई एकड़ जमीन में किये गए कब्जे सहित उसमें अवैध रूप से किये गए निर्माण कार्य को जमीदोज करने की हिमाकत वन विभाग कर सकेगा? यह सवाल अहम होता जा रहा है, सोनहत विकासखण्ड के अधिकांश वन भूमि पर लोग लंबे समय से काबिज हैं लेकिन विभाग की कार्यवाही सिर्फ गरीबों के आशियाने पर ही हुई,क्या सत्ता धारी दल के लोगो पर विभाग का नियम कानून काम नही करता,क्या सत्ता धारी दल के लोगो द्वारा वन भूमि पर किये गए अवैध कब्जे कार्यवाही के नाम पर विभाग का बुलडोजर पंचर हो जाता है? इस तरह के सवाल क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

भारी बरसात भाजपा सरकार तोड़ रही गरीबो का घर:गुलाब कमरो
भरतपुर सोनहत विधानसभा के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने वन विभाग और सरकार पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि,कांग्रेस सरकार में गरीबो को वन भूमि का पट्टा मिलता था वही भाजपा सरकार गरीबो का घर तोड़ने पर आतुर है, बरसात में जिसका घर टूटेगा वो कहाँ जाएगा इस बात से सरकार को और वन विभाग को कोई सरोकार नही है, मानवता नाम की भी कोई चीज होती है लेकिन विभाग स्वामी भक्ति में सब कुछ भूल गया है, कमरो ने कहा कि भाजपा के नेता कहते हैं हमने बनाया है हम ही संवारेंगे लेकिन यहां स्थिति कांग्रेस ने बनाया था हम उजाड़ेंगे वाली हो गई है। पूर्व विधायक कमरो ने कहा विधानसभा क्षेत्र में चेहरा देख कर सिर्फ गरीबों के ऊपर कार्यवाही की जा रही है, लेकिन जो बड़े लोग जो पहुच वाले हैं वहां कार्यवाही करने में विभाग के हाथ पैर फूल रहे हैं ,पूर्व विधायक ने वन विभाग को चेतावनी देते हुए कहा कि विभाग गरीबों, पिछड़े और आदिवासियों जो लंबे समय से काबिज है उन पर कार्यवाही करना बंद करे और जो तत्काल के काबिज है उन्हें बरसात तक दूसरी व्यवस्था करने का समय दे अन्यथा विभाग के खिलाफ कड़ा विरोध प्रदर्शन होगा।