- 1945-46 में मंगला पनिका के पास जितने जमीन के प्लॉट थे वह अभी भी मौजूद है फिर एक जमीन के प्लॉट की संख्या कैसे बढ़ गई,इस जमीन को कब खरीदा किससे खरीदा?
- नकल शाखा से नकल मांगने पर भू-अभिलेख शाखा भी लिख कर दे रहा है कि नहीं है नक्शा और कई महत्वपूर्ण सालों के रिकॉर्ड
- क्या जिले का नक्शा गुम होने से जिले की सही सरहद सहित तथा लोगों के जमीन का नक्शा नहीं मिलेगा?
-रवि सिंह-
कोरिया,29 जून 2025 (घटती-घटना)। जब से जमीन खरीदी बिक्री का व्यापार बढ़ा है तब से भू माफिया सक्रिय हुए और भू माफियाओं की वजह से शासकीय जमीन से लेकर लोगों की निजी जमीन तक लूटी जा रही है, और इस जमीन लूटपाट के मामले में जहां से किसी भू स्वामी को अपनी जमीन की जानकारी मिलती है उस कार्यालय से पूरे जिले का नक्शा गुम हो जाना फाइलों से जानकारी न मिलना इस बात का बड़ा उदाहरण है कि यह विभाग भी भू माफिया के साथ है,सूत्रों से जानकारी मिली है कि जिले का वास्तविक नक्शा ही जिले के भू अभिलेख शाखा में नहीं है यानी की किसी के भी जमीन का सही नक्शा अब प्रशासन के पास भी नहीं है जिस कारण जमीन के मामले में विवाद उत्पन्न हो रहे हैं और प्रकरण बढ़ते जा रहे हैं और दस्तावेज न होने की वजह से प्रकरण का निपटारा भी नहीं हो पा रहा है फिर भी इस मामले को लेकर राजस्व विभाग गंभीर नहीं है आखिर नक्शा कैसे गुम हुआ इस बात की आज तक जांच नहीं हो पा रही है कोई भी व्यक्ति यदि नक्शे का नकल मांगने जाता है तो यह कह दिया जाता है या फिर उसके नकल आवेदन पर लिख दिया जाता है कि यह उपलब्ध नहीं है क्या प्रशासन का यह लिखना गैर जिम्मेदारना नहीं है? जिले के पास अपना खुद का नक्शा नहीं होने से आखिर प्रशासन अपने सीमांकन को कैसे समझेगी आखिर जमीनों के नक्शे सही तरीके से कैसे मिलेंगे जमीन के मामले में जितनी त्रुटियां बढ़ रही हैं धांधलियां हो रही हैं इन सबके पीछे दस्तावेज न होना महत्वपूर्ण कारण बताया जा रहा है एक ऐसा ही मामला अभी सामने आया है जिसमें दस्तावेज में त्रुटि को लेकर शिकायत की गई है। शिकायतकर्ता द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 1944-45 के रिकॉर्ड में एक जमीन रजवार समाज के एक व्यक्ति मंगलसाय रजवार के नाम पर भू अभिलेखों में दर्ज रहती है वह जमीन अचानक 1954-55 के रिकॉर्ड में मंगला पनिका के नाम कैसे हो जाती है? वहीं मंगला के परिवार का कहना है कि यह जमीन उनकी पुश्तैनी जमीन है यदि वह जमीन उनकी पुस्तैनी थी तो फिर जाती का नाम कैसे बदल गया भू अभिलेखों में? मामला फिलहाल न्यायालय में चल रहा है और वर्तमान में जमीन जिसके नाम पर है जिसका कब्जा है वह मामले को लेकर न्याय की मांग कर रहा है और उसका कहना है कि उसके पूर्वजों ने जमीन खरीदी और बाकायदा उनका कब्जा भी जमीन पर बना रहा,जमीन का डायवर्सन भी हुआ और निर्माण कार्य भी उन्होंने आरम्भ किया लेकिन निर्माण कार्य जारी होते ही अब जमीन पर अन्य का दावा सामने है जिससे वह परेशान है, जो जानकारी वर्तमान काबिज व्यक्ति ने दी उसके अनुसार जमीन पूर्व में मंगलसाय रजवार के नाम थी जो बाद में मंगला पनिका की राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नजर आ रही है और ऐसा केवल मिलते जुलते नाम का और राजस्व रिकॉर्ड में क्रम का लाभ लेकर कूट रचना की गई है जो समझ में आती है।
नक्शा न होने व रिकार्ड न मिलने की शिकायत कई बार हुई पर किसी ने खोजने का नहीं किया प्रयास न ही कैसे गुमा इसका पता करने का हुआ प्रयास
नक्शा गायब है और रिकॉर्ड गायब है यह लिखकर देना आजकल कोरिया जिले के भू-अभिलेख शाखा द्वारा एक परंपरा बन गई है, नक्शा कहां मिलेगा कैसे जिले का राजस्व रिकॉर्ड मिल सकेगा इसकी चिंता किसी को नहीं है,क्या बिना नक्शा और रिकॉर्ड के ही भूअभिलेख शाखा काम करेगा।
भू माफियाओं के दुष्ट दृष्टि की वजह से तहसील कमिश्नर राजस्व मंडल से जीत चुके केस,फिर भी भटक रहे न्याय के लिए
सुरेशचंद बड़ेरिया पिता स्वर्गीय जगदीश चंद बड़ेरिया बैकुंठपुर निवासी का यह मामला है जिसमें वह कई न्यायालयों से केस जीत चुके हैं लेकिन अभी भी वह न्यायालय के ही चक्कर काट रहे हैं,उनका आरोप है कि भूमाफियाओं की कुदृष्टि ही उन्हें परेशान कर रही है लंबे समय से,उनका ही आरोप है कि उनकी अपनी ज़मीन आज विवादों में है और वह लगातार न्यायालय के चक्कर काट रहे हैं,मंगलसाय रजवार मंगला पनिका कैसे हुआ राजस्व रिकार्ड में यह उनकी तलाश कब पूरी होगी वह जानना चाहते हैं,यह खबर उन्हीं के दिए कथन कर आधारित है और इसके लिए जांच और कार्यवाही सहित न्याय की मांग सुरेशचंद कर रहे हैं।
जिले का नक्शा गुम होना और कई कलेक्टरों का आना-जाना हो गया पर किसी ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया क्यों?
कोरिया जिले के भू-अभिलेख शाखा से नक्शा और रिकॉर्ड गायब हो गया है,यह आज की ही बात नहीं है यह बात अब पुरानी हो चुकी है और लगभग इस दौरान जिले में कई कलेक्टरों का आना जाना भी हो चुका है लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है,सभी ने मामले से अनभिज्ञ ही खुद को साबित किया है, यदि जिले के कलेक्टरों ने गंभीरता दिखाई होती नक्शा मामले और अभिलेख मामले में कोई न कोई सफलता अवश्य मिलती, इस मामले में जिला कलेक्टर के ध्यान दिए बिना हल नहीं निकलने वाला और किसी न किसी को ध्यान देना ही होगा।
क्या नक्शे का गुमना भू माफियाओं के लिए सोने पर सुहागा जैसे?
जिले के भू-अभिलेख शाखा से जिले का राजस्व नक्शा गायब होना काफी हैरानी वाली घटना है,नक्शा गुम होने के बाद जमीन विवादों में भी इजाफा हुआ है और कई मामलों में भूमाफियाओं का नाम सामने आ रहा है,क्या नक्शा गुम होना भू माफियाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है इनके लिए सोने पर सुहागा जैसे है।
आखिर राजस्व विभाग से नजूल भूमि का नक्शा कैसे हुआ गायब, क्या इसकी होगी जांच,क्या वास्तविक नक्शा फिर से मिलेगा?
भू-अभिलेख शाखा द्वारा आजकल लगातार कई मामलों में नकल निकालने के दौरान आवेदक को यह लिखकर दे दिया जा रहा है कि नकल के लिए आवेदन में जिस भूमि का नक्शा मांगा गया है वह नक्शा उपलब्ध नहीं है मतलब गायब है,अब सवाल यह है कि नक्शा कैसे गायब हुआ और किसने गायब किया क्या इसकी जांच होगी,कई लोगों ने बताया कि नक्शा न मिलने की वजह से वह भूमि संबधी अपने विवाद में या बंटवारे में अंतिम परिणाम नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं।वैसे वास्तविक नक्शा कहां है या वह पुनः मिल सकेगा कि नहीं यह भी राजस्व विभाग के भूअभिलेख शाखा को बतलाना चाहिए,भू अभिलेखों से छेड़छाड़ भले ही आम बात थी जिले का भूअभिलेख शाखा ही यदि दस्तावेजों के गायब होने की बात करेगा उसके औचित्य और उसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह वाली स्थिति होगी।
राजस्व अभिलेख कार्यालय कैसे हुआ मजबूर,उसे क्यों लिख कर देना पड़ रहा है कि नहीं है उसके पास रिकॉर्ड आखिर नहीं है तो रिकॉर्ड गए कहां…उक्त जमीन मामले में?
सुरेशचंद्र बड़ेरिया पिता स्वर्गीय जगदीश चंद्र बड़ेरिया के भूमि सम्बन्धी विवाद मामले मे भू अभिलेख शाखा द्वारा स्पष्ट रूप से लिखकर दिया जा चुका है कि उनके पास जिस जमीन का नक्शा मांगा जा रहा है वह उपलब्ध नहीं है। भू-अभिलेख शाखा क्यों मजबूर है ऐसा लिखकर देने के लिए यह भी एक सवाल है,रिकॉर्ड नहीं होने की बात भू अभिलेख शाखा कर रहा है और जबकि बिना अभिलेखों के कोई निराकरण जमीन संबधी मामले में नहीं हो सकता तो फिर कैसे होगा मामले का निपटारा,क्या अभिलेखों का नहीं होना किसी को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से एक बहाना बनाया जा रहा है भू अभिलेख शाखा द्वारा।रिकॉर्ड नहीं हैं यदि शाखा में तो गए कहां कैसे मिल सकेंगे अभिलेख यह सवाल खड़ा होता है।
क्या भू माफिया फोटो कॉपी करवाने के बहाने रिकॉर्ड ले जाते थे बाहर और राजस्व रिकॉर्ड के साथ कर देते थे छेड़खानी?
वैसे भूअभिलेख शाखा से राजस्व रिकॉर्ड का गायब होना और ऐसा लिखकर देना आम बात हो गई है और कई मामलों में यह बात सामने आई है कि भूअभिलेख शाखा ने यह लिखकर दिया है कि नक्शा गायब है रिकॉर्ड गायब है। अब क्या रिकॉर्ड भू माफियाओं ने गायब किया है?वैसे आम लोगों की माने तो एक समय जिले में ऐसा था जब रिकॉर्ड की फोटोकॉपी के लिए राजस्व रिकॉर्ड शाखा से बाहर ले जाए जाते थे जो काम भू माफिया करते थे,क्या भू माफियाओं ने ही राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की है क्या उन्होंने ही गायब किया है रिकॉर्ड,अब बताने वाले तो यही बता रहे हैं कि मौका मिलते ही रिकॉर्ड गायब करने का खेल भू माफियाओं ने ही खेला है और अब वह इसका फायदा भी उठा रहे हैं और जगह जगह उत्पन्न हो रहा जमीन विवाद उन्हीं भूमाफियाओं द्वारा खड़ा किया जा रहा है क्योंकि वह जानते हैं कि कहां का रिकॉर्ड उन्होंने गायब किया है।
कुछ महत्वपूर्ण सवाल…
सवाल: भू-अभिलेख के पन्नों में छेड़खानी की बात भी सामने आ रही है?
सवाल: क्या भू-माफिया राजस्व अभिलेख से जिले का राजस्व नक्शा व नजूल नक्शा उड़ा ले गए हैं?
सवाल: क्या राजस्व अभिलेख से कई दस्तावेज गायब है और कुछ में छेड़खानी हो गई है?
सवाल: कोरिया जिले का नक्शा भू-अभिलेख शाखा में मौजूद नहीं है फिर बिना नक्शे के कैसे हो रहा है काम?
सवाल: बिना नक्शे के जिले का अस्तित्व कहीं खतरे में तो नहीं,नक्शा गुम होने के पीछे क्या किसी भूमिया का हाथ?