- डोमरु रेड्डी चिरमिरी से बाहर डॉ विनय जायसवाल डॉ चरण दास के बंगले के चक्कर लगाने में व्यस्त,
- जिनके शासनकाल में मजदूरों को नहीं मिलता था वेतन वही आज भाजपा सरकार के 6 महीने वाले निगम सरकार का विरोध करते दिखे,
- चिरमिरी के कार्यक्रम में गुलाब कमरो एवं जिलाध्यक्ष संभाला मोर्चा
-रवि सिंह-
एमसीबी,27 जून 2025 (घटती-घटना)। राजनीति भी गजब की चीज है और आज की राजनीति तो और भी गजब है आज की राजनीति को सिर्फ उल्लू सीधा करने वाला राजनीति ही कहा जा सकता है क्योंकि आज की राजनीति में सब अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करने व अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं किसी को किसी की फिक्र नहीं है सिर्फ किसी को फिक्र है तो अपने आपकी और अपने आपको ऊपर ले जाने की यह बात इस समय एमसीबी जिले के लिए बिल्कुल ही सटीक बैठती है क्योंकि इस जिले के इकलौते नगर निगम चिरमिरी में भाजपा की सरकार है यह सरकार अभी 4 महीने पहले ही बनी है और यहां पर ट्रिपल इंजन की सरकार बनी है ऐसा कहा जाता है क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार राज्य में भाजपा की सरकार और चिरमिरी में भी नगर निगम में भाजपा की सरकार है पर तीनों जगह में भाजपा की सरकार होने की वजह से जहां चिरमिरी को एक अलग ही मुकाम पर जाना था जो अलग मुकाम पर ना जाकर भ्रष्टाचार के मुकाम पर मुड़ता जा रहा है मुड़ चुका है और उसका पर्दाफाश भी भाजपा के लोग ही कर रहे हैं यह अब सोशल मीडिया में देखने को भी मिल रहा है पर भाजपा की 4 महीने की सरकार में जो विरोध भाजपा के अंदर दिख रहा है वह तो ठीक है पर वर्तमान भाजपा की सरकार को भ्रष्टाचार गिनाने का प्रयास वह विपक्षी दल कर रही है जिनके कार्यकाल में मजदूर वेतन के लिए तरसते थे और आज भाजपा के 6 महीने की सरकार में भी वह वेतन के लिए तरस रहे हैं और उनकी तरस को देखकर कांग्रेस के अंदर हमदर्दी जाग गई और आंदोलन करने निगम कार्यालय के सामने पहुंच गए पर इस विरोध प्रदर्शन में कुछ ऐसा देखने को मिला जो शायद किसी ने नहीं देखा होगा यह विरोध कार्यक्रम कांग्रेस का था कांग्रेस के लोगों ने चिरमिरी के विकास व निगम के कर्मचारियों को वेतन दिलाने सहित कई मांगों को लेकर चिरमिरी नगर निगम कार्यालय के सामने धरना दिया, धरने देने वाले अधिकांश लोग चिरमिरी से बाहर के नजर आए खासकर एमसीबी,खड़गवां मनेंद्रगढ़ के लोग देखने को मिले इसमें एक चीज और देखने को मिली वह थी कि चिरमिरी क्षेत्र से दो दावेदार हमेशा अपने आप को विधायक बनाने या बनने के प्रयास में रहते हैं एक तो पूर्व विधायक डॉ विनय जायसवाल जो एक बार फिर 2028 में विधायक बनने का ख्वाब लेकर चल रहे हैं दूसरी तरफ के डोमरु रेड्डी वह भी 2028 में विधायक प्रत्याशी के रेस में कांग्रेस में शामिल है पर यह दोनों चेहरे वहां के विरोध में देखने को नहीं मिले एक व्यक्ति चिरमिरी से बाहर था तो दूसरे पूर्व विधायक अपने वरिष्ठ नेता के चापलूसी में रायपुर में व्यस्त है उनके बंगले के आसपास वह दिखने को मिले पर चिरमिरी के विरोध प्रदर्शन में उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं हुई भले ही उन्होंने लोगों को यह कह दिया कि उनके घर में किसी का निधन हो गया था इस वजह से वह नहीं आ पाए पर निधन वाली सूचना देकर भी बाद में वह रायपुर में सिर्फ नेताओं के बंगले पर घूम सकते थे पर अपने चिरमिरी की जनता की विरोध प्रदर्शन में वह शामिल होना उचित नहीं समझा जिस बात की चर्चा भी सुनने में आम है अब यह क्यों हो रहा है कैसे हो रहा है यह तो आने वाला समय बताएगा पर जो जनचर्चा है उसमें लोगों का कहना यही है की यहां पर मैच फिक्स है यानी की मैच फिक्सिंग हो चुकी है यहां पर जो हो रहा है वह दिखाने के लिए कुछ है और करने के लिए कुछ और,पूर्व विधायक इस क्षेत्र से विधायक थे पर क्षेत्र की समस्या से इन्हें कोई लेना-देना नहीं क्योंकि अब यह विरोध जता के या विरोध करके विधायक नहीं बनेंगे यह चापलूसी करके पैर छू के माफी मांग के फिर से मौका मांगेंगे।
कांग्रेस के इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में एसईसीएल के कई ऐसे कर्मचारी शामिल हुए जिन्हें शामिल नहीं होना चाहिए था…
सरकारी कर्मचारी राजनीतिक पार्टियों का बैनर पोस्टर नहीं लगा सकते हैं और न ही वे राजनीति के प्रचार-प्रसार में जाकर सम्मिलित हो सकते हैं। यह बात सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में कही गई है, जिनमें सरकारी कर्मचारियों की निष्पक्षता और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर रोक लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि सरकारी कर्मचारी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते हैं और न ही वे राजनीतिक पार्टियों का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों को अपनी निष्पक्षता और निष्ठा बनाए रखनी होती है, और राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से उनकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग सकता है। धारा 21 के संदर्भ में,यह आमतौर पर सरकारी सेवकों के आचरण से संबंधित नियमों और विनियमों को संदर्भित करती है। इन नियमों के अनुसार, सरकारी सेवकों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने से बचना चाहिए और अपनी निष्पक्षता बनाए रखनी चाहिए। इस प्रकार, सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक पार्टियों का बैनर पोस्टर लगाने और राजनीति के प्रचार-प्रसार में शामिल होने से बचना चाहिए लेकिन कांग्रेस के इस सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में एसईसीएल के कई ऐसे कर्मचारी शामिल हुए जो लोक सेवक की श्रेणी में आते है लिहाजा एसईसीएल के कर्मचारियों ने कोर्ट के निर्णय का और धारा 21 का उल्लंघन किया है। माना जा रहा है उक्त विरोध प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों की शिकायत किए जाने पर एसईसीएल उन कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है।
कांग्रेस ने किया निगम कार्यालय का घेराव,घेराव में पूर्व विधायक, दोनों पूर्व कांग्रेसी महापौर रहे नदारद
कांग्रेस ने नगर निगम चिरमिरी का घेराव किया और पानी आपूर्ति,जलभराव की स्थिति से निपटने तैयारी साथ ही प्लेसमेंट कर्मियों के बकाया वेतन भुगतान की मांग की,भ्रष्टाचार का मामला ज्ञापन में नजर नहीं आया वैसे कांग्रेस के निगम घेराव कार्यक्रम में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाला मामला यह रहा कि पूर्व विधायक पूर्व दोनों कांग्रेसी महापौर इस दौरान नदारद रहे। घेराव का जिम्मा जिलाध्यक्ष सहित पूर्व विधायक भरतपुर सोनहत ने संभाला, पूर्व विधायक जो महापौर पद के प्रत्याशी भी थे के साथ उनकी धर्मपत्नी एवं अन्य एक पूर्व महापौर की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही,क्या केवल टिकट के लिए सत्ता के लिए यह लोग सामने आते हैं विरोध के समय यह पीछे हट जाते हैं यह भी सवाल खड़ा होता है। पूर्व विधायक दो कांग्रेसी पूर्व महापौर घेराव कार्यक्रम से पार्टी के दूर रहे इसे उन ठेकेदारों और निगम में जारी भ्रष्टाचार से भी जोड़ कर देखा जा रहा है और चर्चा की अपनी पोल न खुले इसलिए इन्होंने पूर्व विधायक भरतपुर सोनहत को आगे किया और जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में आंदोलन सफल हुआ।
इन मुद्दों को लेकर था काग्रेंस का प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के निगम में कार्यरत प्लेसमेंट कर्मचारियों को पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं मिला है। निगम के अधिकांश वार्डों में पानी की आपूर्ति बाधित है। कांग्रेस ने मंगलवार को निगम कार्यालय का घेराव किया था। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़कर मेन गेट तक पहुंचते हुए जमकर नारेबाजी की। इस एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में पूर्व 6 विधायक गुलाब कमरो,कांग्रेस जिलाध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव,जिला पंचायत उपाध्यक्ष राजेश साहू सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे कार्यक्रम भी अच्छा रहा,लेकिन उक्त कार्यक्रम के बाद बहुत से सवाल भी उठे जिनके जवाब क्षेत्र की जनता ढूंढ रही हैं, सबसे अहम सवाल की पूर्व विधायक एवं आगामी चुनाव में खुद को सम्भावित प्रत्यासी मान चुके डॉ विनय जायसवाल कार्यक्रम में दिखाई नही दिए।
चिरमिरी में घेराव के वक्त विनय जायसवाल नेताप्रतिपक्ष के बंगले में
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिस समय चिरमिरी नगर निगम कार्यालय का घेराव कार्यक्रम चल रहा था पूर्व विधायक विनय जायसवाल उस वक्त नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत के बंगले में मौजूद रहे, ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉ विनय जायसवाल कांग्रेस पार्टी और संगठन के प्रति कितने जिम्मेदार है , क्या ऐसे में पुनः उन्हें पार्टी मौका देगी? यह सवाल अहम होता जा रहा है, कुछ इसी तरह का हाल दूसरे नम्बर के दावेदार डमरू रेडडी का भी दिखा हलकी सुत्र बताते हैं कि डमरू रेड्डी इस समय प्रदेश से बाहर हैं।
पूर्व विधायक गुलाब कमरो सहित दूसरे विधानसभा के लोगो ने संभाला मोर्चा
घेराव कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष के साथ पूर्व विधायक गुलाब कमरो,राजेश साहू सहित उनकी टीम ने मोर्चा संभाला पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, मनेंद्रगढ़ के विधायक और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी मंचों से यह दावा करते हैं कि विकास कार्यों के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। लेकिन आज नगर निगम में कार्यरत प्लेसमेंट कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। जिससे उन्हें जीविका चलाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि, नगर निगम चिरमिरी के 40 में से अधिकांश वार्डों में पीने के पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। जिससे लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। उन्होंने सरकार पर कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि, जनता परेशान है और सरकार में बैठे लोग अपने हित साधने में लगे हैं।
क्या अविभाजित कोरिया में सिर्फ एक ही पूर्व विधायक सक्रिय?
कांग्रेस की सरकार में अविभाजित कोरिया में तीनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक थे वर्तमान में तीनों विपक्ष की भूमिका में हैं लेकिन स्थिति यह है कि तीन में से सिर्फ एक ही पूर्व विधायक विपक्ष की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं, बाकी के 2 पूर्व विधायकों फिलहाल संगठन के कार्यक्रमों में दिखाई नही दे रहे हैं। ऐसे में पुनः सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस में विधायक सिर्फ सरकार रहने पर दिखाई देते हैं विपक्ष के समय संगठन को सामने आना पड़ता है, क्या कांग्रेस के पूर्व विधायक संगठन का कार्य छोड़ अपनी आगामी चुनाव के टिकट की जोर आजमाइश में जुट गए हैं?
कांग्रेस ने किया निगम कार्यालय का घेराव,घेराव में पूर्व विधायक, दोनों पूर्व कांग्रेसी महापौर रहे नदारद
कांग्रेस ने नगर निगम चिरमिरी का घेराव किया और पानी आपूर्ति, जलभराव की स्थिति से निपटने तैयारी साथ ही प्लेसमेंट कर्मियों के बकाया वेतन भुगतान की मांग की, भ्रष्टाचार का मामला ज्ञापन में नजर नहीं आया वैसे कांग्रेस के निगम घेराव कार्यक्रम में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाला मामला यह रहा कि पूर्व विधायक पूर्व दोनों कांग्रेसी महापौर इस दौरान नदारद रहे। घेराव का जिम्मा जिलाध्यक्ष सहित पूर्व विधायक भरतपुर सोनहत ने संभाला, पूर्व विधायक जो महापौर पद के प्रत्याशी भी थे के साथ उनकी धर्मपत्नी एवं अन्य एक पूर्व महापौर की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही,क्या केवल टिकट के लिए सत्ता के लिए यह लोग सामने आते हैं विरोध के समय यह पीछे हट जाते हैं यह भी सवाल खड़ा होता है। पूर्व विधायक दो कांग्रेसी पूर्व महापौर घेराव कार्यक्रम से पार्टी के दूर रहे इसे उन ठेकेदारों और निगम में जारी भ्रष्टाचार से भी जोड़ कर देखा जा रहा है और चर्चा की अपनी पोल न खुले इसलिए इन्होंने पूर्व विधायक भरतपुर सोनहत को आगे किया और जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में आंदोलन सफल हुआ।
इन मुद्दों को लेकर था काग्रेंस का प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के निगम में कार्यरत प्लेसमेंट कर्मचारियों को पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं मिला है। निगम के अधिकांश वार्डों में पानी की आपूर्ति बाधित है। कांग्रेस ने मंगलवार को निगम कार्यालय का घेराव किया था। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़कर मेन गेट तक पहुंचते हुए जमकर नारेबाजी की। इस एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में पूर्व 6 विधायक गुलाब कमरो,कांग्रेस जिलाध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव,जिला पंचायत उपाध्यक्ष राजेश साहू सहित बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे कार्यक्रम भी अच्छा रहा,लेकिन उक्त कार्यक्रम के बाद बहुत से सवाल भी उठे जिनके जवाब क्षेत्र की जनता ढूंढ रही हैं, सबसे अहम सवाल की पूर्व विधायक एवं आगामी चुनाव में खुद को सम्भावित प्रत्यासी मान चुके डॉ विनय जायसवाल कार्यक्रम में दिखाई नही दिए।
चिरमिरी में घेराव के वक्त विनय जायसवाल नेताप्रतिपक्ष के बंगले में
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जिस समय चिरमिरी नगर निगम कार्यालय का घेराव कार्यक्रम चल रहा था पूर्व विधायक विनय जायसवाल उस वक्त नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत के बंगले में मौजूद रहे, ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि डॉ विनय जायसवाल कांग्रेस पार्टी और संगठन के प्रति कितने जिम्मेदार है , क्या ऐसे में पुनः उन्हें पार्टी मौका देगी? यह सवाल अहम होता जा रहा है, कुछ इसी तरह का हाल दूसरे नम्बर के दावेदार डमरू रेडडी का भी दिखा हलकी सुत्र बताते हैं कि डमरू रेड्डी इस समय प्रदेश से बाहर हैं।
पूर्व विधायक गुलाब कमरो सहित दूसरे विधानसभा के लोगो ने संभाला मोर्चा
घेराव कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष के साथ पूर्व विधायक गुलाब कमरो,राजेश साहू सहित उनकी टीम ने मोर्चा संभाला पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, मनेंद्रगढ़ के विधायक और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी मंचों से यह दावा करते हैं कि विकास कार्यों के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। लेकिन आज नगर निगम में कार्यरत प्लेसमेंट कर्मचारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। जिससे उन्हें जीविका चलाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि, नगर निगम चिरमिरी के 40 में से अधिकांश वार्डों में पीने के पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। जिससे लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। उन्होंने सरकार पर कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि, जनता परेशान है और सरकार में बैठे लोग अपने हित साधने में लगे हैं।
क्या अविभाजित कोरिया में सिर्फ एक ही पूर्व विधायक सक्रिय?
कांग्रेस की सरकार में अविभाजित कोरिया में तीनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक थे वर्तमान में तीनों विपक्ष की भूमिका में हैं लेकिन स्थिति यह है कि तीन में से सिर्फ एक ही पूर्व विधायक विपक्ष की भूमिका में दिखाई दे रहे हैं, बाकी के 2 पूर्व विधायकों फिलहाल संगठन के कार्यक्रमों में दिखाई नही दे रहे हैं। ऐसे में पुनः सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस में विधायक सिर्फ सरकार रहने पर दिखाई देते हैं विपक्ष के समय संगठन को सामने आना पड़ता है, क्या कांग्रेस के पूर्व विधायक संगठन का कार्य छोड़ अपनी आगामी चुनाव के टिकट की जोर आजमाइश में जुट गए हैं?माइश में जुट गए हैं?
क्यों होती है बंटी-बबली की चर्चा?
चिरमिरी का दुर्भाग्य कहे या कुछ और बीते 05 साल स्थानीय सरकार चलाने का जिम्मा जिनके कंधों पर रहा उन्हें लोगों ने बंटी बबली का नाम दिया। दरअसल इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह रही कि विधानसभा की लाठी हो या निगम की चाभी, दोनों एक ही मकान के पते से निकलती थी,विधायक के क्षेत्र में महापौर की खुशी और महापौर के क्षेत्र में विधायक का स्टंट चिरमिरी ने खूब देखा,पायलट प्रोजेक्ट की तरह चिरमिरी पहुंचे,05 साल लाठी चलाई, एक ने चाभी घुमाई और फिर चलते बने, इस तरह से बीता 05 साल और उन्हीं के कर्मों को छिपाने के लिए पूरा षडयंत्र रचा गया,लेकिन आप पाएंगे कि इस चर्चित नाम की परछाई भी विरोध कार्यक्रम में नहीं दिखाई दी, यानि जिसने भी सत्ता का स्वाद चखा वे सभी कांग्रेसी नदारत रहे और जिलासंगठन के मुखिया यह सोचकर खुश हो रहे कि पहली बार उनके निमंत्रण में इतने लोग शहर के नेता कम से कम इन विपरीत समय में तो साथ आए, फिलहाल बंटी बबली का नामकरण किसने किया ये तो अज्ञात है ठीक उसी तरह जिस तरह कांग्रेसी बीते 05 साल जयचंद को खोजती रही किंतु बता नहीं पाई कि उनके पार्टी में जयचंद कौन है?
विपक्ष की नेता रही नदारत
कांग्रेसियों द्वारा आयोजित सांकेतिक विरोध प्रदर्शन में पिछले 20 सालों से लगातार निगम में सभापति और प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने वाली नेत्री खुद को विरोध प्रदर्शन से दूरी बनाए रही। बताया गया कि जिस जल संकट की समस्या को लेकर कांग्रेस विरोध जताने में लगी थी उसी कांग्रेसी नेत्री,पार्षद के वार्ड में पेयजल आपूर्ति के लिए करोड़ों का काम चल रहा है ऐसे में प्रतिपक्ष की नेत्री कैसे उसी विषय को लेकर विरोध जता सकती थी लिहाजा उन्होंने साजिश के तहत होने वाले विरोध प्रदर्शन से दूरी बनाकर रखी,हालांकि कांग्रेस के नेता खुद पर लगे दाग को छिपाने तथा महिला प्रतिपक्ष नेत्री की गैरमौजूदगी को कुछ और ही बहाना बताकर पल्ला झाड़ते नजर आए। चिरमिरी नगर पालिक निगम के सबसे चहेते महापौर में एक के0 डोमरू रेड्डी का नाम शामिल होता है जिन्हें चिरमिरी की जनता ने निर्दलीय चुनकर शहर सरकार में बैठाया था, के. डोमरू रेड्डी एक ऐसे नेता रहे है जो पूर्ववर्ती शहर सरकार के विरोध में अपने ही पार्टी के महापौर और विधायक पर कई गंभीर आरोप लगाते रहे, उन्होंने तो तत्कालीन महापौर पर कमीशनखोरी और विधायक पर अवैध कार्यों में कबाड़, कोयला, कई घोटालों की फेयरिस्ट बाकायदा शिकायत के रूप में कलेक्टर और कांग्रेस के बड़े नेताओं को प्रेषित किए थे, वे भी कार्यक्रम से दूर रहे यानि संगठन के चाहने के बाबजूद भी भाजपा शहर सरकार के विकासमोत्मक सफर में खुद को सम्मलित किए, गरीब का बेटा साजिश की राजनीति से दूर होकर शहर का विकास चुना, यही शहर और शहर के एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि का धर्म और कर्तव्य भी है जिसे पूर्व महापौर के. डोमरू ने सहस्त्र स्वीकार किया, जिसे कांग्रेसी और कोई नाम जरूर देंगे।
मामले से जुड़े कुछ सवाल
सवाल: क्या कारण रहा कि पूर्व के तीनों महापौर,पूर्व सभापति और वर्तमान में प्रतिपक्ष की नेता विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम से रही नदारत?
सवाल: बीते 05 साल जिस विधायक ने अपने ही पार्टी के सहयोगी मनेंद्रगढ़ विधानसभा विधायक के कामों में लगाते रहे अड़ंगा,वे अपना विधानसभा छोड़कर शहर सरकार के विरोध में चिरमिरी आए?
सवाल: कांग्रेस से पूर्व मनेंद्रगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष रही नेत्री पर उनके तत्कालीन कार्यकाल में मनेंद्रगढ़ शहर को गर्त में ले जाने के कई आरोप लगे हो,वे छोटे से नगर पालिका को तो संभाल नहीं पाई और विशाल नगर निगम में कमियां गिनाने विरोध प्रदर्शन में हुंकार भरती रही?
सवाल: पिछले सरकार में बैठे इनके ही विधायक, महापौर नहीं सुनते रहे और संगठन सत्ता कई फाड़ में नजर आता रहा वही अब सत्ता जाने के बाद उन्हीं नेताओं की वकालत करने की झूठी साजिश का हिस्सा बने?
सवाल: डॉ विनय जायसवाल कहाँ थे..क्या यह जानते हुए की कार्यक्रम होना है उन्होंने कार्यक्रम से दूरी बनाई?
सवाल: क्या पुर्व विधायक वर्तमान सरकार का विरोध करने से कतराने लगे है?
सवाल: क्या पूर्व विधायक संगठन के कार्यक्रम में नही जाना चाहते?