एसईसीएल प्रबंधन का एरिया पर्सनल ऑफिसर संदेह के घेरे में अनुशंसा के एवज में करवाते हैं खातिरदारी…
–रवि सिंह-
चिरिमिरी,26 जून 2025 (घटती-घटना)। दयानंद एंग्लो वैदिक पब्लिक (डी.ए.वी.) स्कूल के नाम पर संचालित चिरमिरी का विद्यालय इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है अध्यनरत बच्चों के जीवन और भविष्य दोनों से खिलवाड़ हो रहा है, स्कूल प्रबंधन अपनी मस्ती में मस्त है वही मजदुर अपने बच्चों के भविष्य संवारने की मनसा रखने वाले अभिभावक लाचारी और बेबस दिख रहे हैं,व्यवस्था को लेकर यदि अभिभावक प्रबंधन पर सवाल उठाते हैं तो प्रबंधन में बैठे मठाधीश उन्हें बच्चों को टीसी देने की सलाह देते हैं। वही जब डीएवी विद्यालय के प्रिंसिपल से इन सभी विषयों पर चर्चा की जाती है तो अपने मुंह से अपनी तारीफ और अपनी काबिलियत बखान करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं कहते हैं मैं तो कई बार अपने ऊपर के अधिकारियों से कहता हूं कि मुझे चिरमिरी से स्थानांतरण कर दिया जाए लेकिन मेरी कोई नहीं सुनता, यदि आप लोगों की पहुंचे हो तो मेरा ट्रांसफर करवा दीजिए मैं यहां काम नहीं करना चाहता…ऐसा बोलकर सामने वाले का मुंह बंद कर देते हैं और फिर उनके काली कमाई का सिलसिला शुरू हो जाता है एल.के.जी से लेकर कक्षा 6 वीं, कक्षा 9 वीं, कक्षा 11 में एडमिशन के साथ साथ विषय चयन आदि के रेट तय हैं, क्योंकि स्कूल एसईसीएल कंपनी के आर्थिक सहयोग से चलता है तो कंपनी की भी दखल होती है उसके महाप्रबंधक एवं एरिया पर्सनल ऑफिसर की अनुशंसा से विद्यार्थियों का चयन करने की प्रक्रिया है।
सेटिंग और टेबल के नीचे वाले डोनेसन से एडमिशन:सूत्र
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एरिया पर्सनल ऑफिसर 25 हजार से लेकर 40 हजार तक अभिभावकों से लेते हैं और फिर उनका एडमिशन के लिए अनुशंसा करते हैं, वही खबर यह भी है कि प्रमोद नामक क्लर्क है जो प्रिंसिपल साहब का दाहिना बताया जाता है,वही हल्दीबाड़ी निवास कर रहे एक म्यूजिक टीचर भी एडमिशन की सेटिंग करते हैं और मोटा पैसा देने वाला व्यक्ति तलाशते हैं बच्चों के टेस्ट परीक्षा के नाम पर विद्यार्थी और अभिभावक को बुलाते हैं विद्यार्थी को कमजोर बताकर एडमिशन मुश्किल है या फिर नहीं करने की बात करते हैं तो बेचारा गार्जियन चुकी चिरमिरी में उस स्तर का विद्यालय नहीं है उसका फायदा उठाकर गार्जियन उनके सौदेबाजी में आ जाता है और फिर वे जो कहते हैं गार्जियन उनके हिसाब से अपने बच्चों को एडमिशन कराने के लिए सब सौंप देता है। सवाल यह उत्पन्न होता है कि इस पूरे विद्यालय के रखरखाव सहित अन्य मेंटेनेंस कार्य के लिए एसईसीएल प्रबंधन पूरी प्रबंधकीय व्यवस्था संभालती है तो फिर प्राइवेट अध्यनरत छात्र एवं छात्राओं से ली जाने वाली फीस क्यों ली जाती है? फीस का पैसा प्राइवेट पर्सन से जो लिया जाता है उसमें ऊपर से लेकर नीचे तक खूब बंदर बांट होता है ऐसी खबर मिल रही है फर्जी बिल के सहारे पैसे के निकासी जोर-शोर से जारी है।
जो अधिक पैसा देता है उसे स्कुल का प्रिंसिपल बनाया जाता है?
डीएवी की मैनेजमेंट कमेटी में भी खूब भ्रष्टाचार है ऊपर से लेकर नीचे के लोग पैसे के दम पर अपनी पदोन्नति कर लेते हैं डीएवी में अभी कार्यरत प्रिंसिपल से भी सीनियर लोग मौजूद हैं पीजीडीसीए किए हुए लोग हैं उसके बाद भी ऊपर के लोग बाहरी लोगों को भेज कर अपनी मनमानी करवाते हैं और इसे वसूली करवाते हैं यही वजह है कि लंबे समय से उन विद्यालयों में कार्य कर रहे कई शिक्षक आज भी अपने प्रमोशन के लिए प्रबंधन की राह देख रहे हैं, ऊपर में बैठा मैनेजमेंट का बॉस प्रिंसिपल की कुर्सी के लिए बोली लगवाता है जो अधिक पैसा देता है उसे स्कुल का प्रिंसिपल बनाकर भेजा जाता है ऐसा आप स्थानीय शिक्षक लगाते रहे हैं। अभी भी एडमिशन में बड़ा गड़बड़ झाला चल रहा है आवेदन किए हुए लोगो का रोप है, अभिभावक व्याकुल है हर दिन और हर रात बस इस बात का इंतजार करते हैं कि कब स्कूल प्रबंधन से उनके लिए फोन आए, लेकिन उन्हें क्या पता है कि पर्दे के पीछे कुछ और चल रहा है, जो इनके पैमाने में फिट बैठेगी उन्हीं के बच्चों का एडमिशन होगा हर हफ्ते में एक लिस्ट निकल जाती है लोगों में अपने बच्चों के एडमिशन कराने को लेकर बड़ी व्याकुलता है लेकिन पैसा का लोग ही प्रबंधन इस दर्द को क्या जाने वे सिर्फ सौदेबाजी करने में और अपनी धाक जमाने में लगे रहते हैं।