बैकुंठपुर@जिन कांग्रेसियों की गद्दारी की वजह से शिवपुर चरचा में नगर पालिका मेंकांग्रेस की सरकार गिरी क्या उन्हें पूर्व विधायक कांग्रेस में शामिल करना चाह रहीं?

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-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,22 जून 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा की पूर्व कांग्रेस विधायक क्या जिले के शिवपुर चरचा नगर पालिका के उन कांग्रेसियों को पुनः कांग्रेस में प्रवेश दिलाने के प्रयास में हैं जिनकी गद्दारी की वजह से नगर पालिका शिवपुर चरचा में कांग्रेस की नगर सरकार गिरी थी, वैसे सूत्रों की माने तो पूर्व विधायक काफी सक्रिय हैं इस मामले में, हाल ही में एक तस्वीर सामने आई है जिसमें पूर्व विधायक उन कांग्रेसियों के साथ नजर आ रही हैं जो शिवपुर नगर पालिका में कांग्रेस की सरकार गिराने के दोषी हैं और वह उनके साथ बैठक करती नजर आ रही हैं उनके साथ उनकी मुलाकात हो रही है। अब इस तस्वीर और सूत्रों द्वारा दी रही जानकारी को यदि सही माने तो यह भी सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस से बैकुंठपुर की पूर्व विधायक रही अंबिका सिंहदेव भी क्या नगर पालिका शिवपुर चरचा की कांग्रेस सरकार गिराने के षड्यंत्र में शामिल थीं? वैसे सूत्रों के अनुसार अभी वह फिलहाल केवल इसी प्रयास में हैं कि किसी तरह भी उन कांग्रेसियों की घर वापसी हो जाए जो नगर सरकार कांग्रेस की गिराने में शामिल थे, वैसे पूर्व विधायक के दिमाग में चल क्या रहा है क्या वह अपने पुराने समर्थकों को दूर करते हुए अपने लिए नई फौज कार्यकर्ताओं की बनाने के जुगाड में लगी हुईं हैं और क्या इसीलिए वह कांग्रेस पार्टी की तरफ से नगर सरकार गिराने के दोषी गद्दारों को वह पार्टी की मुख्य धारा से जोड़ने की जुगत में हैं?
कांग्रेस पार्टी के जिला स्तर के कांग्रेसी दोबारा पूर्व विधायक के लिए नहीं होंगे एकजुट यह भी मानना है लोगों का
कोरिया जिले के कांग्रेसी कार्यकर्ता अब कभी पूर्व विधायक के लिए एकजुट नहीं होंगे यह भी कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी,जिले कांग्रेसियों की अंदर खाने चलने वाली चर्चा को सुनकर तो यही कहना होगा कि जिले के कांग्रेसी पूर्व विधायक को अब टिकट की दौड़ से बाहर ही देखना चाहते हैं,पूर्व विधायक के लिए कांग्रेसियों की इस विचारधारा के पीछे का कारण उनके व्यवहार को बताया जाता है,कांग्रेसियों का मानना है कि पूर्व विधायक कभी भी जिले के कांग्रेसियों के लिए सहानुभूति या अपनत्व नहीं रखती,सत्ता में रहते हुए भी वह अपनी तानशाही चलाती रहीं वहीं वह विपक्ष में रहते हुए पार्टी में भी अपना निर्णय थोपने का प्रयास करती हैं,उनका कार्यव्यवहार राजतंत्र वाला है कहीं से वह लोकतांत्रिक अपना रुख सामने नहीं रख पाती हैं कार्यकर्ताओं के सामने यह कांग्रेसियों का कहना है,कांग्रेसियों का ही कहना है कि आगे के लिए किसी भी हिसाब से विधानसभा चुनाव के लिए विकल्प नहीं हो सकती।
प्रथम चुनाव में साथ देने वाली टीम को कर चुकी हैं किनारे, हार का कारण भी वही रहे,अब फिर नई टीम बनाने की सूचना
पूर्व विधायक बैकुंठपुर प्रथम चुनाव में बैकुंठपुर के लोगों से अनभिज्ञ थीं और उन्हें लोगों के बीच ले जाने में उनसे परिचय कराने में कुछ कांग्रेसियों का ही सहयोग था जिसके कारण वह चुनाव जीत सकीं थीं,यदि वह कांग्रेस टीम पूर्व विधायक के साथ नहीं होती वह कतई चुनाव नहीं जीत पातीं,पहले वाली टीम को उन्होंने विधायक रहते हुए किनारे लगाना शुरू किया और चुनाव तक वह टीम कारगर संख्या में नहीं बची थी,हारने के बाद उन्होंने और छोटी की टीम और अन्य कई से किनारा किया, वैसे दूसरे चुनाव में पहले वाली उनकी टीम होती वह चुनाव नहीं हारती यह माना जाता है। पुरानी टीम पूर्व विधायक को प्रथम चुनाव जिताने काफी मदद की थी लेकिन बाद में चुनाव जीतते ही पूर्व विधायक केवल अपने निज सचिव तक ही सीमित रह गईं और चुनावी जमीन आगे के लिए उनकी खिसक गई और वह हार गईं।
सहानुभूति,सत्ता विरोधी लहर और कर्मठ कार्यकर्ताओं की जीत को अपनी जीत मानकर किया घमंड,अंत में राजनीतिक जमीन ही खिसक गई…
पूर्व विधायक पहले चुनाव में चुनाव जीत गईं,यह जीत उन्हें सहानुभूति जो स्व कुमार साहब के मृत्यु उपरांत उपजी सहानभूति थी से मिली,कुछ कर्मठ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अथक प्रयास किया और कुछ सत्ता विरोधी लहर का योगदान रहा और पूर्व विधायक चुनाव जीत सकी थीं,चुनाव जीतते ही पूर्व विधायक ने जीत को केवल अपनी जीत मान लिया और केवल खुद के निर्णय को ही थोपना शुरू किया,पांच साल पूरे होते होते पूर्व विधायक की राजनीतिक जमीन खिसक गई और वह चुनाव बुरी तरह हार गईं, यदि पूर्व विधायक ने संयम रखा होता वह आज विधायक होती और शायद उनकी सरकार भी होती, वैसे आगे वह कांग्रेस प्रत्याशी भी होंगी यह कम से कम कार्यकर्ता कांग्रेस के नहीं चाहते ऐसा सुनने में आता रहता है।
कांग्रेसियों को एकजुट करते हुए खुद को प्रत्याशी घोषित करा पाएंगी?
वैसे इस तरह की यदि सोच है विधायक की तो यह सोच कांग्रेस के लिए पूर्व विधायक के लिए 2028 के विधानसभा चुनाव के हिसाब से बैकुंठपुर विधानसभा के लिए तो कम से कम सही नहीं है,और यदि ऐसा ही चलता रहा तो 2028 का विधानसभा चुनाव भी बैकुंठपुर में कांग्रेस हार जाएगी,कांग्रेस बैकुंठपुर विधानसभा से 2028 के विधानसभा चुनाव में किसपर दांव लगाएगी यह भी बड़ा सवाल है क्या पूर्व विधायक बैकुंठपुर खुद पर दांव लगाने के लिए क्या पार्टी को मना ले जाएंगी क्या वह जिले के कांग्रेसियों को एकजुट करते हुए खुद को प्रत्याशी घोषित करा पाएंगी, पूर्व विधायक को लेकर यदि वर्तमान स्थिति का आंकलन किया जाए और उनके लिए बैकुंठपुर विधानसभा के परिणाम की आगामी समीक्षा की जाए तो यह समझ में आएगा कि उन्हें यदि 2028 के विधानसभा चुनाव में पार्टी से पुनः मौका मिला तो वह केवल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के रहमो करम पर मिल सकता है वह सर्वे सहित समीक्षा में कहीं नहीं ठहरती नजर आतीं कहीं उनकी जीत या उनकी दावेदारी पुख्ता नजर आती है, वैसे पूर्व विधायक का मामला विपक्ष में रहते हुए कुछ अलग भी समझ में आता है,पूर्व विधायक मंचों पर कहीं भी भाजपा पर आक्रामक नजर नहीं आ रही हैं और न ही वह माइक पकड़ती नजर आ रही हैं, वैसे क्या इन्हें भी ईडी सीबीआई का डर है या ऐसा कोई इनका भी बहाना बाद में सामने आयेगा यह भी देखने को मिलेगा।
जिन्होंने शिवपुर चरचा की नगर सरकार गिराई उन्हीं के साथ नजर आईं पूर्व कांग्रेस विधायक
जिन्होंने शिवपुर चरचा की नगर पालिका सरकार कांग्रेस की गिराई उन्हीं के साथ पूर्व विधायक बैकुंठपुर नजर आईं,बता दें कि शिवपुर चरचा नगर पालिका में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार थी जिसका नेतृत्व पूर्व कांग्रेस विधायक खेमे के ही सच्चे सिपाही माने जाने वाले भूपेन्द्र यादव के हांथ में थी और उन्हीं की नगर सरकार गिर गई दोष या गद्दार कांग्रेसी ही सामने से गद्दारी कर गए,भूपेंद्र यादव को पूर्व विधायक के नौ रत्न में से एक माना जाता था और वह ऐसा साबित भी करते थे,अब यदि पूर्व विधायक उन कांग्रेसियों के साथ खड़ी नजर आती हैं जो कांग्रेस के लिए दोषी हैं पूर्व विधायक के नौ रत्न में से एक के विरोधी हैं तब तो पूर्व विधायक को लेकर सवाल खड़े होंगे ही उनके विरुद्ध आवाज उठेगी ही,।
हर एक आवाज पर साथ देने वाले भूपेंद्र यादव के लिए काफी निराशाजनक निर्णय होगा यह यदि निष्कासित कांग्रेसियों की घर वापसी हुई…
भूपेंद्र यादव को कोरिया जिले में कौन नहीं जानता है, पूर्व विधायक के सबसे खास वही माने जाते थे,आज स्थिति यह है कि पूर्व विधायक उनके साथ बैठकें कर रही हैं जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से भूपेंद्र यादव के विरोधी बने और उनकी पत्नी के नेतृत्व वाली नगर सरकार को जिन्होंने गिरा दिया,यदि पूर्व विधायक की बैठक गद्दार कांग्रेसियों के साथ वाली सही मायने में उनकी घर वापसी के प्रयासों वाली बैठक है तो भूपेंद्र यादव लिए यह झटका देने वाली सूचना होगी,भूपेंद्र यादव निश्चित निराश होंगे हताश होंगे यदि गद्दार उन कांग्रेसियों की घर वापसी हुई जो नगर सरकार के गिरने के कारण बने थे।
पूर्व विधायक का विधानसभा बैकुंठपुर से अब चुनाव लड़ने का दावा हो चुका है कमजोर
बैकुंठपुर से विधायक रही कांग्रेस की पूर्व विधायक का पांच साल का पिछला कार्यकाल लोगों ने देखा,कार्यकाल देखने के बाद लोगों ने उन्हें हटाने का निर्णय लिया और इस तरह की हार उन्हें जनता दे दी कि वह एक ऐतिहासिक हार का उदाहरण बना,आज पूर्व विधायक का दोबारा प्रत्याशी बनने का मामला कमजोर पड़ चुका है वह किसी भी हालत में एक तरफा हार से खुद नहीं बचा सकतीं जैसा पिछले चुनाव में हुआ यह भी कहना गलत नहीं होगा,पूर्व विधायक का टिकट के लिए दावा पार्टी में बिलकुल कमजोर पड़ चुका है यह लोगों का भी मानना है।


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