रायपुर,15 जून 2025 (ए)। छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी शिक्षा सत्र के शुभारंभ के प्रतीक “शाला प्रवेश उत्सव” को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने शनिवार को अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट के माध्यम से यह जानकारी साझा करते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री ने लिखा कि प्रदेश में वर्तमान मौसम की परिस्थितियों, लगातार हो रही बारिश और कुछ क्षेत्रों में विद्यालयों की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है, जिससे बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा न हो और उत्सव का आयोजन सुरक्षित, प्रभावी और उत्साहपूर्ण रूप से किया जा सके।
शाला प्रवेश उत्सव की महत्ता
शाला प्रवेश उत्सव” छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में बच्चों का स्वागत करना, शिक्षा के प्रति सकारात्मक माहौल बनाना, नामांकन बढ़ाना और अभिभावकों को स्कूल से जोड़ना है। हर वर्ष यह उत्सव प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें जनप्रतिनिधि, अधिकारी, शिक्षक, अभिभावक और बच्चे शामिल होते हैं। इस उत्सव के दौरान बच्चों को पाठ्यपुस्तकें, गणवेश, मध्यान्ह भोजन, बैग और अन्य शैक्षणिक सामग्री वितरित की जाती है। इसके साथ ही नवप्रवेशी विद्यार्थियों को तिलक लगाकर, माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने जताई संवेदनशीलता
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा लिया गया यह निर्णय उनकी संवेदनशीलता और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सुविधा हमारे लिए सर्वोपरि है। प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण आवागमन बाधित हुआ है और स्कूल भवनों की स्थिति की समीक्षा की जा रही है। ऐसे में शाला प्रवेश उत्सव को स्थगित करना एक जिम्मेदार निर्णय है।
शिक्षा विभाग को दिए निर्देश
मुख्यमंत्री ने स्कूल शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वे आगामी सप्ताह के भीतर सभी जिलों में स्कूलों की स्थिति का आंकलन करें और यह सुनिश्चित करें कि कहीं भी विद्यार्थियों को असुविधा न हो। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में स्कूलों की सफाई, रंगाई-पुताई और अन्य व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। शिक्षा विभाग के सचिव और निदेशक को निर्देशित किया गया है कि वे जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से सभी स्कूलों में समय पर तैयारियों की समीक्षा करें। साथ ही, जनप्रतिनिधियों को भी उत्सव में आमंत्रित कर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दिया जाए।
